अनुभव सिन्हा की 'आईसी 814: द कंधार हाइजैक' नेटफ्लिक्स सीरीज पर विवाद क्यों?

अनुभव सिन्हा की 'आईसी 814: द कंधार हाइजैक' नेटफ्लिक्स सीरीज पर विवाद क्यों?
मयंक रस्तोगी 3 सितंबर 2024 0

अनुभव सिन्हा की नई सीरीज पर विवाद

अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित और नेटफ्लिक्स पर 29 अगस्त 2024 को रिलीज़ हुई सीरीज 'आईसी 814: द कंधार हाइजैक' एक बार फिर से विवादों में घिर गई है। इस सीरीज ने 1999 में हुए भारतीय एयरलाइंस फ्लाइट 814 के अपहरण को केंद्र में रखकर कथानक को प्रस्तुत किया है। इस फ्लाइट को पांच आतंकवादियों ने हाइजैक कर लिया था और इसे अफगानिस्तान के कंधार में ले जाया गया था।

मुद्दा यह है कि इस सीरीज में आतंकवादियों के नाम बदलकर 'भोला' और 'शंकर' रखे गए हैं, जो कि हिंदू नाम हैं। इन नामों को बदलने से अनेक दर्शकों ने आपत्ति जताई है और आरोप लगाया है कि इससे ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा है। उनका कहना है कि असल में ये सभी हाइजैकर्स पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन से जुड़े थे और उनके वास्तविक नाम मुस्लिम थे।

सोशल मीडिया पर बढ़ता आक्रोश

सोशल मीडिया पर इस फैसले के खिलाफ तीखे प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई लोगों ने #BoycottNetflix और #BoycottBollywood जैसे हैशटैग का इस्तेमाल कर सीरीज का बहिष्कार करने की मांग की है। देखने वालों का कहना है कि इस तरह के नाम बदलने से दर्शकों को भ्रमित किया जा सकता है और इससे धार्मिक तनाव भी उत्पन्न हो सकता है।

सरकार की प्रतिक्रिया

इस मामले में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नेटफ्लिक्स इंडिया की कंटेंट हेड मोनिका शेरगिल को बुलाकर इस पर जवाब माँगा है। उनका कहना है कि सीरीज में किए गए बदलावों से सरकारी एजेंसियों को भी ध्यान देने की जरूरत है।

कैमरे के पीछे की कहानी

सीरीज के कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने भी कहा है कि आतंकवादियों ने हाइजैक के दौरान ऐसे ही निकनेम्स का इस्तेमाल किया था। लेकिन आलोचक इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और उनका कहना है कि इस प्रकार के नाम बदलने से यथार्थ की संवेदनशीलता का सम्मान नहीं हो पा रहा है।

भाजपा के अमित मालवीय ने इस पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि आतंकवादियों के गैर-मुस्लिम नामों का उपयोग उनकी आपराधिक मंशा को वैध ठहरा सकता है। इससे आने वाली पीढ़ियाँ यह सोचने पर विवश हो सकती हैं कि इसमें हिंदुओं का योगदान था।

राजनीतिक बयानबाजी

पूर्व जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस पूरे विवाद पर एक तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि जो लोग अन्य फिल्मों को तथ्यात्मक मानते थे, वे अब इस सीरीज में सटीकता की मांग कर रहे हैं।

शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा है कि यह सरकार की इस मामले को संभाल न पाने की विफलता को दिखाता है, जिसमें आतंकवादियों का रिहा किया जाना भी शामिल है।

इतिहास की संवेदनशीलता

इस विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े घटनाओं को चित्रित करते समय कितनी संवेदनशीलता बरतनी पड़ती है। किसी भी ऐतिहासिक घटना को चित्रित करते समय यह महत्वपूर्ण है कि तथ्यों को सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए और किसी भी प्रकार की गलतफहमी या भावनात्मक आघात से बचा जाए।

इस पूरे विवाद से एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि क्या फिल्मकारों को ऐसी छूट दी जानी चाहिए कि वे ऐतिहासिक घटनाओं को अपने तरीके से प्रस्तुत कर सके, या फिर उन्हें सटीकता और संवेदनशीलता का पालन करना चाहिए? इस पर सोचना और विचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।