हेमंत सोरेन की वापसी पर विधायकों की सहमति
झारखंड में राजनीतिक घटनाक्रम एक बार फिर से तेजी पकड़ रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की मुख्यमंत्री पद पर वापसी के संकेत मिल रहे हैं। पार्टी के विधायकों और सहयोगी दलों के निर्णय के बाद अब यह लगभग तय हो गया है कि हेमंत सोरेन तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
रांची में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के निवास पर आयोजित बैठक में जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी के विधायकों ने मिलकर यह फैसला लिया। बैठक में सर्वसम्मति से हेमंत सोरेन को जेएमएम विधायक दल का नेता चुना गया। वर्तमान मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के जल्द ही अपने पद से इस्तीफा देने की भी संभावना है, जिससे हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनना तय हो सके।
हेमंत सोरेन की रिहाई और राजनीतिक घटनाक्रम
हेमंत सोरेन को हाल ही में जेल से रिहा किया गया है। उन्हें 28 जून को उच्च न्यायालय के फैसले के बाद रिहाई मिली थी। वे पांच महीने से अधिक समय तक जेल में रहे, जबकि वे एक कथित भूमि घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार हुए थे। उनकी गिरफ्तारी से पहले 31 जनवरी को उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
हेमंत सोरेन की वापसी के समय पर ध्यान देते हुए, ऐसा लगता है कि राज्य की राजनीति में फिर से एक अहम मोड़ आ गया है। 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में जेएमएम-नेतृत्व वाली गठबंधन के पास फिलहाल 45 विधायकों का समर्थन है। इनमें जेएमएम के 27, कांग्रेस के 17 और आरजेडी के 1 विधायक शामिल हैं।
गठबंधन की ताकत और चुनौतियां
हालांकि, हाल के समय में इस गठबंधन को चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा हैं। जेएमएम के दो विधायक, नलिन सोरेन और जोबा माजी, संसद के लिए चुने गए हैं। साथ ही, पार्टी ने बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा और बोरियो विधायक लोबिन हंब्रोम को पार्टी से निष्कासित भी किया है। इन घटनाओं ने गठबंधन की स्थिति को थोड़ा कमजोर बना दिया है।
| पार्टी | विधायक संख्या |
|---|---|
| जेएमएम | 27 |
| कांग्रेस | 17 |
| आरजेडी | 1 |
इसके विपरीत, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायकों की संख्या 24 हो गई है। लोकसभा चुनावों में भाग लेने और उनके मंडु विधायक जयप्रकाश भाई पटेल के कांग्रेस में शामिल होने के बाद बीजेपी को भी कुछ झटके लगे हैं।
झारखंड विधानसभा में वर्तमान स्थिति
वर्तमान में, झारखंड विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 81 है, लेकिन हालिया घटनाओं के बाद यह संख्या 76 तक सीमित हो गई है। ऐसे में राजनीतिक संतुलन और सत्ता समीकरण में बदलाव साफ दिखाई दे रहे हैं।
हेमंत सोरेन की बतौर मुख्यमंत्री वापसी राज्य की राजनीतिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। उन्होंने पहले दो बार मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए अपने काम के लिए सराहना पाई है। अब देखने वाली बात यह होगी कि नए शासनकाल में वे किन नीतियों और निर्णयों को अपनाते हैं और झारखंड को आगे बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाते हैं।
यह खबर झारखंड की राजनीतिक परिधि में महत्वपूर्ण घटनाओं की सूची में एक नया अध्याय जोड़ती है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य को नई दिशा मिलने की संभावना है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी समय में क्या कुछ नया होता है।
simran grewal
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