रविवार शाम तक पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तटों को चपेट में लेगा चक्रवात 'रेमल'

रविवार शाम तक पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तटों को चपेट में लेगा चक्रवात 'रेमल'
Anuj Kumar 24 मई 2024 12

पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में 'रेमल' चक्रवात

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने घोषणा की है कि बंगाल की खाड़ी के पश्चिम-मध्य और दक्षिणी क्षेत्र में उत्पन्न निम्न दबाव वाला क्षेत्र अंततः गंभीर चक्रवाती तूफान 'रेमल' में परिवर्तित हो जाएगा और रविवार शाम तक पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों से टकराएगा। यह तूफान इस साल के प्री-मानसून सत्र का पहला चक्रवात होगा और इसके कारण व्यापक प्रभावित क्षेत्रों में भारी नुकसान की आशंका जताई जा रही है।

IMD की वरिष्ठ वैज्ञानिक मोनिका शर्मा के अनुसार, यह निम्न दबाव वाला क्षेत्र शुक्रवार सुबह तक केंद्रीय बंगाल की खाड़ी के ऊपर डिप्रेशन के रूप में केंद्रित हो जाएगा। इसके बाद, शनिवार सुबह तक यह चक्रवाती तूफान के रूप में विकसित हो जाएगा और रविवार शाम तक यह एक गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के तटों से टकराएगा।

विभिन्न क्षेत्रों में आगामी पांच दिनों के लिए मौसम की स्थिति को देखते हुए IMD ने मछुआरों को निम्नलिखित सलाह दी है:

  • शुक्रवार तक दक्षिणी बंगाल की खाड़ी में न जाएं।
  • रविवार तक केंद्रीय बंगाल की खाड़ी में न जाएं।
  • शुक्रवार से सोमवार सुबह तक उत्तरी बंगाल की खाड़ी में न जाएं।

इस तूफान के कारण पश्चिम बंगाल, उत्तर ओडिशा, मिजोरम, त्रिपुरा, और दक्षिण मणिपुर के तटीय जिलों में 26-27 मई के दौरान बहुत भारी बारिश की भविष्यवाणी की गई है।

प्रभावित क्षेत्रों में तैयारियां और अलर्ट

बांग्लादेश मौसम विभाग ने भी उत्तर बंगाल की खाड़ी और गहरे समुद्र में मछुआरों को तटीय क्षेत्रों के पास आने और सावधानी बरतने का निर्देश जारी किया है। पश्चिम बंगाल के कई क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश और तटीय जिलों में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश की संभावना है। IMD ने आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में 23-27 मई के बीच गरज-चमक और तूफानी हवाओं के साथ आयनों की भी भविष्यवाणी की है।

तूफानी हवाएँ और बारिश के अवसर

तूफानी हवाएँ और बारिश के अवसर

उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश, यानम, दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश, और रायलसीमा के कुछ हिस्सों में भी आगामी दिनों में बारिश की संभावना बनी हुई है। वरिष्ठ IMD वैज्ञानिक डी.एस. पाई के अनुसार, समुद्र की सतह के उच्च तापमान के कारण अधिक नमी बनती है, जो चक्रवातों की तीव्रता बढ़ाने के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा करती हैं।

इसके अलावा, पूर्व केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव माधवन राजीवन ने बताया कि निम्न दबाव प्रणाली को चक्रवात में परिवर्तित होने के लिए समुद्र की सतह का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक होना चाहिए।

तारीख स्थिति क्षेत्र
24 मई हल्की बारिश उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश
25 मई मध्यम बारिश दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश
26 मई भारी बारिश पश्चिम बंगाल

मानसून पर चक्रवात का प्रभाव

इस चक्रवात के कारण प्रदेश में मानसून की प्रगति पर भी असर पड़ने की संभावना है। प्रारंभिक रूप से यह बंगाल की खाड़ी के ऊपर मानसून की प्रगति में मदद करेगा, लेकिन बाद में इसके कारण कुछ क्षेत्रों में मानसून में देरी भी हो सकती है।

चक्रवात 'रेमल' की स्थिति का अनुसरण करते हुए, मौसम विभाग और संबंधित अधिकारियों ने सभी आवश्यक तैयारियों को पूरा करने और प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों को सतर्क रहने की सलाह दी है।

तटीय क्षेत्रों के निवासियों को भी विशेष एहतियात बरतने की सलाह दी गई है, ताकि किसी भी संभावित खतरे से निपटा जा सके और नुकसान को कम से कम किया जा सके। यह समय सभी के लिए सतर्क रहने का है और संबंधित विभागों द्वारा जारी की गई सलाह का पालन करना महत्वपूर्ण है।

12 टिप्पणि

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    Prakash chandra Damor

    मई 25, 2024 AT 07:21
    ये चक्रवात कितना खतरनाक है असल में? क्या ये सिर्फ बारिश लेकर आएगा या फिर तूफानी हवाएं भी?
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    harsh raj

    मई 25, 2024 AT 20:35
    IMD का अलर्ट बिल्कुल सही है। मैंने 2018 में ओडिशा में एक ऐसा ही चक्रवात देखा था। उस बार भी लोगों ने हल्के में लिया और बाद में बहुत नुकसान हुआ। अब तो बिल्कुल सावधान रहना चाहिए।

    मछुआरों को तो बिल्कुल नहीं जाना चाहिए। समुद्र का रंग बदल जाता है जब चक्रवात आता है। वो निशान देखकर भी पहचान लेते हैं लोग।
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    Debakanta Singha

    मई 26, 2024 AT 11:41
    ये सब तो रोज़ होता है। लेकिन सरकार हमेशा एलर्ट डालती है। असल में ज्यादातर बार बारिश हो जाती है और कुछ नहीं होता। लोगों को डराने का खेल चल रहा है।
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    Rashmi Primlani

    मई 27, 2024 AT 06:28
    हमें इस तरह के चक्रवातों के बारे में सिर्फ अलर्ट ही नहीं, बल्कि लंबे समय तक की तैयारी की जरूरत है। तटीय क्षेत्रों में घरों को मजबूत बनाना, आपातकालीन शिफ्टिंग सेंटर बनाना, और लोगों को शिक्षित करना जरूरी है। ये सब एक बार का अलर्ट नहीं, एक निरंतर प्रक्रिया है।

    हम जब तक इन बातों को बेसिक रूप से नहीं समझेंगे, तब तक ये चक्रवात हमें हर साल याद दिलाते रहेंगे।
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    tejas cj

    मई 28, 2024 AT 13:48
    फिर से ये चक्रवात की बात? अब तो हर दो हफ्ते में कुछ न कुछ होता है। सरकार तो बस ट्वीट करती है और फिर लोगों को बचाने के लिए बाहर निकलती है।
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    swetha priyadarshni

    मई 29, 2024 AT 21:54
    मैं बंगाल के तटीय इलाकों में रहती हूँ और हर साल ये सारा शोर होता है। लेकिन असली बात ये है कि हमारे घरों की छतें अभी भी पुरानी हैं, बिजली के खंभे टूट जाते हैं, और बारिश के बाद नालियाँ भर जाती हैं। इन सबका कोई निरंतर नियोजन नहीं है। IMD बस भविष्यवाणी करता है, लेकिन तैयारी का कोई रास्ता नहीं।

    मैंने अपने इलाके में एक ग्रामीण समूह बनाया है जो अपने आसपास के लोगों को रात में घूमकर चेतावनी देता है। अगर हम खुद नहीं उठेंगे, तो कौन उठेगा?
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    Arya Murthi

    मई 30, 2024 AT 22:49
    ये चक्रवात तो बहुत बड़ा होने वाला है। मैंने अपने दोस्त के घर में रहकर देखा है कि जब बारिश शुरू होती है तो बच्चे डर जाते हैं। बड़े लोग तो लड़ते हैं, लेकिन बच्चों को शांत रखना जरूरी है।

    अगर कोई बच्चा डर गया हो तो उसे गले लगाओ। बारिश तो आएगी ही, लेकिन डर तो घटा सकते हो।
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    Rohit verma

    जून 1, 2024 AT 13:58
    सब तैयारी कर रहे हैं, लेकिन याद रखो ये चक्रवात सिर्फ बारिश नहीं, ये एक नया शुरुआत है। हमें इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। अगर हम इस बार अच्छी तरह से तैयार हो गए तो अगले साल का चक्रवात हमारे लिए बहुत कम खतरनाक होगा।

    हम सब एक साथ हैं। अगर एक घर बच गया तो पूरा गाँव बच गया। 💪
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    Chandrasekhar Babu

    जून 2, 2024 AT 12:25
    समुद्री सतह के तापमान का 27°C या उससे अधिक होना चक्रवात विकास के लिए आवश्यक शर्त है। यह एक थर्मोडायनामिक प्रक्रिया है जिसमें अवशोषित जलवाष्प का संघनन ऊष्मा उत्सर्जित करता है, जिससे निम्न दबाव केंद्र की तीव्रता बढ़ती है। इस प्रक्रिया को अंतर्राष्ट्रीय रूप से विकसित मॉडल जैसे ECMWF और GFS द्वारा अत्यधिक सटीकता से अनुमानित किया जाता है।
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    Khaleel Ahmad

    जून 3, 2024 AT 10:16
    मैं भी तटीय क्षेत्र से हूँ। ये बारिश तो आएगी ही, लेकिन अगर सरकार बिजली और पानी की व्यवस्था ठीक कर दे तो हम बच सकते हैं। बस एक बार अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर बन जाए तो सब ठीक हो जाएगा।
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    Manu Metan Lian

    जून 4, 2024 AT 11:47
    ये सब बेकार की बातें हैं। जो लोग घरों में बैठे हैं, वो बस अलर्ट देते हैं। अगर हमारे पास इतना अच्छा मौसम विज्ञान है तो फिर ये चक्रवात इतने बड़े क्यों हो रहे हैं? क्या ये सिर्फ प्रकृति का दोष है या हमारी लापरवाही का? अगर हम लगातार नदियों को बंद कर रहे हैं और बाढ़ के लिए जमीन को नष्ट कर रहे हैं, तो ये सब नतीजा है।
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    Pooja Mishra

    जून 6, 2024 AT 08:21
    मैंने देखा कि बहुत से लोग अभी भी बारिश के बाद अपने घरों के आसपास के कचरे को नहीं हटा रहे। ये तो बीमारियों का कारण बनता है। अगर आपको अपना घर बचाना है तो पहले अपने बरामदे को साफ कर लीजिए। ये नहीं तो अगली बार डेंगू का अलर्ट आएगा।

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