कर्नाटक में दूध की कीमतों में वृद्धि: नंदिनी दूध अब 44 रुपये प्रति लीटर

कर्नाटक में दूध की कीमतों में वृद्धि: नंदिनी दूध अब 44 रुपये प्रति लीटर
Anuj Kumar 26 जून 2024 6

कर्नाटक में बढ़ी दूध की कीमतें: नंदिनी दूध अब 44 रुपये प्रति लीटर

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) ने एक बार फिर राज्यभर में नंदिनी दूध की कीमत में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की है, जिससे अब नई कीमत 44 रुपये प्रति लीटर हो गई है। पहले यह कीमत 42 रुपये प्रति लीटर थी। यह वृद्धि पिछले साल जुलाई 2023 में हुई मूल्य वृद्धि के बाद दूसरी बार लागू की गई है।

मुख्यमंत्री ने किया समर्थन

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मूल्य वृद्धि का समर्थन करते हुए कहा कि दूध के पाउच में प्रति यूनिट मूल्य में कोई वृद्धि नहीं की जाएगी। साथ ही, हर 500 मिलीलीटर और 1,000 मिलीलीटर पैकेट में 50 मिलीलीटर अतिरिक्त दूध दिया जाएगा। मुख्यमंत्री का कहना था कि यह मूल्य वृद्धि दूध उत्पादन में हुई 15% वृद्धि को ध्यान में रखकर की गई है। राज्य में दूध का उत्पादन 90 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़कर 99 लाख लीटर प्रतिदिन हो गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संशोधित मूल्य वृद्धि केवल बढ़े हुए वॉल्यूम के अनुरूप है।

KMF के अध्यक्ष ने किया उद्घोषणा

KMF के अध्यक्ष भीमा नाइक ने बेंगलुरु में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस निर्णय की घोषणा की। उन्होंने समझाया कि मूल्य वृद्धि के बावजूद, ग्राहक को प्रति पाउच अधिक मात्रा में दूध मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस बढ़ोतरी से किसानों को भी लाभ होगा, क्योंकि उन्हें दूध उत्पादन के लिए बेहतर मूल्य मिल सकेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि दूध की बढ़ती खपत और उत्पादन को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है, जिससे राज्य में डेयरी उद्योग को भी नया प्रोत्साहन मिल सकेगा। नंदिनी दूध जैसी स्वदेशी ब्रांड के लिए यह निर्णय उपभोक्ताओं और उत्पादकों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

इस मूल्य वृद्धि से न केवल दाम बढ़ेंगे, बल्कि गुणवत्ता और सेवा में भी सुधार होगा। गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन मुख्यमंत्री के समर्थन और KMF की सुनियोजित रणनीति से ऐसा लगता है कि इस कदम से राज्य की अर्थव्यवस्था और डेयरी उद्योग को नई दिशा मिलेगी।

उपभोक्ताओं की प्रतिक्रियाएं

मूल्य वृद्धि की घोषणा के बाद से उपभोक्ताओं की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। जहां एक तरफ कुछ उपभोक्ता इस वृद्धि को आवश्यक मानते हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इससे नाराज हैं। कुछ उपभोक्ताओं का मानना है कि वृद्धि से उन्हें मुश्किल हो सकती है, जबकि अन्य लोग इसे दूध उत्पादन में हुई लागत वृद्धि के प्रति एक आवश्यक कदम मानते हैं।

यह देखा गया है कि नंदिनी दूध राज्य में एक लोकप्रिय ब्रांड है, जिसे लोग गुणवत्ता और स्वच्छता के लिए पसंद करते हैं। इस वृद्धि से उपभोक्ताओं की उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं और वे चाहते हैं कि उन्हें बढ़े हुए दाम के बदले और भी बेहतर उत्पाद और सेवाएं मिलें।

कुल मिलाकर, यह मूल्य वृद्धि राज्य की डेयरी उद्योग और उपभोक्ताओं के लिए कितनी फायदेमंद साबित करेगी, यह भविष्य में ही स्पष्ट हो पाएगा। लेकिन यह तय है कि इस निर्णय से राज्य के डेयरी क्षेत्र में एक नया मोड़ आ सकता है और इससे उत्पादन की गुणवत्ता और सेवा में सुधार हो सकता है।

6 टिप्पणि

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    vasanth kumar

    जून 28, 2024 AT 17:07
    44 रुपये तो हो गया, पर अब दूध का पैकेट भी छोटा हो गया है न? जितना बढ़ाया वो भी नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
    पर अब तो बस यही बचा है, नंदिनी का दूध ही अच्छा लगता है।
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    Pooja Shree.k

    जून 29, 2024 AT 00:25
    मुझे लगता है कि ये बढ़ोतरी जरूरी थी, क्योंकि किसानों को भी अच्छा मूल्य मिलना चाहिए।
    हम लोग भी थोड़ा सा अतिरिक्त दूध पा रहे हैं, ये तो अच्छी बात है।
    अगर गुणवत्ता भी बढ़ गई है, तो ये दाम ठीक है।
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    Amar Khan

    जून 30, 2024 AT 21:02
    ये सब बकवास है भाई... दूध की कीमत बढ़ी तो बढ़ गई, पर मेरी तबियत खराब हो गई है अब हर दिन दूध पीने के बाद... शायद ये दूध भी फेक है।
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    Andalib Ansari

    जुलाई 1, 2024 AT 20:43
    क्या हम इसे सिर्फ एक कीमत वृद्धि के रूप में देख रहे हैं? या हम इसे एक अर्थव्यवस्था के अंदर एक जीवन चक्र के रूप में समझ रहे हैं? किसान का आय, उत्पादन की गुणवत्ता, उपभोक्ता की भावनाएँ... ये सब एक नेटवर्क है।
    ये 2 रुपये की वृद्धि एक छोटी सी टिप है जो एक बड़े तूफान की शुरुआत हो सकती है।
    क्या हम इस बात को भूल रहे हैं कि जब तक हम उत्पादन के आधार को मजबूत नहीं करते, तब तक ये बातें सिर्फ नाटक हैं?
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    Vasudev Singh

    जुलाई 2, 2024 AT 19:59
    सुनो, ये जो बढ़ोतरी हुई है, इसका असली मतलब ये है कि राज्य ने अपने किसानों को सम्मान देना शुरू कर दिया है।
    पिछले साल जब दूध की कीमत 42 रुपये थी, तो किसान अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे जुटाने में तंग आ रहे थे।
    अब ये बढ़ोतरी उनके लिए एक नई उम्मीद है।
    और जो लोग कह रहे हैं कि ये दाम बहुत ज्यादा है, वो भी समझे कि एक लीटर दूध बनाने में कितना खर्च आता है - चारा, दवाई, वैक्सीन, ट्रांसपोर्ट, मजदूरी... ये सब बढ़ गया है।
    और अगर आपको लगता है कि ये दाम ज्यादा है, तो आप अपने घर में गाय रख लीजिए, लेकिन वो भी अगर आपके पास जमीन है।
    नंदिनी दूध अब बस दूध नहीं, ये एक समाज की वापसी है - एक ऐसी वापसी जिसमें गाँव की आत्मा बची है।
    इस बार दाम बढ़े, पर दिल भी बढ़े।
    हम लोगों को इस बात को समझना होगा कि एक बूंद दूध में एक किसान की दिनचर्या, उसकी थकान, उसकी आशा है।
    ये दाम बढ़ना अपराध नहीं, न्याय है।
    अगर आप इसे नहीं समझ सकते, तो आप शायद उस दुनिया में रहते हैं जहाँ दूध का दाम बताने के लिए एक एक्सेल शीट चाहिए।
    हम तो उस दुनिया में रहते हैं जहाँ दूध एक आदमी की जिंदगी है।
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    Akshay Srivastava

    जुलाई 3, 2024 AT 04:39
    मुख्यमंत्री का बयान गलत है। उन्होंने कहा कि 'प्रति यूनिट मूल्य में कोई वृद्धि नहीं' - लेकिन ये तो धोखा है।
    500ml पैकेट में 50ml अतिरिक्त दूध डालना, वास्तविक रूप से 10% बढ़ोतरी है, जो लीटर के हिसाब से 2 रुपये की वृद्धि के बराबर है।
    यह एक गणितीय ठेला है।
    और ये जो 'गुणवत्ता में सुधार' का दावा है - कहाँ का सबूत? किसी ने कभी लैब रिपोर्ट नहीं दिखाई।
    ये सब राजनीतिक चाल है।
    किसानों को लाभ हो रहा है? तो फिर उनकी आय में 15% की वृद्धि हुई? किसी ने इसकी जाँच की? नहीं।
    केवल बातें।
    और जो लोग इसे 'समाज की वापसी' कह रहे हैं - वे भावुकता के आधार पर बात कर रहे हैं, न कि तथ्यों के।
    यह एक व्यावहारिक निर्णय नहीं, एक चुनावी चाल है।
    अगर ये सच में गुणवत्ता बढ़ाना चाहते थे, तो वे बैक्टीरियल काउंट और फैट कंटेंट के लिए लैब टेस्ट के नतीजे जारी करते।
    पर नहीं।
    बस नारे।

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