महाराणा प्रताप जयंती 2024: संघर्ष की प्रेरणा हैं महाराणा प्रताप, कहते हैं राज्यवर्धन सिंह राठौर

महाराणा प्रताप जयंती 2024: संघर्ष की प्रेरणा हैं महाराणा प्रताप, कहते हैं राज्यवर्धन सिंह राठौर
Anuj Kumar 9 जून 2024 13

महाराणा प्रताप: एक प्रेरणादायक नायक

राजस्थान के कैबिनेट मंत्री और पूर्व सेना अधिकारी कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर ने महाराणा प्रताप जयंती 2024 के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में महाराणा प्रताप के जीवन मूल्य और संघर्ष को देश के लिए एक अग्रणी प्रेरणा स्रोत बताया। इस कार्यक्रम का आयोजन महाराणा प्रताप जयंती समिति द्वारा 13 वर्षों से अनवरत रूप से किया जा रहा है, जिसमें इस वर्ष भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित करते हुए राठौर ने कहा, “महाराणा प्रताप के जीवन संघर्ष और उनके अदम्य साहस ने पूरे भारत को स्वाभिमान के साथ जीने और स्वतंत्रता के लिए लड़ने की प्रेरणा दी है। उनके द्वारा स्थापित सिद्धांत आज भी हमारे समाज और संस्कृति में गहराई से जुड़े हुए हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि महाराणा प्रताप द्वारा दिखाया गया रास्ता हमें कठिन समय में भी आगे बढ़ने और अपने मूल्यों की रक्षा करने का साहस देता है।

युवा पीढ़ी को प्रेरणा

युवा पीढ़ी को प्रेरणा

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विशेष रूप से युवा पीढ़ी को महाराणा प्रताप के आदर्शों और सिद्धांतों से अवगत कराना था। राज्यवर्धन सिंह राठौर ने इस बात पर जोर दिया कि इतिहास के सही संदर्भ को पहचानने और सीखने की आवश्यकता है, जो अक्सर पाठ्यपुस्तकों में गलत रूप से प्रकट किया जाता है। उन्होंने कहा, “इतिहास का सही लेखन और उसकी सटीक जानकारी हमारी युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन और प्रेरणा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।”

महान योगदान

महान योगदान

राठौर ने अपने भाषण में महाराणा प्रताप के योगदान को और गहराई से समझाने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि महाराणा प्रताप ने मुगलों के खिलाफ अपने राज्य की स्वतंत्रता और स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। उन्होंने सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान और देश के गौरव के लिए संघर्ष किया। यह संघर्ष आज भी हमें गर्व और प्रेरणा से भर देता है।

सम्मानीय अतिथि और कार्यक्रम की विधि

सम्मानीय अतिथि और कार्यक्रम की विधि

इस अवसर पर कई अन्य प्रतिष्ठित अतिथि भी मौजूद थे, जिनमें प्रेम सिंह बनवासा, गजेन्द्र सिंह औ, संजीव भार्गव, सत्यानारायण चौधरी, और राम सिंह चंद्रलाई शामिल थे। कवि उमेश उत्सई ने भी अपनी कविताओं से समां बांध दिया और महाराणा प्रताप की वीरता पर प्रकाश डाला।

ऐतिहासिक धरोहर में महाराणा प्रताप का महत्व

महाराणा प्रताप को भारतीय इतिहास में एक महान योद्धा और एक अद्वितीय नायक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर के शासन के खिलाफ न झुकने का संकल्प लिया और मेवाड़ की स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया।

महाराणा प्रताप के द्वारा किया गया हल्दीघाटी का युद्ध, भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण युद्धों में से एक माना जाता है। यह युद्ध न केवल रक्त और तलवारों का युध्द था, बल्कि यह विचारों और आदर्शों का भी संग्राम था। महाराणा प्रताप का उसके तत्वों और सिद्धांतों के प्रति समर्पण, युवाओं के लिए एक आदर्श बना हुआ है। उनकी वीरता की कहानियां आज भी भारतीय लोकगीतों और कथाओं में जीवित हैं, जो हमारे इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हैं।

महाराणा प्रताप की प्रेरणा और शिक्षा

महाराणा प्रताप की जीवन गाथा से हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं मिलती हैं। पहली और सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा यह है कि हमें हमेशा अपने स्वाभिमान और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। महाराणा प्रताप ने अपनी सभी संसाधनों और कुर्बानियों को दांव पर लगाकर भी अपनी भूमि की स्वतंत्रता की रक्षा की, और कभी भी मुगलों के सामने झुकने से इनकार किया।

इसके अलावा, महाराणा प्रताप का जीवन हमें यह भी सिखाता है कि कठिनाइयों और चुनौतियों के सामने हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। उनके जीवन संघर्ष ने दिखा दिया कि सही नेतृत्व और संकल्प, किसी भी कठिन परिस्थिति से जीत दिला सकता है। उनके बलिदान और संघर्ष से प्रेरणा लेकर, हम भी अपने जीवन में आने वाली किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते हैं।

इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन से यह सुनिश्चित होता है कि युवाओं में भी महाराणा प्रताप के जीवन मूल्य और संघर्ष की गहरी समझ विकसित हो सके, जिससे वे अपने जीवन को सफल और अर्थपूर्ण बना सकें।

13 टिप्पणि

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    Dhananjay Khodankar

    जून 11, 2024 AT 02:39
    महाराणा प्रताप की वो लड़ाई आज के टाइम में भी रिलेवेंट है। जब तक हम अपनी पहचान के लिए लड़ेंगे, तब तक कोई हमें दबा नहीं सकता। बस इतना याद रखो कि स्वाभिमान के बिना कोई भी जीत अधूरी है।
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    Adrija Mohakul

    जून 12, 2024 AT 14:39
    हल्दीघाटी के बाद जब महाराणा प्रताप जंगलों में रह गए और अपने घोड़े कुंभलगढ़ के लिए भूखे रहे, तो उनका साहस बस शब्दों में नहीं बताया जा सकता। वो लोग जो कहते हैं 'इतिहास पढ़ो'... वो भी तो एक बार उस जंगल में रहकर देखें।
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    Sukanta Baidya

    जून 13, 2024 AT 04:49
    अरे यार, फिर से ये नेशनलिस्ट नारे? इतिहास को बनावटी नायकों में बांटने का क्या मतलब? अकबर भी एक महान शासक था, और महाराणा प्रताप का संघर्ष भी अच्छा था, लेकिन आज के दौर में ये सब बस एक राजनीतिक टूल है।
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    shruti raj

    जून 14, 2024 AT 02:12
    क्या तुम्हें पता है कि अकबर के दरबार में कितने हिंदू मंत्री थे? और महाराणा प्रताप के घर पर बच्चे भूखे रहे लेकिन उनका घोड़ा उनके लिए अपना खाना छोड़ देता था... 😔 ये जो आज नेशनलिस्ट बन रहे हैं, वो तो सिर्फ टीवी पर दिखते हैं, नहीं तो अपने घर का बिजली बिल भी नहीं भर पाते।
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    Khagesh Kumar

    जून 14, 2024 AT 03:21
    बस एक बात समझ लो, महाराणा प्रताप ने जो किया वो कोई बड़ा नाम लेकर नहीं किया। उनके पास न तो बहुत सेना थी न ही धन। बस एक दिल और एक निश्चय। आज के लोगों को इसी की जरूरत है।
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    shyam majji

    जून 15, 2024 AT 07:01
    कार्यक्रम अच्छा लगा। बस थोड़ा ज्यादा बोल गए। वरना महाराणा प्रताप की कहानी खुद में इतनी ताकतवर है कि बस एक शब्द में भी सारा इतिहास छुपा है।
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    utkarsh shukla

    जून 16, 2024 AT 15:48
    महाराणा प्रताप के बिना हमारा इतिहास अधूरा है। वो नहीं झुके, वो नहीं बेचे, वो नहीं भूले। और आज के युवा जो अपने घर के बाहर निकलकर भी डर जाते हैं, उन्हें ये बात समझनी चाहिए।
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    Amit Kashyap

    जून 18, 2024 AT 07:14
    अकबर के दरबार में हिंदू थे तो फिर भी वो देश को बांटने आया था! और हम उसे देशभक्त बना रहे हैं? बेवकूफी है। महाराणा प्रताप ही सच्चे देशभक्त थे। बस इतना ही।
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    Ritu Patel

    जून 19, 2024 AT 19:15
    तुम सब बस इतिहास को देख रहे हो, लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि अगर महाराणा प्रताप ने अकबर के साथ समझौता कर लिया होता तो आज भारत कितना आगे होता? लड़ाई से बढ़कर समझौता ही असली शक्ति है।
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    Dev Toll

    जून 20, 2024 AT 13:56
    कल एक दोस्त ने बताया कि उसके गांव में एक बूढ़े ने अपनी बेटी को महाराणा प्रताप की कहानी सुनाई थी। बेटी ने आज एक एम्प्लॉयी को गलत बिल देने से मना कर दिया। ये है असली प्रेरणा।
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    mala Syari

    जून 22, 2024 AT 07:55
    ये सब बस एक बड़ा धोखा है। जिन्होंने इतिहास लिखा वो अपने लिए लिखा। महाराणा प्रताप एक राजा थे, न कि एक देशभक्त। आज के लोग उन्हें नायक बना रहे हैं क्योंकि उन्हें खुद के लिए कुछ नहीं मिल रहा।
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    Kamal Gulati

    जून 23, 2024 AT 12:30
    सब तो बड़ी बातें कर रहे हैं, लेकिन क्या आज के बच्चे जानते हैं कि महाराणा प्रताप का घोड़ा कुंभलगढ़ कौन था? ये जो नारे लगाते हैं, उनके बच्चे तो फोन पर टिकट बुक कर रहे हैं। इतिहास नहीं, इंस्टाग्राम चल रहा है।
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    Kishore Pandey

    जून 25, 2024 AT 07:12
    महाराणा प्रताप की वीरता का आदर करना जरूरी है, लेकिन इतिहास को राजनीतिक उपकरण नहीं बनाना चाहिए। अकबर के साथ उनका संघर्ष एक राजनीतिक विवाद था, न कि धर्म का संघर्ष। इसे समझना होगा, न कि बस नारे लगाना।

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