ओलंपिक्स में अर्जेंटीना बनाम मोरक्को मुकाबला: पिच पर उपद्रव से पड़ा साया

ओलंपिक्स में अर्जेंटीना बनाम मोरक्को मुकाबला: पिच पर उपद्रव से पड़ा साया
Anuj Kumar 25 जुलाई 2024 14

ओलंपिक्स में फुटबॉल का रोमांचक आगाज

पेरिस ओलंपिक्स में पुरुषों का फुटबॉल टूर्नामेंट नाटकीय स्थिति में तब्दील हो गया जब अर्जेंटीना और मोरक्को के बीच मुकाबले के दौरान पिच पर प्रशंसकों का उपद्रव देखने को मिला। खेल का यह रोमांचक शुरुआत न सिर्फ मैदान पर बल्कि मैदान के बाहर भी चर्चा का विषय बना।

शानदार शुरूआत, रोमांचक मोड़

मोरक्को ने खेल के पहले हाफ में शानदार प्रदर्शन दिखाया। जैसे ही मैच के 45वें मिनट पर हाफटाइम हुआ, मोरक्को के खिलाड़ी सूफियान रहीमी ने अच्रफ हाकिमी की सहायता से गोल किया, जिससे टीम को 1-0 की बढ़त मिली। दूसरी छमाही की शुरुआत में, रहीमी ने पेनल्टी स्पॉट से एक और गोल करके मोरक्को को 2-0 की स्थिति में ला दिया।

अर्जेंटीना की अंतिम क्षणों की वापसी

हालांकि, अर्जेंटीना ने हार नहीं मानी। मैच के 68वें मिनट में जूलियानो सिमेओने ने गोल करके स्कोर 2-1 किया। मैच के अंतिम समय में, क्रिस्टियन मेडिना ने स्टॉपेज टाइम के 16वें मिनट में एक रोमांचक गोल करके स्कोर को 2-2 की बराबरी पर ला दिया।

प्रशंसकों का उपद्रव और मैच का स्थगन

मैच के अंत में, मोरक्को के प्रशंसकों ने पिच पर प्रवेश किया और खिलाड़ियों पर वस्तुएं फेंकी, जिससे स्थिति और विकट हो गई। सिक्योरिटी को हस्तक्षेप करना पड़ा और खेल को स्थगित करना पड़ा। अधिकारियों को अब यह फैसला करना है कि मैच को कैसे आगे बढ़ाया जाए - क्या इसे फिर से खेला जाएगा या वहीं से फिर से शुरू किया जाएगा।

मोरक्को के प्रशंसकों का विरोध

पिच पर हुए इस उपद्रव के बाद, मोरक्को के प्रशंसकों का यह विरोध अर्जेंटीना के खिलाड़ियों के खिलाफ भी था। दर्शकों ने अर्जेंटीना की टीम को एक वीडियो विवाद के चलते बू किया जिसमें एक जटिल गाने को 'जातिवादी और भेदभावपूर्ण' करार दिया गया था।

टीमों की साख पर प्रश्नचिन्ह

टीमों की साख पर प्रश्नचिन्ह

अर्जेंटीनी टीम में हाल ही के कोपा अमेरिका विजेता खिलाड़ियों जैसे जूलियन अल्वारेज़, निकोलस ओटामेंडी और गोलकीपर जेरोनिमो रुल्लि जैसे खिलाड़ी शामिल थे। लेकिन यह विवाद उनके प्रदर्शन और मोरक्को के साथ प्रतिस्पर्धा पर से ध्यान हटाने में सफल रहा।

आगे की राह

अब जब इस मामले को सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं, अधिकारी और टूर्नामेंट आयोजक इसे शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की कोशिश में लगे हैं। पेरिस ओलंपिक्स में हुई इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि खेल के साथ-साथ खेल भावना और अनुशासन भी महत्वपूर्ण हैं।

14 टिप्पणि

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    Kaviya A

    जुलाई 25, 2024 AT 10:39
    ये मैच देखकर मेरा दिल टूट गया था बस इतना ही
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    Nilisha Shah

    जुलाई 27, 2024 AT 01:22
    इस तरह के उपद्रव से खेल की आत्मा को नुकसान पहुंचता है। खिलाड़ियों की मेहनत और उनके प्रदर्शन को अनदेखा करना कोई बड़ी बात नहीं है, बल्कि एक अपराध है। खेल का मतलब है सम्मान, न कि अशिष्टता।
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    Supreet Grover

    जुलाई 28, 2024 AT 22:43
    इस घटना के संदर्भ में, फुटबॉल के गवर्नेंस मॉडल में स्टेकहोल्डर इंगेजमेंट फ्रेमवर्क की आवश्यकता है। फैन बिहेवियर को रेगुलेट करने के लिए डेटा-ड्रिवन इंटरवेंशन्स की जरूरत है, न कि सिर्फ सुरक्षा बलों की भूमिका।
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    Saurabh Jain

    जुलाई 29, 2024 AT 17:27
    हर देश के प्रशंसकों की भावनाएं अलग होती हैं। मोरक्को के लोग अपनी टीम के लिए इतने जुनूनी हैं कि वे अपनी सीमाओं को भूल जाते हैं। लेकिन इस तरह की भावनात्मक प्रतिक्रिया को अपराध नहीं, बल्कि एक सामाजिक संकट के रूप में देखना चाहिए।
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    Suman Sourav Prasad

    जुलाई 31, 2024 AT 02:08
    मैं तो सोच रहा था कि ये वीडियो विवाद क्या है... अर्जेंटीना के गाने को जातिवादी क्यों कह रहे हैं? ये तो सिर्फ एक ट्रॉपिकल रिदम है, बिल्कुल बेकार की बातें कर रहे हैं...!!!
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    Nupur Anand

    जुलाई 31, 2024 AT 09:51
    अर्जेंटीना की टीम तो बस नाम के लिए है, वास्तविक खिलाड़ी तो अभी तक नहीं आए। ये सब जूलियन अल्वारेज़ के नाम के आधार पर फेक फेम हैं। और ये प्रशंसकों का उपद्रव? बस एक बहाना है अपनी असफलता को छिपाने का। ये खेल की भावना नहीं, बल्कि एक अपराधी मानसिकता है।
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    Vivek Pujari

    अगस्त 1, 2024 AT 01:14
    पिच पर उपद्रव करने वालों को जीवन भर के लिए बैन कर देना चाहिए। ये लोग खेल की आत्मा को मार रहे हैं। 🚫⚽️ और अर्जेंटीना के गाने को जातिवादी कहना बिल्कुल गलत है - ये तो लैटिन एमोशन का अभिव्यक्ति है।
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    Ajay baindara

    अगस्त 1, 2024 AT 07:38
    मोरक्को के प्रशंसक बस अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहे। ये लोग खेल नहीं, बल्कि भावनाओं के आधार पर फैसले लेते हैं। इस तरह की अशिष्टता को अपराध के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि भावनात्मक प्रतिक्रिया के रूप में।
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    mohd Fidz09

    अगस्त 2, 2024 AT 01:43
    भारत के लोग ये बातें नहीं समझते। हमारे यहाँ तो जब भी हम हारते हैं, तो खुद को बलि दे देते हैं। ये मोरक्को वाले तो बस अपने देश के लिए लड़ रहे थे। अर्जेंटीना के गाने को जातिवादी कहना बेकार की बात है - ये तो जीवन की आवाज़ है।
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    Rupesh Nandha

    अगस्त 2, 2024 AT 07:27
    इस घटना के पीछे एक गहरा सांस्कृतिक अर्थ छिपा है। खेल एक अभिव्यक्ति है, लेकिन जब वह अपने स्वयं के विश्वासों के लिए लड़ने के लिए बदल जाता है, तो वह अपने आप को खो देता है। हमें यह समझना होगा कि खेल का अर्थ क्या है - जीतना नहीं, बल्कि सम्मान करना है।
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    suraj rangankar

    अगस्त 3, 2024 AT 19:35
    अर्जेंटीना के खिलाड़ियों को बहुत बधाई! उन्होंने अंतिम मिनटों में जो जान लगाई, वो देखकर मेरा दिल भर गया! ये टीम तो दिल से खेल रही है, और ये बात बहुत अहम है! जीत या हार, ये खेल तो असली खेल है!
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    Nadeem Ahmad

    अगस्त 4, 2024 AT 20:28
    मैंने ये मैच देखा था। अर्जेंटीना का गोल बहुत अच्छा था। मोरक्को के प्रशंसकों का रिएक्शन थोड़ा ज्यादा हो गया। लेकिन फिर भी, खेल तो खेल है।
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    Aravinda Arkaje

    अगस्त 5, 2024 AT 11:45
    इस तरह की घटनाओं में टीम की भावनाएं अहम होती हैं। अर्जेंटीना ने जो जोश दिखाया, वो असली खेल की आत्मा है। ये लोग जीत गए हैं - दिल से। अब बाकी सब तो बस शोर है।
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    kunal Dutta

    अगस्त 5, 2024 AT 21:41
    अर्जेंटीना के गाने को जातिवादी कहना एक बहुत ही फेक न्यूज़ वाली बात है। ये तो एक फुटबॉल फैन एंथम है, जिसे फ्रांस में भी लोग गाते हैं। ये जो विवाद है, वो सिर्फ एक कल्टरल मिसकॉम्युनिकेशन का उदाहरण है। और प्रशंसकों का उपद्रव? ये तो फुटबॉल के अंतर्राष्ट्रीय गवर्नेंस में एक सिस्टम फेलियर है।

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