भूकंप: समझें, तैयार हों और सुरक्षित रहें
जब जमीन अचानक हिलती है तो सबकी सांस रुक जाती है. लेकिन अगर आप पहले ही जानते हैं कि क्या करना है, तो डर कम हो जाता है. इस लेख में हम भूकंप के कारण, भारत की जोखिम क्षेत्रों और रोज़मर्रा में अपनाए जाने वाले सुरक्षा कदमों को आसान भाषा में समझेंगे.
भूकंप के कारण और भारत में जोखिम क्षेत्र
भूकंप तब होता है जब पृथ्वी की पटल (टेक्टॉनिक प्लेट) अचानक एक-दूसरे से टकराती या सरकती हैं. इस झटका ऊर्जा रूप में मुक्त हो जाता है और जमीन हिलती है. भारत के कई हिस्सों में ये प्लेट सीमाएँ पास-पास मिलती हैं, इसलिए कुछ राज्य अधिक जोखिम वाले होते हैं.
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम और नेपाल की सीमा वाला क्षेत्र सबसे ज़्यादा भूकंपीय है. साथ ही गुजरात का कच्छ, महाराष्ट्र के पश्चिमी भाग और बंगाल की खाड़ी के पास भी कई बार बड़े क्वेक्टर वाले झटके महसूस हुए हैं. अगर आप इन क्षेत्रों में रहते या यात्रा करते हैं तो स्थानीय चेतावनी प्रणाली पर नजर रखें.
सुरक्षा टिप्स और आपदा तैयारी
भूकंप आने पर सबसे पहला काम है शांत रहना. अचानक दौड़ने से बचें, क्योंकि गिरते चीज़ों से चोट लग सकती है. अगर घर के अंदर हों तो नीचे की sturdy table या दरवाज़े के फ्रेम में छिपें, सिर को कपड़े या बक्लो थैली से ढँकें.
घर बाहर हों तो खुली जगह, जैसे पार्क या सड़क किनारे, तुरंत चलें. बिल्डिंग, पेड़, लाइट पोल और बिजली की तारों से दूर रहें – ये सब गिर सकते हैं. अगर कार में हों तो धीरे‑धीरे रुकें, दरवाज़ा खोलें और बाहर निकलें.
एक छोटा आपातकालीन किट तैयार रखें: टॉर्च, बैटरियां, बुनियादी दवा, पानी की बोतल, कुछ नाश्ते वाले भोजन और एक सादा ब्लैंकेट. परिवार के साथ मिलकर दो-तीन जगहों को ‘सुरक्षित स्थान’ तय करें – जैसे लिविंग रूम का कोना या बाथरूम.
भूकंप आने से पहले घर की संरचना जांचवाएं. अगर दीवारें फटा‑फटे या छत ढीली लग रही हो तो तुरंत मरम्मत कराएँ. भारी फर्नीचर और अलमारियों को दीवारों के साथ सुरक्षित करें, ताकि वे गिरकर चोट न पहुँचाएँ.
स्थानीय सरकारी ऐप या SMS सेवा से जुड़ें. अक्सर ये प्लेटफ़ॉर्म रीयल‑टाइम चेतावनी, बचाव केंद्र की जानकारी और राहत सामग्री का वितरण अपडेट देते हैं. एक बार चेतावनी मिलते ही तय करें कि क्या बाहर जाना है या अंदर सुरक्षित रहना है.
भूकंप के बाद भी कुछ घंटों तक हिलने की संभावना रहती है – इसे ‘आफ़्टरशॉक’ कहते हैं. इसलिए तुरंत घर में वापस न जाएँ, जब तक आधिकारिक घोषणा ना हो. यदि आप निकले हों तो पास के खुले मैदान में रहें और मदद आने का इंतज़ार करें.
अंत में याद रखें, तैयारी से ही नुकसान कम होता है. छोटे‑छोटे कदम – जैसे फर्नीचर को सुरक्षित करना, किट तैयार रखना, स्थानीय चेतावनी सुनना – आपके और आपके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. अब आप भूकंप के बारे में जान गए हैं, तो अगली बार जब धरती हिले तो डरने से पहले इन उपायों को याद रखें.

तेलंगाना में 5.3 तीव्रता के भूकंप से दहशत, कई जिलों में अनुभव किए गए झटके
तेलंगाना के मुलुगु जिले में बुधवार की सुबह 5.3 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने कई जिलों में दहशत फैला दी। यह भूकंप 40 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था और इसके झटके खम्मम, भद्राद्री, और वारंगल जिलों के साथ ही आंध्र प्रदेश के कुछ इलाकों में भी महसूस किए गए। स्थानीय अधिकारी अतिरिक्त झटकों की निगरानी कर रहे हैं। फिलहाल किसी बड़ी हानि की खबर नहीं है।
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