बोनस इश्यू क्या है? सरल शब्दों में समझिए
जब कोई कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को अतिरिक्त शेयर मुफ्त में देती है, तो उसे बोनस इश्यू कहा जाता है। इस प्रक्रिया में आप बिना पैसा दिए अपनी स्टॉक की संख्या बढ़ा सकते हैं। अक्सर कंपनियां यह कदम तब उठाती हैं जब उनके पास कमाई या रिज़र्व होते हैं और वे अपने शेयरों की कीमत को स्थिर रखना चाहते हैं।
बोनस इश्यू से आपके पोर्टफोलियो में शेयरों की कुल मात्रा बढ़ती है, पर शेयर का मूल्य (price) उसी हिसाब से गिर सकता है क्योंकि कंपनी के पास अब अधिक शेयर चल रहे होते हैं। इस बदलाव को समझना जरूरी है ताकि आप अनावश्यक नुकसान न करें।
बोनस इश्यू कब देते हैं?
कंपनियां विभिन्न कारणों से बोनस जारी करती हैं:
- लाभांश के बजाय: अगर कंपनी को नकद लाभांश देना मुश्किल हो, तो वह मुफ्त शेयर देकर शेयरधारकों को रिवार्ड देती है।
- शेयर कीमत को आकर्षक बनाना: बड़ी संख्या में शेयर उपलब्ध करवाकर बाजार में तरलता बढ़ाई जाती है और नई निवेशकों का ध्यान खींचा जाता है।
- रिज़र्व्स का उपयोग: कंपनी के पास जमा रिज़र्व होते हैं; उन्हें शेयरों में बदलकर बोनस इश्यू किया जा सकता है।
- वित्तीय संरचना सुधारना: बुनियादी रूप से, अधिक शेयर होने से इक्विटी बेस बढ़ता है और बैलेंस शीट मजबूत दिखती है।
बोनस इश्यू की घोषणा आमतौर पर वार्षिक रिपोर्ट या विशेष बोर्ड मीटिंग के बाद आती है। आप इसे कंपनी के आधिकारिक नोटिस, स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट या अपने ब्रोकरेज पोर्टल से देख सकते हैं।
आपके निवेश पर बोनस इश्यू का असर
पहला असर यह है कि आपके पास शेयरों की कुल संख्या बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, यदि आप 100 शेयर रखते थे और कंपनी ने 1:5 बोनस दिया, तो अब आपके पास 600 शेयर होंगे। लेकिन साथ ही हर शेयर की कीमत लगभग वही हिस्से में गिर सकती है; यानी अगर पहले ₹500 था, तो नया मूल्य लगभग ₹83 हो सकता है। कुल मिलाकर आपका निवेश वैल्यू लगभग समान रहता है—बस शेयरों का बंटवारा बदल जाता है।
दूसरा फायदा यह है कि भविष्य में जब कंपनी डिविडेंड देती है, तो आपके पास अधिक शेयर होने से आपको ज्यादा डिविडेंड मिलेगा। वहीँ जोखिम यह है कि यदि बोनस के बाद शेयर की कीमत गिरती रहती है और कंपनी का प्रदर्शन खराब होता है, तो आपका कुल पोर्टफोलियो भी घट सकता है।
टैक्स संबंधी बातें भी ध्यान में रखें। भारत में बोनस इश्यू पर टैक्स नहीं लगता जब तक आप उसे बेचते नहीं हैं। बिक्री के समय आपको कैपिटल गैन्स टैक्स देना पड़ता है, इसलिए खरीद‑बेच की योजना बनाते समय इसको ध्यान में रखें।
बोनस शेयरों को संभालना भी आसान है—आपके डीमैट अकाउंट में ये स्वतः ही जुड़ जाते हैं। आपको कोई अलग फॉर्म या प्रक्रिया नहीं करनी पड़ती, बस कंपनी के नोटिस पर भरोसा रखें और अपने ब्रोकर से पोर्टफोलियो अपडेट की पुष्टि कर लें।
सारांश में कहा जाए तो बोनस इश्यू एक मुफ्त अवसर है, लेकिन इसे समझदारी से इस्तेमाल करना चाहिए। अगर आप शेयरधारक हैं, तो कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य को देखे बिना केवल बोनस पर भरोसा न करें। लाभांश, डिविडेंड और भविष्य की प्रोजेक्शन देखें—फिर तय करें कि ये बोनस आपके निवेश लक्ष्य में फिट बैठता है या नहीं।
अंत में, याद रखें: बोनस इश्यू से मिलने वाले मुफ्त शेयर आपके पोर्टफोलियो को बढ़ा सकते हैं, लेकिन सही समझ के बिना यह सिर्फ कागज़ी संख्या बन सकता है। हमेशा कंपनी की रिपोर्ट पढ़ें, बाजार की स्थिति देखें और फिर ही निर्णय लें।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में उछालः AGM में 1:1 बोनस इश्यू पर विचार
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर मूल्य में 2% से अधिक की वृद्धि देखी गई है क्योंकि कंपनी की आगामी वार्षिक आम बैठक (AGM) में 1:1 बोनस इश्यू पर विचार किया जाएगा। निवेशक इसे संभावित दीर्घकालिक मूल्य और तरलता में वृद्धि के रूप में देख रहे हैं।
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