CUET UG 2025 में एक बड़ा बदलाव करते हुए अब विद्यार्थियों के लिए 12वीं में पढ़े गए विषयों की पाबंदी को हटा दिया गया है, जिससे वे अधिक विविध स्नातक कार्यक्रमों का चयन कर सकते हैं। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने पात्रता मानदंडों को सरल बना दिया है, ताकि उम्मीदवार CUET (UG) में उन विषयों का चयन कर सकें जो उन्होंने पिछले शिक्षण वर्षों में नहीं पढ़े थे।
12वीं के विषयों से आगे बढ़कर अपनी पसंद चुनें
दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थान अब CUET में आधारित विषय स्कोर को अधिक प्राथमिकता देते हैं, भले ही किसी छात्र ने 12वीं में वे विषय न पढ़े हों। उदाहरण के लिए, B.Com. (Hons) के लिए अब छात्र, जिन्हें 12वीं में गणित की पढ़ाई नहीं की, वे भाषा सूची A से एक, लेखांकन और सूची B1 से दो अन्य विषयों का चयन कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, B.A. (Hons) Economics के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में 12वीं के किसी भी विषय के बावजूद गणित में उपस्थिति अनिवार्य है। छात्रों को अपनी पसंद के पाठ्यक्रमों के अनुरूप तीन सेक्शन्स (भाषा, डोमेन, जनरल टेस्ट) के अंतर्गत अधिकतम पांच विषय चुनने की स्वतंत्रता है।
विशेष विश्वविद्यालय और उनकी अनिवार्यताएँ
हालांकि, कुछ विशेष विश्वविद्यालयों की अपनी विशिष्ट अनिवार्यताएँ हो सकती हैं, जैसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के B.Sc. (Hons) Mathematics के लिए भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित की आवश्यकता होती है। साधारण टेस्ट (सेक्शन III) तब तक वैकल्पिक रहता है जब तक विश्वविद्यालय द्वारा विशेष रूप से मांगा न जाए।
इसलिए, छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे अपनाए गए पाठ्यक्रम के लिए विश्वविद्यालय की व्यक्तिगत दिशानिर्देशों की सावधानीपूर्वक समीक्षा करें ताकि वे पात्रता मानदंडों के अनुसार विषय का सही चयन कर सकें।
balamurugan kcetmca
मार्च 20, 2025 AT 19:12ये बदलाव बहुत बड़ा है असल में। मैंने अपने भाई को देखा जो 12वीं में बायोलॉजी ले रहा था लेकिन अर्थशास्त्र पढ़ना चाहता था, उसके लिए पहले तो रास्ता बंद था। अब वो CUET में लैंग्वेज सेक्शन से एक और डोमेन सेक्शन में अर्थशास्त्र और इकोनॉमिक्स चुन सकता है। ये नीति सिर्फ फॉर्मलिटी नहीं, बल्कि एक असली अवसर है जो बच्चों को अपनी रुचि के अनुसार करियर बनाने देती है। मैंने देखा है कि कई बच्चे अपने परिवार के दबाव में साइंस ले लेते हैं लेकिन दिमाग आर्ट्स या कॉमर्स की ओर घूमता है। अब वो अपने दिमाग के साथ चल सकते हैं। ये बदलाव सिर्फ NTA का नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ी जीत है। मैं अपने दोस्तों को भी ये जानकारी दे रहा हूँ कि अब तुम्हारे 12वीं के विषय तुम्हारी भविष्य की सीमा नहीं हैं। बस तुम्हें अच्छे से तैयारी करनी है और विश्वविद्यालय की शर्तें ठीक से पढ़ लेनी हैं। कोई भी विषय नहीं रोक सकता अब।
Arpit Jain
मार्च 22, 2025 AT 00:19ये सब बकवास है। अगर तुम्हारे 12वीं में गणित नहीं था तो तुम इकोनॉमिक्स में क्या करोगे? एक लड़का जिसने फिजिक्स नहीं पढ़ा वो इंजीनियरिंग कर सकता है? ये नीति तो बस उन बच्चों के लिए है जिनके पास घर में ट्यूशन का पैसा है और जो कोचिंग में फेक स्कोर बना लेते हैं। असली तालीम तो वो है जो तुम्हारे स्कूल में बनती है। अब तो ये बदलाव सिर्फ एक धोखा है जिससे नौकरी वाले भी खुश हो जाएंगे क्योंकि अब वो किसी भी बच्चे को ले सकते हैं बिना किसी बेसिक बैकग्राउंड के।
Karan Raval
मार्च 22, 2025 AT 02:35हां बहुत अच्छा हुआ अब बच्चे अपनी रुचि के हिसाब से चुन सकते हैं बस इतना ध्यान रखना है कि जो विषय चुन रहे हो उसके लिए तैयारी अच्छे से करें और विश्वविद्यालय की शर्तें जरूर चेक कर लें अगर आपको लगता है कि आपका विषय नहीं है तो कोचिंग ले लीजिए या ऑनलाइन वीडियो देखिए आप अकेले नहीं हैं और आपका सपना जरूर पूरा होगा
divya m.s
मार्च 23, 2025 AT 15:24ये बदलाव बस एक शर्मनाक नाटक है जिसे गवर्नमेंट ने बनाया है ताकि लोग उन्हें नए नेता समझें। असल में जो बच्चे गणित नहीं पढ़ते वो इकोनॉमिक्स में जाकर फेल हो जाते हैं और फिर विश्वविद्यालय को दोष देते हैं। ये नीति तो बच्चों को फंसाने के लिए बनाई गई है। दिल्ली यूनिवर्सिटी वाले तो खुद बोल रहे हैं कि गणित अनिवार्य है तो फिर ये सब क्या है? ये बदलाव बस एक लोगो बनाने का ट्रिक है जिसमें कोई असली समाधान नहीं है।
PRATAP SINGH
मार्च 24, 2025 AT 20:52यह बदलाव एक शिक्षा सुधार के रूप में तो दिखता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि यह एक निर्देशात्मक ढांचे के अंतर्गत व्यक्तिगत अध्ययन क्षमता को निर्धारित करने का एक असफल प्रयास है। एक छात्र जिसने बी.कॉम. (एचएन्स) के लिए गणित नहीं पढ़ा है, उसकी संख्यात्मक तर्क क्षमता का आकलन कैसे किया जाएगा? यह विश्वविद्यालयों के लिए एक गुप्त बोझ बन जाएगा जिसके लिए उन्हें अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता होगी। यह नीति एक आदर्शवादी दृष्टिकोण है जो व्यावहारिकता से दूर है।
Akash Kumar
मार्च 25, 2025 AT 08:53यह विकास भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। विश्वविद्यालयों के लिए विषयों के आधार पर चयन करना एक ऐसी प्रक्रिया है जो विद्यार्थियों के ज्ञान के विस्तार को बढ़ावा देती है। यह न केवल विविधता को बढ़ाता है, बल्कि उन छात्रों के लिए भी एक समान अवसर प्रदान करता है जो अपने स्थानीय शिक्षण संस्थानों में सीमित विषयों के साथ रहे हैं। यह नीति वैश्विक मानकों के अनुरूप है और भारत के शिक्षा लक्ष्यों के लिए एक आधारभूत आधार है।
Shankar V
मार्च 26, 2025 AT 21:42यह बदलाव किसी भी वैध शिक्षा नीति का हिस्सा नहीं है। यह एक गुप्त योजना है जिसका उद्देश्य छात्रों को असफल बनाना है। देखो, NTA ने यह बदलाव क्यों किया? क्योंकि वे जानते हैं कि ज्यादातर छात्र गणित में असफल हो रहे हैं और उन्हें निकालना है। फिर वे बोलते हैं कि गणित अनिवार्य है लेकिन वे उसे नहीं लागू करते। यह सिर्फ एक धोखा है। जब तक आपके पास गणित का बेसिक नहीं है, तब तक आप इकोनॉमिक्स में नहीं जा सकते। यह सब एक राजनीतिक चाल है। और हां, यह सच है।
Aashish Goel
मार्च 27, 2025 AT 13:09ओह ये बदलाव तो बहुत अच्छा हुआ लगता है लेकिन अरे यार बस एक बात बताओ कि अगर मैंने 12वीं में इकोनॉमिक्स नहीं पढ़ा तो क्या मैं उसे अच्छे से समझ पाऊंगा अगर मैं बस एक महीने में कोचिंग से तैयारी कर लूं? और ये सेक्शन III वाला जनरल टेस्ट क्या असल में जरूरी है या नहीं? मैंने देखा कि बनारस वाले कह रहे हैं कि फिजिक्स चाहिए तो क्या मैं अगर बायोलॉजी ले रहा हूं तो वहां जा सकता हूं? ये सब थोड़ा गड़बड़ है लेकिन अच्छा है कि अब चुनने का अधिकार है बस ज्यादा जानकारी चाहिए और अगर कोई गलती हो गई तो क्या वापस ले सकते हैं? बस एक बार जांच ले लेना चाहिए ना? और हां बहुत बढ़िया बदलाव है लेकिन थोड़ा ज्यादा जानकारी चाहिए