पश्चिम बंगाल के पर्निया से चुने गए स्वतंत्र सांसद पप्पु यादव ने एक साधारण ANI साक्षात्कार में राजनीति की धुरंधर कहानी को सामने रखा। उन्होंने दावा किया कि 2009‑14 के UPA‑2 दौर में तब पूर्व प्रधानमंत्री Manmohan Singh ने सीधे राहुल गांधी को प्रधान मंत्री का पद ऑफर किया था, लेकिन राहुल ने उसे ‘नहीं’ कह दिया। यह बात सुनकर कई लोग ठककर रह गए, क्योंकि इस तरह का ऑफर इतिहास में कभी नहीं सुना गया था।
दावा किस सन्दर्भ में उभरा?
पप्पु यादव ने बताया कि जब UPA‑2 सरकार को नई गठबंधन और संसद में समर्थन की जरूरत थी, तब मनमोहन सिंह ने एक निजी मीटिंग में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव रखा। वह ‘हार्वर्ड के जीनियस’ कहलाते हैं, इसलिए वह इस ‘सही फैसले’ को चुनते हुए सरकार के बंधनों से बचना चाहते थे। यादव ने कहा, “राहुल ने ‘कभी नहीं’ कहा, क्योंकि वह न्याय के सिद्धांतों पर दृढ़ रहे।”
यह बयान कई सवाल उठाता है। राहुल गांधी, जो 2004 में ही कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बन गए थे, उस समय 34 साल के थे और उन्होंने अभी अभी अपनी पढ़ाई पूरी की थी। अगर वास्तव में ऐसा कोई प्रस्ताव आया था, तो उसके पीछे पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन और गठबंधन राजनीति का बड़ा पहलू होना चाहिए।
रिपोर्ट के बाद की प्रतिक्रियाएँ
पप्पु यादव ने केवल राहुल की प्रशंसा ही नहीं, बल्कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तीखी निंदा की। उन्होंने कहा कि मोदी का ‘5‑इंच चेस्ट’ दिखाता है कि वह विदेश नीति में कमजोर हैं, जबकि यूक्रेन और ईरान जैसी वैश्विक घटनाएँ मजबूत नेतृत्व की मांग करती हैं। इस साक्षात्कार में उन्होंने संविधानिक अधिकारों और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लेख कर, कहा कि संसद के नियमों को ‘हटा दिया जा रहा है’।
- बिहार और बिहारी लोगों पर हुए हमले
- गरीबों के साथ हो रही उत्पीड़न
- देश में लोकतांत्रिक अधिकारों का क्षरण
यादव ने यह भी कहा कि जब तक इन मुद्दों को सरकार नहीं उठाएगी, तब तक संसद ‘काम नहीं करेगी’। मौसमी सत्र के तुरंत पहले ये बातें सामने आईं, जहाँ कई बिलों को पास करने की योजना है। विपक्ष के इस दबाव को देखते हुए कुछ मीडिया विश्लेषकों ने कहा कि यह बयान बाहर के तनाव को कम करने और नए एजेंडा को रेंज करने का प्रयास हो सकता है।
जब इस बात की खबर आई, तो कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस दावे को ‘बिना साक्ष्य के अटकलों’ के रूप में खारिज किया। वहीं भाजपा ने पप्पु यादव को ‘राजनीतिक हंगामा’ पैदा करने वाला कहा। कुछ विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि इस तरह के दावे चुनावी माहौल को गर्म करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, खासकर जब प्रत्यक्ष चुनाव की चर्चा तेज़ी से बढ़ रही होती है।
संसद की मौसमी सत्र में किन मुद्दों को प्रमुखता मिलेगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह स्पष्ट है कि पप्पु यादव का यह बयान, चाहे सच्चा हो या नहीं, राजनीति की रंगीन चमक में एक नया मोड़ जोड़ता है।
Tamanna Tanni
सितंबर 28, 2025 AT 05:00Rosy Forte
सितंबर 29, 2025 AT 15:07Yogesh Dhakne
सितंबर 30, 2025 AT 14:12kuldeep pandey
अक्तूबर 1, 2025 AT 08:22Hannah John
अक्तूबर 3, 2025 AT 05:41dhananjay pagere
अक्तूबर 4, 2025 AT 17:59Shrikant Kakhandaki
अक्तूबर 6, 2025 AT 17:25bharat varu
अक्तूबर 7, 2025 AT 01:15Vijayan Jacob
अक्तूबर 7, 2025 AT 02:31Saachi Sharma
अक्तूबर 8, 2025 AT 06:05