शेयर बाजार में लगातार दूसरा दिन गिरावट: निफ्टी 25,839 पर, सेंसेक्स 84,666 पर

शेयर बाजार में लगातार दूसरा दिन गिरावट: निफ्टी 25,839 पर, सेंसेक्स 84,666 पर
Anuj Kumar 9 दिसंबर 2025 1

मंगलवार, 9 दिसंबर 2025 को भारतीय शेयर बाजार लगातार दूसरे दिन भारी गिरावट के साथ बंद हुआ, जिसने निवेशकों को दो दिन में लगभग 11.46 लाख करोड़ का नुकसान पहुंचाया। बीएसई सेंसेक्स 436.41 अंक, यानी 0.51% की गिरावट के साथ 84,666.28 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स 120.90 अंक, यानी 0.47% के नुकसान के साथ 25,839.65 पर समाप्त हुआ। बाजार खुलते ही शुरुआती 15 मिनटों में ही निवेशकों को ₹4.34 लाख करोड़ का घाटा हुआ — यह उतना ही बड़ा नुकसान है जितना कि किसी बड़ी कंपनी का पूरा मार्केट कैप।

दिनभर बिकवाली, कोई रुकावट नहीं

सुबह 9:49 बजे बाजार खुला तो सेंसेक्स 639.59 अंक नीचे था, और निफ्टी 206.15 अंक गिर चुका था। लेकिन दिनभर कोई रिकवरी नहीं हुई। बिकवाली लगातार रही — न तो बैंकिंग स्टॉक्स ने सहारा दिया, न ही आईटी या ऑटो सेक्टर। बैंक निफ्टी 16.21 अंक गिरकर 59,222.35 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी आईटी 0.79% और ऑटो सेक्टर 0.67% की गिरावट के साथ नीचे रहा।

सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से सिर्फ 8 के शेयर हरे निशान में बंद हुए। एटरनल ने 2.30% की बढ़त के साथ बाजार का एकमात्र सकारात्मक संकेत दिया। वहीं, एशियन पेंट्स ने 4.61% की तेज गिरावट के साथ सबसे बड़ा नुकसान दर्ज किया — यह एक ऐसी कंपनी है जिसका शेयर पिछले दो हफ्तों में 22% बढ़ चुका था। अब निवेशक उस पर लाभ निकाल रहे हैं।

क्यों गिरा बाजार? फेड की नीति और अमेरिकी दबाव

विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट सिर्फ भारतीय बाजार की समस्या नहीं है। अमेरिकी बाजारों में भी लाल निशान थे। डाउ जोंस 0.45% गिरकर 47,739.32 पर बंद हुआ, एसएंडपी 500 0.35% कम होकर 6,846.51 पर रुका, और नैस्डेक 0.14% नीचे आया।

यह सब फेडरल रिजर्व की अगली बैठक से पहले की निवेशकों की बेचैनी का नतीजा है। जब तक फेड कोई स्पष्ट संकेत नहीं देता कि ब्याज दरें कब घटेंगी, निवेशक अपनी पोजिशन रीबैलेंस कर रहे हैं। गिफ्ट निफ्टी पिछले बंद भाव से 0.31% नीचे था — यह एक अंतरराष्ट्रीय संकेत था कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से दूर हो रहे हैं।

बढ़ती ट्रेजरी यील्ड्स ने भी दबाव बढ़ाया। अमेरिकी सरकारी बॉन्ड्स की ब्याज दरें बढ़ रही हैं, जिसका मतलब है कि निवेशक जोखिम वाले एशियाई एशेट्स से निकलकर सुरक्षित अमेरिकी बॉन्ड्स में जा रहे हैं। यही कारण है कि भारत में भी प्रॉफिट बुकिंग लहर आई — और यह लहर अभी खत्म नहीं हुई।

दो दिन, एक बड़ी गिरावट

सोमवार को भी बाजार ने ₹7.12 लाख करोड़ का नुकसान दर्ज किया था। उस दिन सेंसेक्स 610 अंक और निफ्टी 226 अंक गिर चुका था। दो दिन में कुल नुकसान ₹11.46 लाख करोड़ हो गया — यह भारत के वार्षिक स्वास्थ्य बजट से भी ज्यादा है।

बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप ₹4,64,55,202.42 करोड़ से घटकर ₹4,60,21,102.92 करोड़ पर आ गया। यह एक ऐसा विस्तार है जिसे अभी तक किसी ने नहीं देखा था — दो दिन में इतना बड़ा नुकसान जिसके बाद कोई रिकवरी नहीं आई।

अगला कदम क्या होगा?

अगले हफ्ते फेडरल रिजर्व की बैठक है। अगर वहां कोई ब्याज दर कम करने का संकेत मिलता है, तो भारतीय बाजार तेजी से वापस आ सकता है। लेकिन अगर फेड ने कहा कि ब्याज दरें अभी भी ऊंची रहेंगी, तो भारत में भी गिरावट जारी रह सकती है।

कुछ एनालिस्ट कह रहे हैं कि अब बाजार को एक तेज गिरावट के बाद एक छोटी रैली चाहिए — नहीं तो निवेशकों में डर फैल जाएगा। आज जिन 17 कंपनियों के शेयर निफ्टी में हरे निशान में बंद हुए, उनमें से कुछ बड़ी कंपनियां हैं — जैसे रिलायंस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज। अगर ये शेयर अगले दिन ऊपर आएं, तो बाजार को थोड़ी आशा मिल सकती है।

क्या यह एक बड़ी सुधार की शुरुआत है?

कुछ लोग इसे बाजार के अत्यधिक ऊंचाई के बाद सही सुधार कह रहे हैं। पिछले तीन महीनों में निफ्टी 18% बढ़ चुका था। ऐसे में कुछ लाभ निकालना स्वाभाविक है। लेकिन जब दो दिन में इतना बड़ा नुकसान हो जाए, तो यह सिर्फ सुधार नहीं, बल्कि एक संकेत है कि बाजार की नींव पर सवाल उठ रहे हैं।

अगर अगले दो सप्ताह में निफ्टी 25,500 के स्तर के नीचे चला जाता है, तो निवेशकों को अपनी रणनीति दोबारा सोचनी होगी। अभी तो लोग बिकवाली कर रहे हैं — लेकिन अगर यह चलता रहा, तो शायद अब बाजार के नीचे खरीदारी शुरू हो जाए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या इस गिरावट का कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की कमजोरी है?

नहीं, यह गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था की कमजोरी का परिणाम नहीं है। भारत का GDP विकास दर अभी भी 6.8% के आसपास है, और निर्यात बढ़ रहे हैं। यह गिरावट अमेरिकी ब्याज दरों और वैश्विक निवेशकों की प्रॉफिट बुकिंग की वजह से हुई है, जो अभी भी फेड की बैठक के इंतजार में हैं।

निफ्टी 50 के 33 शेयर क्यों गिरे?

निफ्टी 50 में शामिल 33 कंपनियों में बैंकिंग, आईटी, ऑटो और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे सेक्टर्स शामिल हैं, जो वैश्विक ब्याज दरों से सीधे जुड़े हैं। अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड बढ़ने से इन सेक्टर्स के शेयर्स की डिमांड कम हो गई, जिससे उनके मूल्य गिरे।

क्या अब शेयर खरीदना सही रहेगा?

अगर आप लंबी अवधि के निवेशक हैं, तो अभी अच्छे मौके मिल सकते हैं। एशियन पेंट्स जैसी कंपनियां जिनके शेयर 4.6% गिरे, लेकिन उनका बेसिक बिजनेस मजबूत है, वे अभी डिस्काउंट पर हैं। लेकिन शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स को इंतजार करना चाहिए — फेड की घोषणा के बाद ही बाजार का रुख साफ होगा।

बैंक निफ्टी क्यों इतना गिरा?

बैंक निफ्टी गिरा क्योंकि ब्याज दरों के बारे में अनिश्चितता के कारण बैंकों के लाभ मार्जिन पर सवाल उठ रहे हैं। अगर फेड ब्याज दरें घटाता है, तो बैंकों को लोन देने में आसानी होगी। लेकिन अगर दरें ऊंची रहीं, तो बैंकों के लाभ दब सकते हैं।

एशियन पेंट्स के शेयर इतने गिरे क्यों?

एशियन पेंट्स के शेयर पिछले तीन महीनों में 22% बढ़ चुके थे — यह एक बहुत तेज रैली थी। अब निवेशक उस लाभ को निकाल रहे हैं। इसके अलावा, बाजार में आर्किटेक्चर और कंस्ट्रक्शन सेक्टर के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं, जो इस कंपनी के लिए एक अप्रत्यक्ष दबाव है।

क्या यह गिरावट अगले महीने तक जारी रहेगी?

अगर फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों के घटाने का संकेत दिया, तो भारतीय बाजार अगले 10-15 दिनों में 3-5% तक बढ़ सकता है। लेकिन अगर फेड ने कहा कि दरें अभी ऊंची रहेंगी, तो निफ्टी 25,500 के स्तर के नीचे जा सकता है। अभी तक बाजार एक अस्थिर चरण में है — इंतजार करना ही बेहतर है।

1 टिप्पणि

  • Image placeholder

    RAJA SONAR

    दिसंबर 10, 2025 AT 22:02

    ये बाजार तो अब एक रियलिटी शो बन गया है जहां हर दिन कोई न कोई शेयर गिर रहा है और कोई न कोई एनालिस्ट अपना वीडियो अपलोड कर रहा है। जब तक फेड ने बोला नहीं तो ये गिरावट बस एक ड्रामा है। असली खतरा तो वो है जब लोग सोचना बंद कर दें कि ये सब क्यों हो रहा है।

एक टिप्पणी लिखें