
9 अक्टूबर 2023 को भारतीय बाजार में सिल्वर रेट ने कई प्लेटफ़ॉर्म पर नई ऊँचाइयाँ छू लीं। प्रमुख स्रोत Goodreturns.in ने बताया कि एक ग्राम चाँदी की कीमत ₹72.10 थी, जबकि एक किलोग्राम पर ₹72,100 का आंकड़ा सामने आया। उसी दिन हिंदुस्तान टाइम्स ने इसी आंकड़े को पुष्टि की, जिससे निवेशकों को त्वरित संकेत मिला कि भंडार में गति है। यहाँ से आगे समझते हैं कि यह आंकड़ा क्यों खास है और इसका असर किस तरह से अलग‑अलग खिलाड़ियों पर पड़ सकता है।
आज का सिल्वर रेट: प्रमुख आंकड़े
अधिकांश प्रमुख शहरों—जैसे मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता—में 1 ग्राम चाँदी की औसत कीमत ₹72.10 रही। उसी आधार पर 10 ग्राम पर ₹721, 100 ग्राम पर ₹7,210 और 1 किलोग्राम पर ठीक ₹72,100 का आंकड़ा दर्ज किया गया। यह दर पिछले दो दिनों से लगभग 1‑2% ऊपर रही, जो निवेशकों के लिये एक सकारात्मक संकेत माना गया।
फ्यूचर मार्केट का हालिया आंदोलन
डिसेम्बर 2023 समाप्ति वाले सिल्वर फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट ने Multi Commodity Exchange (MCX) पर 1.32% का उछाल दिखाया। इस बढ़ोतरी में ₹901 की वृद्धि शामिल थी, जिससे फ्यूचर की कीमत ₹69,071/kग्राम तक पहुँच गई। इस घटना को 9 अक्टूबर 2023 का सिल्वर फ्यूचर कतार के रूप में भी जाना जाता है। फ्यूचर ट्रेडर्स ने इस उछाल को मुख्यतः अमेरिकी डॉलर में हल्की गिरावट और भारत में मौसमी निवेश की बढ़ती माँग से जोड़ा।
विभिन्न स्रोतों के डेटा का तुलनात्मक विश्लेषण
डेटा को एक‑एक करके देखना ज़रूरी है। India Today ने MCX फ्यूचर को ₹69,071/kग्राम बताया, जबकि Editorji.com ने 10 ग्राम की औसत कीमत ₹721 के हिसाब से पुष्टि की। दूसरी ओर, Exchange‑Rates.org ने औंस के हिसाब से ₹1,821.57 की दर बताई, और Bullion Rates ने ग्रेम में ₹58.683 की संख्या प्रस्तुत की। इनमें अंतर मुख्यतः स्रोत के गणना‑आधार (स्पॉट, फ्यूचर, या शहर‑वार रिटेल) और स्थानीय टैक्स व आयात शुल्क के कारण है।
इतिहास और आगामी प्रोजेक्शन
साल 2023 का औसत सिल्वर प्राइस औंस में ₹1,932.15 रहा, जिसमें सबसे ऊँची कीमत 4 मई को ₹2,128.96 और सबसे नीची 8 मार्च को ₹1,642.94 रही। इस डेटा को Exchange‑Rates.org ने संकलित किया। जबकि Goodreturns.in 10 अक्टूबर 2025 तक सिल्वर प्रति ग्राम ₹167 और प्रति किलोग्राम ₹1,67,000 तक पहुँचने का अनुमान लगाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Trading Economics ने बताया कि 9 अक्टूबर 2025 को सिल्वर की कीमत $49.08/औंस तक बढ़ सकती है, जो पिछले साल की तुलना में 57.56% की छतरी वृद्धि दर्शाता है।

कीमतों पर असर डालने वाले प्रमुख कारक
कई कारक सिल्वर के स्पॉट और फ्यूचर दोनों को दिशा देते हैं:
- अमेरिकी डॉलर की ताकत—डॉलर गिरता है तो सिल्वर आमतौर पर महँगा हो जाता है।
- उद्योगिक मांग—ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक घटकों में सिल्वर की उपयोगिता बढ़ने से कीमतें ऊपर जाती हैं।
- निवेशीय मांग—भारत में धार्मिक समारोह (जैसे शनि व्रत) के दौरान चाँदी की माँग में स्फूर्ति आती है।
- आयात शुल्क और स्थानीय कर—विभिन्न राज्यों में अलग‑अलग टैक्स नीति कीमतों में भिन्नता बनाती है।
- संसदीय एवं रिज़र्व बैंक नीति—Reserve Bank of India की मौद्रिक नीति, विशेषकर मुद्रास्फीति नियंत्रण के उपाय, सीधे सिल्वर की हेजिंग क्षमता को प्रभावित करते हैं।
इतिहास से ज्ञात है कि जब महँगी सोने की कीमतें स्थिर रहती हैं, तब सिल्वर अक्सर निवेशकों के लिए वैकल्पिक आश्रय बन जाता है।
निवेशकों के लिए क्या मतलब है?
यदि आप पहली बार सिल्वर में निवेश करने का सोच रहे हैं, तो इस बात को ध्यान में रखें कि न्यूनतम ट्रेडिंग मात्रा MCX पर 100 ग्राम है, और शुद्धता 99% से ऊपर होनी चाहिए। छोटे निवेशकों के लिए दिल्ली की स्थानीय जौहरी दुकानों और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म दोनों पर शुद्ध सिल्वर कॉइन या बार उपलब्ध हैं।
ट्रेडिंग की दृष्टि से देखिये तो फ्यूचर में 1.32% की ताज़ा उछाल संकेत देती है कि अगले कुछ हफ्तों में कीमतें स्थिर या हल्की‑सी बढ़ सकती हैं। लेकिन अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की आगामी बैठक, CPI और PPI जैसे डेटा जारी होने पर बाजार मेंशॉर्ट‑टर्म वैरिएशन संभव है। इसलिए अपने पोर्टफ़ोलियो में सिल्वर को एक हेजिंग इंस्ट्रूमेंट के रूप में रखें, लेकिन साथ ही जोखिम प्रबंधन के लिए सीमित एक्सपोजर रखें।
- मुख्य तथ्य:
- 9 अक्टूबर 2023 को 1 ग्राम पर ₹72.10, 1 किलोग्राम पर ₹72,100.
- MCX फ्यूचर (दिसंबर 2023) पर 1.32% (₹901) की रोज़ाना बढ़ोतरी.
- 2023 का औसत सिल्वर मूल्य औंस में ₹1,932.15.
- 2025 तक अनुमानित कीमत $49.08/औंस (≈ ₹4,300/औंस).
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सिल्वर में निवेश करने के लिए न्यूनतम मात्रा क्या है?
MCX पर न्यूनतम ट्रेडिंग मात्रा 100 ग्राम है, जबकि रिटेल बाजार में 10 ग्राम से 1 किलोग्राम तक के बार या सिक्के उपलब्ध होते हैं। 99% शुद्धता वाला सिल्वर खरीदना सुरक्षित माना जाता है।
क्या विदेशी डॉलर की कीमत सिल्वर पर असर डालती है?
हाँ, सिल्वर की कीमत यूएस डॉलर के मुकाबले निर्धारित होती है। डॉलर कमजोर होने पर अंतरराष्ट्रीय खरीदार सिल्वर को महँगा मानते हैं, जिससे भारतीय बाजार में भी कीमतें बढ़ती हैं।
सिल्वर की कीमतों को कौन‑से भारतीय शहरों में सबसे ज्यादा असर मिलता है?
मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता में टैक्स, आयात शुल्क और स्थानीय मांग के कारण कीमतों में थोड़ा‑बहुत अंतर रहता है। इन शहरों के औसत को देखना सबसे विश्वसनीय रहता है।
भविष्य में सिल्वर की कीमतें कैसे बदल सकती हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार 2025 तक सिल्वर प्रति औंस $49‑$52 के बीच रहने की संभावना है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 50%‑से‑अधिक वृद्धि दर्शाता है। भारत में आर्थिक स्थिरता, मुद्रास्फीति और रीटेल मांग इस दिशा में मुख्य कारक होंगे।
क्या सिल्वर को रॉकेट निवेश माना जा सकता है?
सिल्वर अक्सर मुद्रास्फीति के खिलाफ हेज के रूप में प्रयोग किया जाता है, लेकिन इसकी कीमतें सोने जितनी स्थिर नहीं रहतीं। इसलिए इसे पोर्टफ़ोलियो का एक छोटा हिस्सा बनाकर निवेश करना सुरक्षित रहता है।
Shailesh Jha
अक्तूबर 10, 2025 AT 03:41सिल्वर रेट की मौजूदा ट्रेंड को देखते हुए कुछ टेक्निकल इन्फॉर्मेशन देना ज़रूरी है।
पहले यह समझना चाहिए कि स्पॉट प्राइस और फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में लैग कितना है।
फ्यूचर में दैनिक 1.32% की बढ़ोतरी का मतलब है कि बाजार में शॉर्ट‑टर्म लिक्विडिटी बढ़ रही है।
डॉलर डॉलर की वैरिएशन से सिल्वर की बाइनरी रिलेशनशिप अक्सर उलट जाती है, इसलिए फ्यूचर में डॉलर्स के इंडेक्स को मॉनिटर करना चाहिए।
डेटा के अनुसार 1 किलोग्राम पर ₹72,100 का स्तर एक साल में 20% से अधिक रिटर्न दे सकता है।
परन्तु इस रिटर्न को वास्तविक रूप में हासिल करने के लिए मार्जिन कॉल की संभावना को भी ध्यान में रखना होगा।
MCX पर न्यूनतम ट्रेडिंग क्वांटिटी 100 ग्राम है, जो छोटे निवेशकों को वैरिएशन के जोखिम से बचाता है।
स्पॉट मार्केट में टैक्स और राज्य‑वार कस्टम ड्यूटीज़ का असर कीमतों में अंतर पैदा करता है।
ज्यादातर बड़े शहरों में रीटेल प्राइस अल्पकालिक माँग की वजह से पॉइंट‑टू‑पॉइंट बियोंडर्स के साथ सिंक रहती है।
इंडिया टुडे के डेटा के मुताबिक, फ्यूचर प्राइस में 901 रुपये का इज़ाफा पिछले दिन के क्लोज़ से अधिकतम है।
इन कैरक्टर्स को समझकर एंट्री‑एग्ज़िट टाइम को ऑप्टिमाइज़ किया जा सकता है।
ऐसे में अगर आप हेजिंग स्ट्रेटेजी अपनाते हैं तो सिल्वर आपके पोर्टफ़ोलियो को इन्फ्लेशन के विरुद्ध मजबूत बना सकता है।
पर ध्यान रखें, सिल्वर की वोलैटिलिटी गोल्ड की तुलना में ज़्यादा होती है, इसलिए रिस्क मैनेजमेंट टूल्स का इस्तेमाल अनिवार्य है।
बाजार में कई बार फिड्युशियल ट्रीटमेंट के कारण प्राइस में टेम्पोरेरी डिप्लॉइमेंट देखा जाता है।
इसलिए ट्रेंड‑इंडिकेटर जैसे MACD या RSI को साथ में देखना समझदारी होगी।
अंत में, मुख्य बात यह है कि डेटा‑ड्रिवन डिसीजन लेना चाहिए, न कि सिर्फ़ अफ़वाहों पर भरोसा करना चाहिए।