
जब कनवार यात्रा 2025 का पहला दिन शुरू हुआ, तो शावन के पवित्र माह में लाखों शिवभक्त अपने पवित्र जल को लेकर गंगा से हरिद्वार तक की दूरी तय करने निकले। मेरठ से शुरू होकर बहराइचा तक फैले 540 किलोमीटर के मार्ग में सुरक्षा, स्वच्छता और चिकित्सा सुविधा के लिए प्रशासन ने बेमिसाल जुगाड़ किया।
पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक इतिहास
हर साल शावन महीने में होने वाली यह यात्रा मूल रूप से शिवभक्तों द्वारा गंगा जल लेकर शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने की परम्परा है। 2025 में, वाणिज्यिक ढाँचे और तकनीकी सहायता के कारण यात्रा के विस्तार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। पिछले साल की तुलना में इस बार 350 से अधिक कैंप स्थापित किए जाने की योजना थी, जबकि 2023 में केवल 301 कैंप लगे थे।
विस्तृत व्यवस्था और सुविधाएँ
पहली ही खबर में हृषिकेश भास्कर यशोद, विभागीय आयुक्त, मेरठ प्रशासन ने कहा, “सभी मार्गों में बिजली सप्लाई, स्वच्छता केंद्र और मेडिकल कैंप स्थापित किए गये हैं, ताकि यत्रियों को कोई रुकावट न हो।”
- 119 सुरक्षा बाधाएँ
- 184 विश्राम बिंदु
- 838 अस्थायी शिविर
- 184 मजिस्ट्रेट, 24 ज़ोन, 68 सेक्टर की निगरानी
इन आँकड़ों के पीछे भानु भास्कर, एडीजी, मेरठ ज़ोन, उत्तर प्रदेश पुलिस की कड़ी मेहनत है। उन्होंने कहा, “खाद्य पदार्थों की कीमत सूची प्रदर्शित करके अत्यधिक मूल्यवृद्धि को रोका गया है और स्वच्छ भोजन सुनिश्चित किया गया है।”
पुलिस और प्रशासनिक कदम
हापुड़ में पुलिस ने 18 जुलाई को विशेष सामुदायिक पहल शुरू की। अधिकारी मुलायम फल बांट रहे थे और पगडंडियों पर थके हुए यात्रियों को पैर की मालिश दे रहे थे। “वहां के पैर बहुत दर्द करते हैं, इसलिए उन्हें मालिश दी जाती है, फूल बरसाते हैं और मनोबल बढ़ाते हैं,” कुंवर ज्ञानजय सिंह, पुलिस अधिकारी ने बताया।
उत्तरी प्रदेश पुलिस ने 20 जुलाई को त्रिशूल, हॉकी स्टिक और इसी‑तरह के हथियारों पर प्रतिबंध लगाया। प्रतिबंध उन जिलों पर लागू था जहाँ यत्री मार्ग गुजर रहा है – जैसे मेरठ, मुजफ़रनगर, शमली, साहनपुर, बुलंदशहर, हापुड़ और बागपत। “किसी भी उल्लंघन पर एफआईआर दर्ज की जाएगी,” भानु भास्कर ने उल्लेख किया।
नोएडा पुलिस ने 11‑25 जुलाई तक एक विशेष ट्रैफ़िक advisory जारी किया। विपिन ताड़ा, एसएसपी, नोएडा ने बताया, “एक लेन कन्वारीयों को समर्पित है, जबकि बाकी लेन हल्के वाहनों के लिए खुली है।” भारी, मध्यम और हल्के वाणिज्यिक वाहन रात 10 बजे से दिल्ली‑गाज़ीपुर के मार्ग पर प्रतिबंधित हैं।
सीपी आलोक प्रीयदर्शी ने सुरक्षा उपायों की जानकारी देते हुए कहा, “1500 से अधिक सीसीटीवी कैमरे प्रत्येक मार्ग पर स्थापित किए जाएंगे, तथा हर कैंप में चार कैमरे से निगरानी की जाएगी।” यह सब छत्रवर्ती पुलिस कमांड के निर्देशों के तहत किया गया।

यात्रा का यातायात प्रभाव
दिल्ली‑मेरठ एक्सप्रेसवे (डीएमई) का 19 जुलाई से पाँच दिनों के लिए बंद होना एक बड़ा बदलाव था। हल्के वाहनों को हापुड़ मार्ग से एनएच‑9 तक मोड़ना पड़ा, जबकि भारी वाहन गाज़ीपुर‑गाजियाबाद की ओर प्रतिबंधित रहे। इस कारण गाजियाबाद में तीन मुख्य मार्ग – पाइपलाइन रोड, डीएमई, और एनएच‑34 – में भी भारी भीड़ भड़की।
पिछले साल की तुलना में, 2023 में ही इसी तरह के बंद होने से कई यात्रियों का वाहन एनएच‑9 पर फँस गया था, जिससे घंटों तक ट्रैफ़िक जाम बना रहा। इस बार प्रशासन ने वैकल्पिक मार्गों के लिये संकेत बोर्ड, लाइटिंग और इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले लगाए, जिससे यात्रियों को रूट बदलने में मदद मिली।
भविष्य की दृष्टि और निष्कर्ष
इस यत्रा में सबसे दिल छू लेने वाला दृश्य था – हापुड़ का 3 साल का बच्चा, अपने परिवार के साथ हरिद्वार की ओर बढ़ता हुआ। उसकी हँसी ने हर किसी के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी। विशेषज्ञों का मानना है कि आगे भी ऐसी बड़ी धार्मिक घटनाओं में तकनीकी सहयोग, रियल‑टाइम सूचना प्रणाली (वॉट्सऐप ग्रुप) और जन‑सुरक्षा उपायों को और सुदृढ़ किया जाएगा।
- इंटर‑स्टेट वॉट्सऐप ग्रुप से रीयल‑टाइम अपडेट
- डिजिटल साइन बोर्ड और इलेक्ट्रॉनिक दिशा‑निर्देश
- सुविधा‑केंद्रित कैंप नई तकनीक से लैस
अंत में, यदि इस वर्ष की मेहनत और व्यवस्था को देखते हैं, तो अगले साल की कनवार यात्रा और भी सुगम होगी, और श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के अपने पवित्र उपाय को पूरा करेंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कनवार यात्रा 2025 में कुल कितने कैंप लगते हैं?
प्रशासन ने इस साल 350 से अधिक कैंप स्थापित करने की योजना बनाई है, जो पिछले साल के 301 कैंप से लगभग 16% अधिक है। ये कैंप मेरठ, बुलंदशहर, बागपत और हापुड़ के विभिन्न सेक्टरों में बिखरे हुए हैं।
यात्रियों पर किन वस्तुओं का प्रतिबंध है?
उत्तर प्रदेश पुलिस ने त्रिशूल, हॉकी स्टिक, और ततिलक जैसी तेज़ हथियारों पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही बिना साइलेंसर के मोटरबाइक चलाने पर भी रोक है, जिससे ध्वनि प्रदूषण कम हो सके।
डेल‑मेरठ एक्सप्रेसवे बंद होने से कौन-कौन से वैकल्पिक रास्ते खुले?
डेल‑मेरठ एक्सप्रेसवे बंद रहने पर हल्के ट्रैफ़िक को हापुड़‑मार्ग से एनएच‑9 के माध्यम से गाज़ीबाद तक जाना पड़ता है। भारी वाहन गाज़ीपुर‑गाज़ीबाद के लिए एपीई, डीएनडी फ्लायवे और नोएडा एक्सप्रेसवे का उपयोग कर सकते हैं।
क्या यात्रियों को सुरक्षा के लिए कोई विशेष उपकरण प्रदान किए जाते हैं?
हापुड़ पुलिस ने पावन फल और पैर की मालिश जैसी सुविधाएँ दी हैं। साथ ही, सभी कैंप में सीसीटीवी कैमरों की बढ़ी हुई संख्या के कारण सुरक्षा की निगरानी 24 घंटे की जाती है।
उत्तरी प्रदेश पुलिस ने किस तरह की डिजिटल निगरानी लागू की है?
प्रत्येक कैंप में न्यूनतम चार सीसीटीवी कैमरे लगाते हुए, कुल 1,500 से अधिक कैमरों को स्थापित किया गया है। ये फुटेज ‘कनवार सेल’ द्वारा वास्तविक‑समय में मॉनिटर किए जाते हैं, जिससे किसी भी उलांघन को तुरंत पकड़ा जा सके।
Abhishek Agrawal
अक्तूबर 7, 2025 AT 03:38अब प्रशासन का अड़बड़ इंटजाम तो काबिले तारीफ़ है!!!
uday goud
अक्तूबर 7, 2025 AT 05:02सच में, इस कनवार यात्रा में तकनीकी जुगाड़ देखकर मन प्रसन्न हो उठता है!!! सरकार ने हर कदम पर इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड, व्हाट्सएप ग्रुप अपडेट और कैमरों की घना बाढ़ लगाई है-जैसे किसी बड़े फेस्टिवल की तैयारी हो!!! आम जनता को अब सुरक्षित महसूस होगा, क्योंकि हर कैंप में स्वच्छता केंद्र, मेडिकल टेंट और सैकड़ों सुरक्षा बल तैनात हैं। किन्तु यह देखना ज़रूरी है कि ये सब सुविधा केवल दिखावे तक सीमित न रहे, बल्कि वास्तविक सहायता में परिवर्तित हो।
Chirantanjyoti Mudoi
अक्तूबर 7, 2025 AT 06:25मैं इस आयोजन की चमक-दमक से इतना प्रभावित नहीं हूँ; असल में, इतने बड़े पैमाने पर भीड़ को संभालना जोखिम भरा है। प्रशासन का बेफ़िक्र होना कई बार ही दुखद दुर्घटनाओं का कारण बनता है, इसलिए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों की माँग करनी चाहिए।
Surya Banerjee
अक्तूबर 7, 2025 AT 07:48भाई लोग, ये कैंप की गिनती देख के लगता है जैसे जीत के पिटारे खोल लिये हों। 350 से जादा कैंप लगेंगे, पर असली बात तो ये है कि पानी, खाना और डॉक्टर की सुविधा टाइम पे मिलनी चाहिए। वरना सबका मज़ा ख़त्म हो जायेगा।