एंजेल टैक्स – क्या है और कैसे बचें?
आप ने शायद ‘एंजेल टैक्स’ शब्द सुना होगा, लेकिन इसका असली मतलब और असर समझ पाना आसान नहीं होता। मूल रूप से यह टैक्स उन कंपनियों पर लगता था जिनकी वैल्यू 25 करोड़ रुपये तक थी और जो बाहरी निवेश ले रही थीं। सरकार इसे एंजेल निवेशकों की हिस्सेदारी को ‘सही’ कीमत नहीं मानकर कर के रूप में लेती थी। अब इस नियम में कई बदलाव हुए हैं, जिससे स्टार्टअप्स को राहत मिली है।
नयी नियमों का सार
2024 के बाद से एंजेल टैक्स की सीमा 100 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी गई है और वैल्यूएशन के हिसाब से टैक्स अब लागू नहीं होता अगर कंपनी ने रजिस्टर किए हुए स्टार्टअप मानदंड पूरे किए हों। साथ ही, यदि आप ‘बिजनेस प्लान’ को सही दस्तावेज़ों में दर्ज करवाते हैं तो आयकर विभाग को आपके निवेश पर सवाल उठाना मुश्किल हो जाता है। ये बदलाव छोटे-छोटे उद्यमियों के लिए बड़ी राहत लेकर आए हैं।
स्टार्टअप के लिए व्यावहारिक टिप्स
पहला कदम – अपने कंपनी को आधिकारिक तौर पर ‘स्टार्टअप’ घोषित कराइए। स्टार्टअप इंडिया पोर्टल में रजिस्ट्रेशन मुफ्त है और इससे कई टैक्स लाभ मिलते हैं। दूसरा – एंजेल निवेशकों के साथ शेयर वैल्यूएशन का स्पष्ट समझौता लिखें, ताकि बाद में कोई विवाद न हो। तीसरा – अपने अकाउंटिंग को प्रोफेशनल रखें; सही बहीखाता रखने से आयकर रिटर्न भरना आसान रहता है और टैक्स ऑडिट से बचाव होता है।
अगर आप विदेशी फंडिंग ले रहे हैं, तो ध्यान दें कि ‘डबल टैक्स एग्रीमेंट’ का फायदा उठाकर दोहरे कर से बचा जा सकता है। भारत‑यूके ट्रेड डील में कई सेक्टर पर टैरिफ कटौती की बात हुई है, लेकिन स्टार्टअप्स के लिए यह विशेष रूप से फायदेमंद नहीं होता जब तक आप निर्यात या अंतरराष्ट्रीय बाजार में काम नहीं करते। फिर भी, सही कानूनी सलाह लेना हमेशा बेहतर रहता है।
एक आम गलती कई कंपनियां करती हैं – अपने निवेश को ‘गिफ्ट’ कह कर टैक्स बचाने की कोशिश करती हैं। यह तरीका आईआरएस के नजरों से तुरंत साफ़ हो जाता है और भारी जुर्माना लग सकता है। इसलिए, हमेशा वैध दस्तावेज़ीकरण रखें और टैक्स सलाहकार से परामर्श लें।
अगर आपका स्टार्टअप अभी शुरुआती चरण में है, तो एंजेल टैक्स की चिंता ज्यादा नहीं करनी चाहिए। जब तक आप ‘स्टार्टअप’ मानदंड (उच्च नवाचार, रोजगार सृजन, राजस्व सीमाएँ) पूरा करते हैं, टैक्स राहत आपके साथ रहेगी। लेकिन जैसे-जैसे आपका व्यवसाय बढ़ता है, वैल्यूएशन भी बढ़ेगा और फिर एंजेल टैक्स लागू हो सकता है, इसलिए पहले से योजना बनाना ज़रूरी है।
आपके पास कई विकल्प हैं – वैल्यूएशन को कम करके टैक्स बचाने के बजाय इसे सही तरीके से प्रबंधित करना बेहतर है। निवेशकों के साथ वार्तालाप में पारदर्शिता रखें और राउंड‑बाय‑राउंड फंडिंग का उचित समय तय करें। इससे न सिर्फ टैक्स समस्याएँ नहीं होंगी, बल्कि आपके व्यवसाय की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
संक्षेप में, एंजेल टैक्स अब पहले जैसा डरावना नहीं रहा। नई सीमा और स्टार्टअप मान्यता से आप आसानी से इसे नियंत्रित कर सकते हैं। सही दस्तावेज़ीकरण, प्रोफेशनल अकाउंटिंग और समय‑समय पर टैक्स सलाह लेना आपके व्यवसाय को सुरक्षित रखेगा।
अब जब आपको एंजेल टैक्स की पूरी तस्वीर मिल गई है, तो आप अपने स्टार्टअप को आगे बढ़ाने में ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। सवाल या मदद चाहिए? हमारे कमेंट सेक्शन में लिखें, हम जवाब देंगे।

बजट 2024: स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा, सेंटर ने एंजल टैक्स खत्म किया
स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए बड़ी राहत, भारतीय सरकार ने 2024 के बजट में सभी एसेट क्लासेस पर एंजल टैक्स समाप्त करने का प्रस्ताव रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह घोषणा की। इस कदम से स्टार्टअप्स को काफी लाभ होगा, क्योंकि एंजल टैक्स की समाप्ति उद्योग की पुरानी मांग थी।
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