इक्विटी ईटीएफ: आसान शब्दों में समझें और सही विकल्प चुनें
अगर आप शेयर बाजार में रुचि रखते हैं लेकिन सीधे स्टॉक्स खरीदने से डरते हैं, तो इक्विटी ईटीएफ आपके लिए एक अच्छा रास्ता है। ईटीएफ यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, जो कई कंपनियों के शेयरों को एक बास्केट (टोकरी) में रखता है और इसे आप बाजार में किसी स्टॉक की तरह खरीद‑बेच सकते हैं। इसका मतलब है कि एक ही लेनदेन से आप अलग‑अलग सेक्टर या बड़े‑छोटे दोनों कंपनी में निवेश कर लेते हैं, बिना हर शेयर को अलग‑अलग चुनने के झंझट के।
इक्विटी ईटीएफ क्यों अपनाएँ?
पहला फायदा है विविधीकरण। एक ही फंड में 30‑50 कंपनियों की हिस्सेदारी मिलती है, इसलिए किसी एक कंपनी का नुकसान पूरे पोर्टफ़ोलियो को नहीं बिगाड़ता। दूसरा, लागत कम होती है—मैनेजमेंट फीस आमतौर पर म्यूचुअल फंड से आधे या उससे भी कम रहती है। तीसरा, लिक्विडिटी. आप दिन‑भर में मार्केट के खुले समय में खरीद‑बेच कर सकते हैं, जैसे शेयर। और अंत में टैक्स की बात करें तो इक्विटी ईटीएफ का टैक्स उपचार स्टॉक्स जैसा ही होता है—1 साल से कम होल्डिंग पर 15% शॉर्ट‑टर्म कैपिटल गैन्स टैक्स, और 1 साल के बाद लंबा‑समय पर 10% (यदि LTCG > ₹1 लाख)।
इक्विटी ईटीएफ चुनते समय किन बातों का ध्यान रखें?
सबसे पहले देखें ट्रैक रिकॉर्ड। पिछले 3‑5 साल की रिटर्न चेक करें और देखे कि फंड किस इंडेक्स को फ़ॉलो कर रहा है—Nifty 50, Sensex या बैंका‑डेमेट। दूसरा, एसेट‑अंडर‑मैनेजमेंट (AUM) बड़ा हो तो फंड में लिक्विडिटी बेहतर रहती है। तीसरा, एक्स्पेंस रेशियो (TER) कम होना चाहिए; 0.05 %‑0.10 % के बीच अच्छा माना जाता है। चौथा, फंड की पूंजी संरचना—क्या वह बड़े‑कंपनी (कैपिटलाइज़्ड) पर ज्यादा फोकस करता है या मिड‑कैप/सेमिकैप में भी निवेश करता है। अंत में, यदि आप थीमैटिक निवेश चाहते हैं, तो “इन्फ्रास्ट्रक्चर”, “डिजिटलीजेशन” आदि सेक्टर‑स्पेसिफ़िक ईटीएफ देखें।
भारत में लोकप्रिय इक्विटी ईटीएफ के कुछ उदाहरण:
- Nippon India Nifty 50 ETF – निफ्टी 50 का सीधा फ़ॉलोयर, कम खर्चा, बड़ी लिक्विडिटी।
- SBI Nifty Bank ETF – बैंकिंग सेक्टर में निवेश, बैंकों के प्रदर्शन से रिटर्न मिलती है।
- ICICI Prudential MSCI World ETF – विदेशी मार्केट को एक्सपोज़र चाहिए तो इस पर नज़र डालें।
- Motilal Oswal Nifty Next 50 ETF – अगले बड़े 50 कंपनियों में निवेश, भविष्य के लीडर्स का बास्केट।
इन फंडों को खरीदने के लिए आपको केवल एक ट्रेडिंग खाता और डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ेगी। कई ऑनलाइन ब्रोकर्स अब बिना डिमैटरियलाइज़ेशन शुल्क के ईटीएफ ट्रेडिंग की सुविधा देते हैं, जिससे शुरुआती निवेशकों के लिये लागत कम होती है।
ध्यान रखें कि इक्विटी ईटीएफ भी बाजार जोखिम से मुक्त नहीं होते। अगर कुल मिलाकर शेयर मार्केट नीचे जाता है, तो आपका पोर्टफ़ोलियो भी घटेगा। इसलिए अपनी रिटर्न की उम्मीद को यथार्थवादी बनाएं और निवेश लक्ष्य के हिसाब से एसेट अलोकेशन तय करें—लॉन्ग‑टर्म में बचत, मिड‑टर्म में करियर या शिक्षा खर्च आदि।
संक्षेप में, इक्विटी ईटीएफ एक सस्ती, लचीली और विविधीकृत निवेश विधि है जो शुरुआती और अनुभवी दोनों प्रकार के निवेशकों को पसंद आती है। सही फंड चुनें, नियमित रूप से पोर्टफ़ोलियो की समीक्षा करें, और मार्केट की चाल पर नजर रखें—ऐसा करने से आप अपने पैसे को बेहतर तरीके से बढ़ा पाएंगे।

भारत के तेजी से बढ़ते ईटीएफ बाजार में Nifty 50 ETF का अव्वल स्थान: 95% की दावेदारी
भारत के तेजी से बढ़ते एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) बाजार में निफ्टी 50 ईटीएफ ने सबसे प्रमुख स्थान हासिल किया है, जो कुल इक्विटी ईटीएफ योजनाओं में 95% आस्तियों पर कब्जा करता है। एक अध्ययन के मुताबिक, ईटीएफ म्युचुअल फंड उद्योग की कुल संपत्ति का 13% है।
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