Manmohan Singh – भारत के दो दशकों के प्रधानमंत्री
जब हम Manmohan Singh, एक अर्थशास्त्री, दो बार भारत के प्रधान मंत्री, और आर्थिक उदारीकरण के प्रमुख योजनाकार को कहते हैं, तो उनके करियर में कई अहम मोड़ दिखते हैं। इस नाम को कभी‑कभी डॉ. मनमोहन सिंह भी कहा जाता है, जो अकादमिक से लेकर राजनीति तक का सफ़र तय कर चुके हैं।
उनका पहला बड़ा योगदान आर्थिक सुधार, 1991 के लिबेरलाइजेशन, विदेशी निवेश में वृद्धि और बीएसई‑एसएनएस प्रक्रियाओं की शुरुआत था, जब वह फाइनेंशियल फुलर थे। इस कदम ने भारतीय उद्योग को विश्व बाजार में लाया, बेरोज़गारी कम की और मध्यम वर्ग के लिए आय के नए स्रोत खोले।
दूसरी ओर, उनका विदेशी नीति, अमेरिका, यूरोप और एशिया के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना भी उल्लेखनीय है। उनके नेतृत्व में भारत ने कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिससे भारतीय एंबेसी के कामकाज में नई ऊर्जा आई और विदेश में भारतीय कंपनियों को अवसर मिला।
उनके कार्यकाल में डिजिटल इंडिया जैसी पहलें नहीं थी, पर उन्होंने सूचना‑प्रौद्योगिकी को सरकारी सेवाओं में शामिल करने की नींव रखी। ई‑गवर्नेंस के प्रोजेक्ट्स, जैसे कि राष्ट्रीय पोर्टल और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम, बाद में उनके नीतिगत वातावरण से उभरे। इससे आज भारत की डिजिटल प्रगति का आधार तैयार हुआ।
Manmohan Singh की नीति‑निर्धारण शैली तथ्यों और डेटा‑आधारित थी। वे अक्सर “त्रिपक्षीय संवाद” का प्रयोग कर निर्णय लेते थे – अर्थव्यवस्था, सामाजिक कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा को एक साथ जोड़ते हुए। इस दृष्टिकोण ने कई सामाजिक कार्यक्रमों को वित्तीय स्थिरता के साथ चलाना संभव बनाया।
उनके निजी जीवन की सरलता, पुस्तक‑प्रेम और विज्ञान के प्रति झुकाव ने कई युवाओं को प्रेरित किया। उन्होंने कई बार कहा था कि “शिक्षा ही सबसे बड़ी पूंजी है,” और यही बात उनके कई शैक्षिक सुधारों में झलकती है। उनके विचारों के प्रतिध्वनि अब भी कई शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ी जाती है।
अब आप इस पेज पर नीचे के लेखों में उनकी विभिन्न पहलों, अंतरराष्ट्रीय यात्राओं, आर्थिक डिक्लेरेशन और सामाजिक योगदान की गहराई देख सकते हैं। इन लेखों के माध्यम से आप समझ पाएँगे कि कैसे एक अर्थशास्त्री ने राष्ट्रीय राजनीति को पुनः आकार दिया और कौन‑से निर्णयों का असर आज भी महसूस किया जा रहा है।

राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह का पीएम पद ठुकराया: पप्पु यादव का चौंकाने वाला दावा
पप्पु यादव ने कहा कि राहुल गांधी ने UPA‑2 के दौरान मनमोहन सिंह का प्रधान मंत्री पद ठुकरा दिया। उन्होंने राहुल को ‘हार्वर्ड का जीनियस’ कहा और मोदी सरकार की आलोचना भी की। बिहार और लोकतांत्रिक अधिकारों की बातों को लेकर संसद की मौसमी सत्र से पहले चर्चा छिड़ी है।
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