शावन – हिंदू कैलेंडर का शरद महीना

जब बात शावन, हिंदू पञ्चांग का सातवाँ महीने और शरद ऋतु का प्रमुख भाग की आती है, तो दिल में कई यादें जागती हैं। इस महीने का नाम सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से आया है, इसलिए इसे अक्सर ‘अंत्य ऋतु’ कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर, सौर‑चंद्र गणना पर आधारित पारम्परिक समय‑सारिणी में शावन का स्थान विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यही वह समय है जब कई धर्मिक व्रत और त्यौहार शुरू होते हैं। शावन का मौसम न केवल धार्मिक, बल्कि कृषि‑पर्यावरणीय पहलुओं से भी जुड़ा हुआ है – थोड़ी ठंड, हल्की धूप और बरसात के बीच फसलें पकती हैं, जिससे किसान मौसमी कटाई की तैयारी करते हैं। इस तरह शावन समय‑संदर्भ और सांस्कृतिक परम्परा दोनों को जोड़ता है।

शावन के प्रमुख पहलू – व्रत, मौसम, और कृषि

शावन व्रत, निश्‍चिन्‍ह समय‑परिपूर्ण धार्मिक उपवास जो शरद ऋतु में लोकप्रिय है के लिए मशहूर है। कई लोग सोमवार को विशेष रूप से शीरन, लहसुन, अरहर दाल और खजूर खाते हैं, जबकि कुछ ‘अन्नकूट’ व्रत या ‘काँटा’ व्रत भी अपनाते हैं। इस दौरान सामाजिक संगठनों में दान‑पुण्य की भावना तेज़ हो जाती है, जिससे समुदाय में सहयोग बढ़ता है। मौसम की बात करें तो शावन शरद ऋतु, शरद के पहले तीन महीने, धुंध और हल्की बारिश से भरपूर के साथ आता है, जो फसल की फस्ल को सुखद बनाता है। किसान इस समय धान, गन्ना और ज्वार की बुवाई को अंतिम रूप देते हैं, क्योंकि बरसात की मुलायम बारिश फसल को पोषित करती है। साथ ही, इन महीनों में जलस्रोतों का स्तर बढ़ता है, जिससे जल संरक्षण के उपायों पर भी दायरा बढ़ता है। इस प्रकार शावन आध्यात्मिक और प्राकृतिक दोनों क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाता है।

नीचे की सूची में आप देखेंगे कि शावन महीने से जुड़ी आज की ताज़ा खबरें क्या कह रही हैं – चाहे वह खेल, मौसम, राजनीति या विज्ञान हो। प्रत्येक लेख इस महीने के विभिन्न आयामों को उजागर करता है, जिससे आप शावन के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभावों को बेहतर समझ सकेंगे। तो चलिए, इस शरद महीने के विविध पहलुओं को मिल‑जुलकर देखते हैं और जानते हैं कि शावन हमारे रोज़मर्रा जीवन में कैसे असर डालता है।

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Anuj Kumar 7 अक्तूबर 2025 16

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