Tax Rebate क्या है और कैसे मिलती है?
When working with Tax Rebate, सरकार द्वारा निर्दिष्ट आय या खर्च पर मिलने वाली कर छूट जो आपके टैक्स देयता को घटा देती है. Also known as टैक्स रिबेट, it helps taxpayers retain more of their earnings. इस शब्द को अक्सर आयकर के साथ जोड़ा जाता है, लेकिन यह सिर्फ आयकर ही नहीं, विभिन्न करों में लागू हो सकता है।
एक अन्य प्रमुख इकाई Income Tax, व्यक्तियों और कंपनियों की आय पर लगने वाला मुख्य कर है। Income Tax के नियमों में रिबैट का सीधा संबंध है क्योंकि कई कटौतियाँ और छूटें रिबैट के तहत आती हैं। अगर आप अपने वार्षिक फॉर्म 16 को सही से पढ़ेंगे, तो समझ पाएँगे कि कौन‑से खर्चों पर रिबैट लागू होता है।
Tax Rebate के प्रमुख प्रकार
रिबैट के दो मुख्य रूप होते हैं: व्यक्तिगत रिबैट और व्यापारिक रिबैट। व्यक्तिगत रिबैट में सेक्शन 80C, 80D, 80G जैसी आयकर छूटें शामिल हैं। ये छूटें निवेश, बीमा प्रीमियम, दान आदि पर मिलती हैं। व्यापारिक रिबैट में GST Rebate, विक्रय पर लगने वाले वस्तु एवं सेवा कर में छूट या रिफण्ड प्रमुख है, जिससे छोटे उद्यमों को नकदी प्रवाह में आराम मिलता है।
रिबैट पाने के लिए सबसे पहला कदम है अपने खर्चों को सही ढंग से वर्गीकृत करना। उदाहरण के लिए, जीवन बीमा प्रीमियम, पब्लिक पेंशन फंड, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र आदि अक्सर रिबैट योग्य होते हैं। अगर आप इनका दस्तावेज़ीकरण कर रहे हैं, तो आयकर रिटर्न फाइल करते समय इनको जल्दी से जोड़ सकते हैं।
रिबैट का दूसरा पहलू है समय‑सीमा। अधिकांश रिबैट नियम वित्तीय वर्ष के अंत तक लागू होते हैं, पर कुछ छूटें वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही ली जा सकती हैं, जैसे कि प्री‑पेड किराया या शिक्षा शुल्क। इसलिए योजना बनाते समय कैलेंडर को ध्यान में रखना अहम है।
भरोसेमंद रिबैट पाने के लिये सही फ़ॉर्म भरना अनिवार्य है। आयकर रिटर्न में ITR‑1 से ITR‑5 तक कई विकल्प होते हैं, पर आपका चयन आपके आय स्रोतों पर निर्भर करता है। अगर आप फ्रीलांसर हैं तो ITR‑3 या ITR‑4 बेहतर हो सकता है। सभी फ़ॉर्म में रिबैट सेक्शन को भरना न भूलें, क्योंकि छोटा सा चूक्का आपको बड़ी बचत से वंचित कर सकता है।
वित्तीय योजना बनाते समय रिबैट को एक साधन के रूप में देखना चाहिए, न कि आखिरी विकल्प। यदि आप पहले से ही सिप (सिस्पेंड) या पपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) में निवेश कर रहे हैं, तो ये निवेश रिबैट के लिए स्वाभाविक रूप से योग्य होते हैं। साथ ही, डिपॉज़िट इंटरेस्ट, गृह ऋण ब्याज, और शिक्षा खर्च भी रिबैट के दायरे में आते हैं, बशर्ते वे निर्धारित हद में हों।
हालिया बजट में कई नई रिबैट नीतियां आयी हैं, जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहन खरीद पर अतिरिक्त टैक्स छूट और किफायती आवास रिबैट का विस्तार। इन बदलावों को फॉलो करने से आप नयी शर्तों के तहत अतिरिक्त फायदा उठा सकते हैं। इसलिए वित्तीय समाचार और आधिकारिक आयकर वेबसाइट पर अपडेट्स देखते रहना फायदेमंद रहेगा।
आम गलतियां जो लोग अक्सर करते हैं, उनमें रसीदें न रख पाना, रिबैट योग्य खर्चों को गलत वर्गीकृत करना, और आयकर रिटर्न फाइल करने में देर करना शामिल है। इन गलतियों से बचने के लिये एक सरल तरीका है—हर खर्च की डिजिटल कॉपी सुरक्षित रखें और एक ट्रैकिंग शीट में टैग करें कि कौन‑सा खर्च किस रिबैट श्रेणी में आता है।
अंत में, Tax Rebate को समझना और सही ढंग से लागू करना आपके वित्तीय स्वास्थ्य को काफी सुधार सकता है। नीचे आप विभिन्न टैक्स रिबेट से जुड़ी नवीनतम खबरें, विशेषज्ञ टिप्स, और विस्तृत गाइड देखेंगे जो आपको अगले टैक्स सीजन में बेहतर तैयारी में मदद करेंगे।

CBDT ने स्पष्ट किया: सेक्शन 87A रिबेट नहीं मिलेगा शॉर्ट‑टर्म कैपिटल गेन पर, ड्यूज भरें 31 दिसंबर तक
CBDT के नवीनतम परिपत्र 13/2025 में कहा गया है कि शॉर्ट‑टर्म कैपिटल गेन (STCG) पर सेक्शन 87A रिबेट नहीं दिया जाएगा। 2023‑24 के फ़ाइनेंशियल ईयर में कई टैक्सपेयरों ने यह रिबेट गलत ढंग से दावा किया था। अब त्रुटि सुधार के बाद नई टैक्स डिमांड जारी होगी, पर 31 दिसम्बर 2025 तक भुगतान करने पर ब्याज माफ़ किया जाएगा। यह दिशा‑निर्देश कई न्यायालयीय निर्णयों के बाद आया है, पर आयकर विभाग की रुख़ वही रहता है।
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