
मैच का सारांश
चेस्टर‑ले‑स्ट्रीट के बैंक्स होम्स रिवरसाइड में 3rd ODI का माहौल बहुत ही रोमांचक था। पहले दो मैचों की बराबरी के बाद, दोनों टीमों के लिए यह जीत का अंतिम अवसर बन गया था। भारत ने पहले ओडीआई को जीत कर शुरुआती बढ़त हासिल कर ली थी, जबकि इंग्लैंड ने लर्ड्स में बारिश‑से प्रभावित दूसरे मैच में 8 विकेट से जीत हासिल करके सीरीज को बराबर कर दिया था।
तीसरे मैच में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का विकल्प चुना। शुरुआती ओवरों में विकेट गिरते रहे, परन्तु 50‑फोकस के बाद जब हरमनप्रीत कौर ने खुद को बर्तन में संभाला, तब का आक्रमण ही मैच का मोड़ बन गया। वह 84 गेंदों में 102 रन बनाकर न सिर्फ़ अपनी टीम को एक ठोस पनिटर बनाकर ली, बल्कि बाकी खिलाड़ी भी पीछे नहीं रह पाए।
कौर के साथ जेमिमाह रोड्रिगेज़ ने 45 गेंदों में 50 रन की तेज़ पारी खेली, जिससे भारत का स्कोर 226/4 के पास पहुंच गया। यह स्कोर इंग्लैंड की पिच पर लाईन पर आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त माना गया, परंतु इंग्लैंड की बैंटलेट और वॉस के साथियों को तेज़ बॉलिंग ने कई मौके खींच लिए।
इंग्लैंड ने जवाबी बैटिंग में एमा लैम्ब को 81 गेंदों पर 68 रन बनाकर अच्छी शुरुआत दिलवाई। लेकिन उनके बाद के पारियों में विकेटों की बरबादी ने लक्ष्य को निचले स्तर पर रख दिया। अंत में इंग्लैंड 213 पर सभी आउट हो गया, जिससे भारत को 13 रन का अंतर से जीत मिली।

मुख्य खिलाड़ी और उनके योगदान
इस जीत में सबसे बड़ा योगदान Harmanpreet Kaur का रहा। उनका शतक न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि थी, बल्कि भारत के लिए एक बेंचमार्क भी स्थापित करता है। उन्होंने अच्छी बीटिंग के साथ-साथ टीम को स्थिरता भी दी, जिससे नए बैट्समैन अपना खेल दिखा सके।
जेमिमाह रोड्रिगेज़ की तेज़ 50 ने स्कोरिंग रेट को बढ़ाया और कौर के साथ उनका साझेदारी 115 रन की रही, जो भारत के कुल को मजबूत बनाने में अहम रही। स्मृति मंडाना और रिचा घोष ने भी 20‑30 रन की छोटे-छोटे योगदान देकर टीम को आगे बढ़ाया।
इंग्लैंड की ओर से एमा लैम्ब की 68 गेंदों पर 68 रन की पारी सराहनीय थी। उनका वैगड़नर्स और मध्यम बॉलिंग के साथ संतुलन बना रहा, परंतु टपरी आल्फ़ा थर्ड डेवलपमेंट के अभाव ने इंग्लैंड को उलझन में डाल दिया। टॉमी बेक्वेट और एमी जोंस ने भी स्थिरता दिखाने की कोशिश की, परन्तु अंत तक लक्ष्य सिद्ध नहीं हो पाया।
बॉलिंग विभाग में भारत की तेज़ बॉलिंग इकाई ने महत्वपूर्ण बढ़त ली। तेज़ गेंदबाज़ी में दीप्टी शर्मा, अनुज चॉपर और हननिंग शामिल थे, जिन्होंने शॉर्ट्स में लगातार दबाव बनाया। इंग्लैंड की स्पिनर सोफ़ी इक्लेस्टोन ने भी 2 विकेट लिए, लेकिन वह कबाबे में नहीं रह पाई।
कुल मिलाकर इस सीरीज ने दिखाया कि महिला क्रिकेट अब परिपक्व स्तर पर पहुंच चुका है। दोनों देशों की टीमों ने एथलेटिक कोर, रणनीतिक फील्डिंग और टैक्टिकल बैटिंग का मिश्रण पेश किया, जिससे दर्शक लगातार रोमांचित रहे। भारत की यह जीत आगामी विश्व कप और चैंपियनशिप के लिए आत्मविश्वास का स्रोत बनती है, जबकि इंग्लैंड को अपने खेल में कुछ असंतुलन सुधारने की जरूरत महसूस होगी।