भारतीयडू 2 रिव्यू: दमदार कास्ट के बावजूद निराशाजनक सीक्वल
प्रतिष्ठित निर्देशक एस. शंकर और महान अभिनेता कमल हासन की फिल्मों की जोड़ी ने हमेशा दर्शकों को काफी उम्मीदें दी हैं। लेकिन उनकी नई फिल्म 'भारतीयडू 2' इन उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती है। यह फिल्म काजल अग्रवाल, सिद्धार्थ, और रकुल प्रीत सिंह जैसे दमदार अभिनेताओं के बावजूद एक निराशाजनक सीक्वल साबित होती है। फिल्म को देखने के बाद, आप इस सोच में डूब जाएंगे कि इतनी बेहतरीन कास्ट और उच्च स्तर की प्रोडक्शन वैल्यू के बाद भी फिल्म क्यों अधूरी रह गई।
समीक्षा
'भारतीयडू 2' का रिव्यू 5 में से 2.5 स्टार्स दिया गया है और यह दिलचस्प है कि फिल्म ने कहीं न कहीं दर्शकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। फिल्म की कहानी पहले भाग की तुलना में कमज़ोर लगती है और कई जगहों पर यह बिल्कुल भी प्रभावशाली नहीं जान पड़ती।
कमल हासन, जो अपनी अदाकारी के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने अपने किरदार को बखूबी निभाया है। लेकिन उनकी मेहनत फिल्म की कमजोर स्क्रिप्ट के बावजूद भी फिल्म को उठाने में विफल साबित होती है। काजल अग्रवाल, सिद्धार्थ, और रकुल प्रीत सिंह जैसे अनुभवी अभिनेताओं ने भी अपनी मेहनत से फिल्म को बचाने की कोशिश की है, लेकिन कुछ खास नहीं हो पाया।
अनिरुद्ध का संगीत
फिल्म का संगीत अनिरुद्ध रविचंदर द्वारा तैयार किया गया है। उनके संगीत की हमेशा तारीफ होती है और इस बार भी उन्होंने अपने प्रशंसकों को निराश नहीं किया। फिल्म के गाने और बैकग्राउंड स्कोर कहीं-कहीं पर दर्शकों को बांधकर रखते हैं, लेकिन कहानी और निर्देशन की कमजोरियों के कारण संगीत भी उतना प्रभाव नहीं डाल पाता जितना डाला जा सकता था।
कहानी की कमजोरी
पहली फिल्म, जिसे 1996 में रिलीज़ किया गया था, उसने सामाजिक न्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया था। वहीं दूसरी फिल्म इस संदेश को आगे नहीं बढ़ा पाई। 'भारतीयडू 2' की कहानी एक कमजोर पटकथा पर आधारित है जो फिल्म को एक सही दिशा देने में असमर्थ रहती है। कई जगहों पर कहानी बेजान लगती है और दृश्य भी प्रभाव छोड़ने में असफल होते हैं।
फिल्म के कुछ हिस्सों में थोड़ी बहुत तेजी नजर आती है, लेकिन जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, कहानी आपको निराश करने लगती है। यह फिल्म देखने के बाद आपको यही महसूस होगा कि अगर इसकी पटकथा पर थोड़ी और मेहनत की गई होती तो यह फिल्म एक महान कृति बन सकती थी।
निर्देशन
एस. शंकर हमेशा से अपनी अनूठी सोच और उसे पर्दे पर उतारने की कला के लिए जाने जाते हैं। परंतु इस बार उनका निर्देशन भी कमजोर साबित होता है। ऐसा लगता है जैसे उन्होंने अपनी पुरानी फिल्मों की फ्रेम और फॉर्मूलों को ही इस फिल्म में प्रस्तुत करने की कोशिश की है। हालांकि देखा जाए तो उन्होंने अपने हिस्से की मेहनत की, लेकिन कहानी की कमजोरियों के कारण यह फिल्म अपनी छाप छोड़ने में असफल रहती है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, 'भारतीयडू 2' एक निराशाजनक सीक्वल साबित होती है। भले ही फिल्म की कास्ट और प्रोडक्शन वैल्यू बेहतरीन हो, लेकिन कहानी और निर्देशन की कमजोरियां इसे एक औसत दर्जा की फिल्म बनाते हैं। फिल्म देखते वक्त आप यही सोचते रहेंगे कि इतनी अधिक संभावना होते हुए भी यह फिल्म क्यों अधूरी रह गई।
अगर आप कमल हासन या एस. शंकर के बड़े फैन हैं, तो आप इस फिल्म को एक बार देख सकते हैं, लेकिन यह आपके लिए एक यादगार अनुभव साबित नहीं होगी। फिल्म के संगीत को छोड़कर और कुछ खास नहीं है जो दर्शकों को बांध सके। इसलिए, यह फिल्म उन लोगों को निराश कर सकती है जो बड़ी उम्मीदों के साथ इसे देखने जाते हैं।
Tamanna Tanni
जुलाई 13, 2024 AT 00:30Rosy Forte
जुलाई 13, 2024 AT 02:43Yogesh Dhakne
जुलाई 15, 2024 AT 01:37kuldeep pandey
जुलाई 15, 2024 AT 17:42Hannah John
जुलाई 16, 2024 AT 13:04dhananjay pagere
जुलाई 16, 2024 AT 14:29Shrikant Kakhandaki
जुलाई 17, 2024 AT 01:15bharat varu
जुलाई 18, 2024 AT 19:03Vijayan Jacob
जुलाई 20, 2024 AT 18:40Saachi Sharma
जुलाई 22, 2024 AT 02:38