भारतीय संसद में पहली बार लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव
भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव की नौबत आ गई है। यह चुनाव 26 जून को होगा और यह स्थिति उस समय उत्पन्न हुई जब सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन पाई। INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार के. सुरेश ने अपने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है, जबकि NDA से ओम बिड़ला ने भी अपनी दावेदारी पेश की है।
विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी के आरोप-प्रत्यारोप
विपक्ष का आरोप है कि भाजपा ने इस महत्वपूर्ण पद के लिए उनके साथ कोई चर्चा नहीं की और अपनी पसंद के उम्मीदवार को थोपने का प्रयास किया। परंपरागत रूप से लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चयन आम सहमति से किया जाता है, लेकिन इस बार परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं। भाजपा नेता पीयूष गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पूरे सदन के होते हैं, न कि किसी पार्टी या समूह के, और उनका चुनाव सर्वसम्मति से होना चाहिए।
डिप्टी स्पीकर पद को लेकर भी हैं विवाद
विपक्ष की मांग है कि अगर NDA के उम्मीदवार ओम बिड़ला को स्पीकर चुना जाता है, तो उन्हें डिप्टी स्पीकर का पद दिया जाना चाहिए। इस मांग के मद्देनजर, भाजपा के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी नेताओं के साथ चर्चाओं का प्रयास किया था, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई।
NDA और INDIA ब्लॉक के आंकड़े
लोकसभा में स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद, NDA और INDIA ब्लॉक के बीच सहमति नहीं बनने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। 543 सदस्यीय लोकसभा में NDA के पास 293 सांसद हैं, जबकि INDIA ब्लॉक के पास 234 सांसद हैं।
अगले कदम
26 जून को होने वाले इस चुनाव से पहले भारतीय राजनीति में हलचल और बढ़ने की संभावना है। राष्ट्रपति मुर्मु के 27 जून को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के कार्यक्रम के पहले यह चुनाव विशेष महत्व रखता है।
यह स्थिति भारतीय संसद के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, जहाँ विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी के बीच बेहतर संवाद और सहमति की आवश्यकता और अधिक अनुभव की जा सकती है।
चुनाव की प्रक्रिया
चुनाव की प्रक्रिया में सबसे पहले नामांकन दाखिल किए जाते हैं, फिर निर्वाचन आयोग द्वारा इन नामांकनों की जांच होती है। इसके बाद सदन में मत विभाजन के माध्यम से मतदान किया जाता है। इस बार का लोकसभा स्पीकर चुनाव सिर्फ सदन के सदस्यों के बीच की राजनीतिक खींचतान को नहीं, बल्कि संपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया की प्रभावशीलता को भी परखने का अवसर प्रदान करेगा।
विपक्ष का रुख
विपक्षी दलों की प्राथमिकता सिर्फ स्पीकर पद ही नहीं, बल्कि डिप्टी स्पीकर पद भी है, जिससे वे सदन में अपनी भूमिका को और प्रभावी बना सकें। यह होने वाले चुनाव में विपक्ष की रणनीति क्या होती है, यह देखने योग्य होगा।
भाजपा का कहा
भाजपा ने स्पष्ट किया है कि वे लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करते हैं और स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों पदों के लिए आम सहमति बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
इस चुनाव का परिणाम चाहे जो भी हो, इसका प्रभाव भारतीय लोकतंत्र के भविष्य और कार्यप्रणाली पर गहरा असर डालेगा।
Vitthal Sharma
जून 27, 2024 AT 11:09ये चुनाव तो बस एक राजनीतिक नाटक है। स्पीकर कोई पार्टी का नहीं, संसद का होना चाहिए।
chandra aja
जून 29, 2024 AT 05:14इसके पीछे CIA और R&AW का हाथ है... दोनों पार्टियाँ एक दूसरे को बर्बाद करने के लिए बनाई गई हैं। ये सब एक बड़ा गेम है।
Sutirtha Bagchi
जून 30, 2024 AT 12:49ओम बिड़ला को दे दो स्पीकर का पद! 😤 वरना मैं तुम सबको रोक दूंगी! 🤬
Abhishek Deshpande
जुलाई 1, 2024 AT 05:41क्या आपने ध्यान दिया? भाजपा के पास 293 सीटें हैं, और विपक्ष के पास 234... लेकिन फिर भी वे चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं? यह लोकतंत्र की मूल अवधारणा के खिलाफ है।
vikram yadav
जुलाई 1, 2024 AT 15:25भारत की संसद का इतिहास देखो, तो आपको पता चलेगा कि स्पीकर का पद कभी भी एक पार्टी का नहीं, बल्कि संसद का होता है। अब जब तक यह बात समझ नहीं आएगी, तब तक ये लड़ाइयाँ चलती रहेंगी। देश के लिए ये खतरनाक है।
मैंने 1980 के दशक में भी ऐसा देखा था-जब लोकसभा में भी एक बार चुनाव हुआ था। तब भी सबने अपने अहंकार को छोड़ दिया था। आज की पीढ़ी को वो इतिहास सीखना चाहिए।
हम सब भारतीय हैं। ये सिर्फ एक पद नहीं, ये एक प्रतीक है। एक ऐसा प्रतीक जो बातचीत की शक्ति को दर्शाता है।
मैंने बहुत सारे विदेशी लोगों को देखा है जो भारत के लोकतंत्र की तारीफ करते हैं। लेकिन अगर हम अपने आप को अंदर से तोड़ देंगे, तो वो क्या सोचेंगे?
ये सब बस एक चुनाव नहीं, ये हमारे लोकतंत्र की परीक्षा है। क्या हम अपने बीच के अंतर को समझने के बजाय, उन्हें बढ़ाना चाहते हैं?
हमें याद रखना चाहिए कि लोकसभा का स्पीकर किसी का नहीं, बल्कि सभी का होता है। अगर हम इसे भूल गए, तो हम अपने लोकतंत्र को भूल रहे हैं।
इस चुनाव के बाद जो भी आएगा, उसे अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित होना चाहिए। न कि किसी पार्टी के लिए।
ये सिर्फ एक चुनाव नहीं, ये हमारी आत्मा की परीक्षा है।
Tamanna Tanni
जुलाई 2, 2024 AT 00:44इस तरह की लड़ाई से हमें क्या मिलेगा? बस एक और नया बदशगुन।
Rosy Forte
जुलाई 2, 2024 AT 06:35लोकतंत्र की विविधता को दर्शाने के लिए, इस चुनाव का अर्थ अत्यंत गहरा है-यह एक अल्पसंख्यक के अधिकारों की अभिव्यक्ति है, जो बहुमत के अधिकार के विरुद्ध अपनी आवाज उठा रहा है। यह एक पोस्ट-मॉडर्न राजनीतिक अभिव्यक्ति है, जहाँ सत्ता का वितरण अब केवल आंकड़ों पर निर्भर नहीं, बल्कि नैतिकता और सामाजिक समझ पर भी निर्भर करता है।
इस चुनाव के माध्यम से हम एक नए राजनीतिक दर्शन की ओर बढ़ रहे हैं, जहाँ एकता की अवधारणा को फिर से परिभाषित किया जा रहा है।
Yogesh Dhakne
जुलाई 2, 2024 AT 21:04अच्छा हुआ कि चुनाव हो रहा है। अगर नहीं होता, तो हम सब यही सोचते रहते कि सब कुछ ठीक है।
अब देखते हैं कौन असली लीडर है। 😌
kuldeep pandey
जुलाई 3, 2024 AT 20:33अरे भाई, ये सब तो बस एक नाटक है। जिसने भी इसे बनाया है, उसका नाम बहुत बड़ा है... और बहुत खाली।
Hannah John
जुलाई 5, 2024 AT 14:18क्या आपने सुना है कि ये सब एक बड़े फंडिंग ग्रुप की योजना है? वो चाहते हैं कि हम आपस में लड़ें ताकि वो अपनी नई कंपनी लॉन्च कर सकें
dhananjay pagere
जुलाई 6, 2024 AT 23:15स्पीकर चुनाव? बस एक और टीवी शो। 🤡
Shrikant Kakhandaki
जुलाई 8, 2024 AT 13:48क्या आप जानते हैं कि ओम बिड़ला एक राजनीतिक एजेंट है जिसे अमेरिका ने भेजा है? और के सुरेश भी एक जासूस है जो चीन का काम करता है और दोनों एक ही चीज़ के लिए लड़ रहे हैं
bharat varu
जुलाई 9, 2024 AT 20:17दोस्तों, ये चुनाव हमारे लिए एक मौका है। चाहे जो भी जीते, वो हमारा स्पीकर होगा। चलो उसका सम्मान करें।
ये बस एक पद नहीं, ये हमारा गौरव है।
Vijayan Jacob
जुलाई 10, 2024 AT 19:50अच्छा हुआ कि विपक्ष ने नामांकन भरा। अगर नहीं किया होता, तो हम कहते कि उनकी हिम्मत नहीं है।
अब बस इंतजार है।
Saachi Sharma
जुलाई 11, 2024 AT 14:08क्या होगा अगर दोनों को नहीं चुना जाए? 😏
Vitthal Sharma
जुलाई 13, 2024 AT 02:40ये बात तो सच है। अगर चुनाव हुआ, तो वो भी बहुत अच्छा है।