के. सुरेश ने लोकसभा स्पीकर पद के लिए नामांकन भरा, INDIA और NDA में सहमति नहीं

के. सुरेश ने लोकसभा स्पीकर पद के लिए नामांकन भरा, INDIA और NDA में सहमति नहीं जून, 25 2024

भारतीय संसद में पहली बार लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव

भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव की नौबत आ गई है। यह चुनाव 26 जून को होगा और यह स्थिति उस समय उत्पन्न हुई जब सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन पाई। INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार के. सुरेश ने अपने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है, जबकि NDA से ओम बिड़ला ने भी अपनी दावेदारी पेश की है।

विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी के आरोप-प्रत्यारोप

विपक्ष का आरोप है कि भाजपा ने इस महत्वपूर्ण पद के लिए उनके साथ कोई चर्चा नहीं की और अपनी पसंद के उम्मीदवार को थोपने का प्रयास किया। परंपरागत रूप से लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चयन आम सहमति से किया जाता है, लेकिन इस बार परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं। भाजपा नेता पीयूष गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पूरे सदन के होते हैं, न कि किसी पार्टी या समूह के, और उनका चुनाव सर्वसम्मति से होना चाहिए।

डिप्टी स्पीकर पद को लेकर भी हैं विवाद

विपक्ष की मांग है कि अगर NDA के उम्मीदवार ओम बिड़ला को स्पीकर चुना जाता है, तो उन्हें डिप्टी स्पीकर का पद दिया जाना चाहिए। इस मांग के मद्देनजर, भाजपा के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी नेताओं के साथ चर्चाओं का प्रयास किया था, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई।

NDA और INDIA ब्लॉक के आंकड़े

NDA और INDIA ब्लॉक के आंकड़े

लोकसभा में स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद, NDA और INDIA ब्लॉक के बीच सहमति नहीं बनने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। 543 सदस्यीय लोकसभा में NDA के पास 293 सांसद हैं, जबकि INDIA ब्लॉक के पास 234 सांसद हैं।

अगले कदम

26 जून को होने वाले इस चुनाव से पहले भारतीय राजनीति में हलचल और बढ़ने की संभावना है। राष्ट्रपति मुर्मु के 27 जून को संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के कार्यक्रम के पहले यह चुनाव विशेष महत्व रखता है।

यह स्थिति भारतीय संसद के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, जहाँ विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी के बीच बेहतर संवाद और सहमति की आवश्यकता और अधिक अनुभव की जा सकती है।

चुनाव की प्रक्रिया

चुनाव की प्रक्रिया में सबसे पहले नामांकन दाखिल किए जाते हैं, फिर निर्वाचन आयोग द्वारा इन नामांकनों की जांच होती है। इसके बाद सदन में मत विभाजन के माध्यम से मतदान किया जाता है। इस बार का लोकसभा स्पीकर चुनाव सिर्फ सदन के सदस्यों के बीच की राजनीतिक खींचतान को नहीं, बल्कि संपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया की प्रभावशीलता को भी परखने का अवसर प्रदान करेगा।

विपक्ष का रुख

विपक्ष का रुख

विपक्षी दलों की प्राथमिकता सिर्फ स्पीकर पद ही नहीं, बल्कि डिप्टी स्पीकर पद भी है, जिससे वे सदन में अपनी भूमिका को और प्रभावी बना सकें। यह होने वाले चुनाव में विपक्ष की रणनीति क्या होती है, यह देखने योग्य होगा।

भाजपा का कहा

भाजपा ने स्पष्ट किया है कि वे लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करते हैं और स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों पदों के लिए आम सहमति बनाने के लिए प्रयासरत हैं।

इस चुनाव का परिणाम चाहे जो भी हो, इसका प्रभाव भारतीय लोकतंत्र के भविष्य और कार्यप्रणाली पर गहरा असर डालेगा।