
जब Donald Trump ने पिछले शुक्रवार रात चीन के खिलाफ संभावित टैरिफ का इशारा किया, तो भारतीय शेयर बाजार ने तुरंत चेतावनी महसूस की। 13 अक्टूबर 2025 को, Bombay Stock Exchange (BSE) का सेंसेक्स 82,327.05 पर समाप्त हुआ, जो 173.77 अंकों (0.21%) की गिरावट दर्शाता है, जबकि National Stock Exchange (NSE) का निफ़्टी 50 25,227.35 पर बंद हुआ, 58 अंकों (0.23%) की गिरावट के साथ। यह दो‑दिन की जीत की लहर को अंत देता है और निवेशकों को फिर से सावधानी की स्थिति में धकेलता है।
पृष्ठभूमि और वैश्विक संकेत
फ़रवरी 2025 के बाद से एशिया के शेयर बाजारों में निरंतर गिरावट देखी गई, विशेषकर अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump के चीन‑विरोधी व्यापार बयान के बाद। 10 अक्टूबर को, उन्होंने कहा कि "संयुक्त राज्य सरकार चीन पर प्रतिबंधात्मक टैरिफ लगा सकती है"। इस बयान को मीडिया ने तेज़ी से पकड़ लिया, और यद्यपि 12 अक्टूबर को उनका स्वर थोड़ा नरम हुआ, लेकिन बाजार में अनिश्चितता बनी रही।
भारतीय सूचकांकों का दैनिक प्रदर्शन
सेंसेक्स में गिरावट का मुख्य कारण आईटी और FMCG सेक्टरों में दबाव था। निफ़्टी आईटी इंडेक्स 0.78% गिरा, जबकि निफ़्टी FMCG इंडेक्स 0.90% नीचे रहा। इसके विपरीत, निफ़्टी फाइनेंशियल सर्विसेज़ इंडेक्स 0.35% बढ़ा, जिससे वित्तीय शेयरों को कुछ राहत मिली।
स्टॉक‑वाइज़, Tata Motors और Infosys क्रमशः 2.1% और 1.8% घटे, जबकि Hindustan Unilever (HUL) ने 1.5% की गिरावट दर्ज की। दूसरी ओर, Adani Ports and SEZ ने 2.4% की बढ़त के साथ, Bajaj Auto ने 3.0% और Axis Bank ने 1.2% की मामूली उछाल हासिल की।
बाजार की गहराई को देखे तो एडवांस‑डिक्लाइन अनुपात 1:2 था, यानी गिरते स्टॉक्स की संख्या बढ़ रही थी। हालांकि, निफ़्टी मिडकैप 100 0.11% ऊपर रहा (58,762 पॉइंट्स), जबकि निफ़्टी स्मॉलकैप 100 0.17% नीचे गया।
सेक्टोरियल विसंगतियां
आईटी सेक्टर की गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक सप्लाई‑चेन तनाव और संभावित यूएस‑चीन व्यापार युद्ध के डर से था। एक वरिष्ठ विश्लेषक, राकेश शर्मा (Motilal Oswal), ने कहा: "यदि टैरिफ नीति में बदलाव नहीं आया, तो अगले कुछ हफ्तों में आईटी स्टॉक्स में और अधिक गिरावट देखी जा सकती है।"
FMCG सेक्टर में भी कमज़ोरी दिखी, क्योंकि उपभोक्ता खर्च में अनिश्चितता ने ब्रांड बिक्री को प्रभावित किया। इस बीच, वित्तीय संस्थानों ने अपनी बैलेन्स शीट में सुधार दिखाया, जो निफ़्टी फाइनेंशियल सर्विसेज़ को समर्थन मिला।
ऑटो सेक्टर आज़माया गया, जहां Bajaj Auto ने वाहन पंजीकरण डेटा के कारण 3% की बड़ी छलांग लगाई। यह संकेत देता है कि यदि अर्थव्यवस्था स्थिर रहती है, तो ऑटो उद्योग आगे बढ़ सकता है।

बाजार प्रतिभागियों की प्रतिक्रियाएँ
मुंबई स्थित कई विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने अपने पोर्टफोलियो को पुनः संतुलित करने की बात कही। एक विदेशी फंड मैनेजर ने कहा, "हम वर्तमान में जोखिम को कम करने की दिशा में पोज़िशन बदल रहे हैं, खासकर टेक और कंज्यूमर सेक्टर में।" दूसरी ओर, भारतीय रिटेल निवेशकों ने नीचे की ओर बढ़ते ट्रेड्स के बावजूद कुछ स्टॉक्स में लॉन्ग पोजीशन बनाए रखी, क्योंकि उन्होंने माना कि यह अल्पकालिक बेचने का मौका है।
हाई‑फ़्रीक्वेंसी ट्रेडरों ने 13 अक्टूबर के इन्ट्राडे में दो बार तेज़ी से वॉल्यूम बढ़ाया, लेकिन अंत में फॉल्ट‑टॉलरेंस की वजह से कुल मिलाकर बाजार में थोड़ा उलटफेर हुआ।
आगामी दृष्टिकोण और संभावित जोखिम
विशेषज्ञों का मानना है कि अगले ट्रेडिंग सत्र में अमेरिकी‑चीन टैरिफ के बारे में कोई स्पष्ट संचार नहीं मिलने पर निचली दिशा बन सकती है। यदि यूएस का टैरिफ एग्रीमेंट फिर से टाल दिया गया, तो विदेशी पूँजी भारतीय बाजारों से फिर निकली जा सकती है।
दूसरी ओर, यदि चीन‑अमेरिका के बीच कोई समझौता हो जाता है, तो स्टॉक्स को पुनः एंगेजमेंट मिल सकता है, विशेषकर आईटी और कंज्यूमर स्टॉक्स में। इस कड़ी में, निफ़्टी 50 का 25,300 के स्तर एक महत्वपूर्ण समर्थन माना जा रहा है।
रुपया आज 88.67 प्रति USD पर स्थिर रहा, जिससे विदेशी निवेशकों के लिए विदेशी मुद्राओं की लागत में बड़ी बदलाव नहीं आया। आर्थिक डेटा, जैसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और जीडीपी ग्रोथ, अगले हफ़्ते जारी होने की उम्मीद है, जो बाजार में नई दिशा तय करेंगे।

ऐतिहासिक तुलना
पिछले वर्ष, 2023 के अक्टूबर में भी इसी तरह के ट्रेड वार चेतावनी के कारण बाजार में 2% की गिरावट देखी गई थी। उसी समय, सेंसेक्स लगभग 81,500 पर बंद हुआ था। तुलना करने पर, वर्तमान गिरावट थोड़ी कम है, परंतु दो‑दिन की निरंतर बढ़ती प्रवृत्ति को तोड़ना निवेशकों के लिये एक सकारात्मक संकेत है।
- सेंसेक्स बंद: 82,327.05 (-173.77 अंक)
- निफ़्टी 50 बंद: 25,227.35 (-58 अंक)
- आईटी सेक्टर गिरावट: -0.78%
- FMCG सेक्टर गिरावट: -0.90%
- वित्तीय सेवाएँ उछाल: +0.35%
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या US‑China टैरिफ की ख़बर से भारतीय शेयरों में दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेंगे?
यदि टैरिफ नीतियों में स्थायी बदलाव आता है, तो निर्यात‑उन्मुख कंपनियों के शेयरों में दबाव बना रहेगा। खासकर आईटी और एलीमेंट्री मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए यह जोखिम कारक है, जबकि वित्तीय और ऑटो सेक्टर इसे संतुलित कर सकते हैं।
निफ़्टी 50 के लिए 25,300 का स्तर क्यों महत्वपूर्ण माना जा रहा है?
25,300 पिछले दो हफ़्तों में कई बार समर्थन के रूप में काम आया है। अगर इंडेक्स इस स्तर से नीचे गिरता है, तो अगले महीने में 25,000 के नीचे गिरावट की सम्भावना बढ़ती है; ऊपर रहने पर बुरी खबरों के बाद भी इंट्राडे स्थिरता बनी रह सकती है।
कौन से सेक्टर इस सत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं?
वित्तीय सेवा कंपनियों और मिड‑कैप इंडेक्स ने हल्की बढ़त दिखाई। विशेषकर बैंकिंग शेयर जैसे Axis Bank और HDFC Bank ने स्थिर लाभ दर्ज किया, जबकि मिड‑कैप में रियल एस्टेट और औद्योगिक कंपनियों ने छोटे‑छोटे लाभ उठाए।
रुपए की स्थिरता इन शेयरों को कैसे प्रभावित करती है?
रुपए की 88.67 per USD पर स्थिरता ने आयात‑निर्भर कंपनियों की लागत को स्थिर रखी, जिससे उन्हें अचानक नुकसान नहीं हुआ। इस कारण, आयात‑आधारित FMCG कंपनियों की मार हल्की रही, जबकि निर्यात‑उन्मुख कंपनियों को अभी भी टैरिफ जोखिम का सामना करना पड़ रहा है।
भविष्य में क्या निवेशकों को रुझानों की निगरानी करनी चाहिए?
वैश्विक व्यापार वार्ताओं के साथ-साथ घरेलू आर्थिक आँकड़े—जैसे महंगाई, उपभोक्ता विश्वास, और वाहन पंजीकरण—पर ध्यान देना आवश्यक है। इन संकेतकों के आधार पर पोर्टफोलियो को रोटेट करके जोखिम को कम किया जा सकता है।
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अक्तूबर 14, 2025 AT 00:27सेंसेक्स की गिरावट तो कोविड से भी तेज़ है, यही दिखाता है कि विदेशी व्यापार नीतियों का असर है।