Sensex 174 अंक गिरा, Nifty 25,227 पर, US‑चीन टैरिफ चेतावनी के बाद

Sensex 174 अंक गिरा, Nifty 25,227 पर, US‑चीन टैरिफ चेतावनी के बाद
Anuj Kumar 14 अक्तूबर 2025 20

जब Donald Trump ने पिछले शुक्रवार रात चीन के खिलाफ संभावित टैरिफ का इशारा किया, तो भारतीय शेयर बाजार ने तुरंत चेतावनी महसूस की। 13 अक्टूबर 2025 को, Bombay Stock Exchange (BSE) का सेंसेक्स 82,327.05 पर समाप्त हुआ, जो 173.77 अंकों (0.21%) की गिरावट दर्शाता है, जबकि National Stock Exchange (NSE) का निफ़्टी 50 25,227.35 पर बंद हुआ, 58 अंकों (0.23%) की गिरावट के साथ। यह दो‑दिन की जीत की लहर को अंत देता है और निवेशकों को फिर से सावधानी की स्थिति में धकेलता है।

पृष्ठभूमि और वैश्विक संकेत

फ़रवरी 2025 के बाद से एशिया के शेयर बाजारों में निरंतर गिरावट देखी गई, विशेषकर अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump के चीन‑विरोधी व्यापार बयान के बाद। 10 अक्टूबर को, उन्होंने कहा कि "संयुक्त राज्य सरकार चीन पर प्रतिबंधात्मक टैरिफ लगा सकती है"। इस बयान को मीडिया ने तेज़ी से पकड़ लिया, और यद्यपि 12 अक्टूबर को उनका स्वर थोड़ा नरम हुआ, लेकिन बाजार में अनिश्चितता बनी रही।

भारतीय सूचकांकों का दैनिक प्रदर्शन

सेंसेक्स में गिरावट का मुख्य कारण आईटी और FMCG सेक्टरों में दबाव था। निफ़्टी आईटी इंडेक्स 0.78% गिरा, जबकि निफ़्टी FMCG इंडेक्स 0.90% नीचे रहा। इसके विपरीत, निफ़्टी फाइनेंशियल सर्विसेज़ इंडेक्स 0.35% बढ़ा, जिससे वित्तीय शेयरों को कुछ राहत मिली।

स्टॉक‑वाइज़, Tata Motors और Infosys क्रमशः 2.1% और 1.8% घटे, जबकि Hindustan Unilever (HUL) ने 1.5% की गिरावट दर्ज की। दूसरी ओर, Adani Ports and SEZ ने 2.4% की बढ़त के साथ, Bajaj Auto ने 3.0% और Axis Bank ने 1.2% की मामूली उछाल हासिल की।

बाजार की गहराई को देखे तो एडवांस‑डिक्लाइन अनुपात 1:2 था, यानी गिरते स्टॉक्स की संख्या बढ़ रही थी। हालांकि, निफ़्टी मिडकैप 100 0.11% ऊपर रहा (58,762 पॉइंट्स), जबकि निफ़्टी स्मॉलकैप 100 0.17% नीचे गया।

सेक्टोरियल विसंगतियां

आईटी सेक्टर की गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक सप्लाई‑चेन तनाव और संभावित यूएस‑चीन व्यापार युद्ध के डर से था। एक वरिष्ठ विश्लेषक, राकेश शर्मा (Motilal Oswal), ने कहा: "यदि टैरिफ नीति में बदलाव नहीं आया, तो अगले कुछ हफ्तों में आईटी स्टॉक्स में और अधिक गिरावट देखी जा सकती है।"

FMCG सेक्टर में भी कमज़ोरी दिखी, क्योंकि उपभोक्ता खर्च में अनिश्चितता ने ब्रांड बिक्री को प्रभावित किया। इस बीच, वित्तीय संस्थानों ने अपनी बैलेन्स शीट में सुधार दिखाया, जो निफ़्टी फाइनेंशियल सर्विसेज़ को समर्थन मिला।

ऑटो सेक्टर आज़माया गया, जहां Bajaj Auto ने वाहन पंजीकरण डेटा के कारण 3% की बड़ी छलांग लगाई। यह संकेत देता है कि यदि अर्थव्यवस्था स्थिर रहती है, तो ऑटो उद्योग आगे बढ़ सकता है।

बाजार प्रतिभागियों की प्रतिक्रियाएँ

बाजार प्रतिभागियों की प्रतिक्रियाएँ

मुंबई स्थित कई विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने अपने पोर्टफोलियो को पुनः संतुलित करने की बात कही। एक विदेशी फंड मैनेजर ने कहा, "हम वर्तमान में जोखिम को कम करने की दिशा में पोज़िशन बदल रहे हैं, खासकर टेक और कंज्यूमर सेक्टर में।" दूसरी ओर, भारतीय रिटेल निवेशकों ने नीचे की ओर बढ़ते ट्रेड्स के बावजूद कुछ स्टॉक्स में लॉन्ग पोजीशन बनाए रखी, क्योंकि उन्होंने माना कि यह अल्पकालिक बेचने का मौका है।

हाई‑फ़्रीक्वेंसी ट्रेडरों ने 13 अक्टूबर के इन्ट्राडे में दो बार तेज़ी से वॉल्यूम बढ़ाया, लेकिन अंत में फॉल्ट‑टॉलरेंस की वजह से कुल मिलाकर बाजार में थोड़ा उलटफेर हुआ।

आगामी दृष्टिकोण और संभावित जोखिम

विशेषज्ञों का मानना है कि अगले ट्रेडिंग सत्र में अमेरिकी‑चीन टैरिफ के बारे में कोई स्पष्ट संचार नहीं मिलने पर निचली दिशा बन सकती है। यदि यूएस का टैरिफ एग्रीमेंट फिर से टाल दिया गया, तो विदेशी पूँजी भारतीय बाजारों से फिर निकली जा सकती है।

दूसरी ओर, यदि चीन‑अमेरिका के बीच कोई समझौता हो जाता है, तो स्टॉक्स को पुनः एंगेजमेंट मिल सकता है, विशेषकर आईटी और कंज्यूमर स्टॉक्स में। इस कड़ी में, निफ़्टी 50 का 25,300 के स्तर एक महत्वपूर्ण समर्थन माना जा रहा है।

रुपया आज 88.67 प्रति USD पर स्थिर रहा, जिससे विदेशी निवेशकों के लिए विदेशी मुद्राओं की लागत में बड़ी बदलाव नहीं आया। आर्थिक डेटा, जैसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और जीडीपी ग्रोथ, अगले हफ़्ते जारी होने की उम्मीद है, जो बाजार में नई दिशा तय करेंगे।

ऐतिहासिक तुलना

ऐतिहासिक तुलना

पिछले वर्ष, 2023 के अक्टूबर में भी इसी तरह के ट्रेड वार चेतावनी के कारण बाजार में 2% की गिरावट देखी गई थी। उसी समय, सेंसेक्स लगभग 81,500 पर बंद हुआ था। तुलना करने पर, वर्तमान गिरावट थोड़ी कम है, परंतु दो‑दिन की निरंतर बढ़ती प्रवृत्ति को तोड़ना निवेशकों के लिये एक सकारात्मक संकेत है।

  • सेंसेक्स बंद: 82,327.05 (-173.77 अंक)
  • निफ़्टी 50 बंद: 25,227.35 (-58 अंक)
  • आईटी सेक्टर गिरावट: -0.78%
  • FMCG सेक्टर गिरावट: -0.90%
  • वित्तीय सेवाएँ उछाल: +0.35%

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या US‑China टैरिफ की ख़बर से भारतीय शेयरों में दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेंगे?

यदि टैरिफ नीतियों में स्थायी बदलाव आता है, तो निर्यात‑उन्मुख कंपनियों के शेयरों में दबाव बना रहेगा। खासकर आईटी और एलीमेंट्री मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए यह जोखिम कारक है, जबकि वित्तीय और ऑटो सेक्टर इसे संतुलित कर सकते हैं।

निफ़्टी 50 के लिए 25,300 का स्तर क्यों महत्वपूर्ण माना जा रहा है?

25,300 पिछले दो हफ़्तों में कई बार समर्थन के रूप में काम आया है। अगर इंडेक्स इस स्तर से नीचे गिरता है, तो अगले महीने में 25,000 के नीचे गिरावट की सम्भावना बढ़ती है; ऊपर रहने पर बुरी खबरों के बाद भी इंट्राडे स्थिरता बनी रह सकती है।

कौन से सेक्टर इस सत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं?

वित्तीय सेवा कंपनियों और मिड‑कैप इंडेक्स ने हल्की बढ़त दिखाई। विशेषकर बैंकिंग शेयर जैसे Axis Bank और HDFC Bank ने स्थिर लाभ दर्ज किया, जबकि मिड‑कैप में रियल एस्टेट और औद्योगिक कंपनियों ने छोटे‑छोटे लाभ उठाए।

रुपए की स्थिरता इन शेयरों को कैसे प्रभावित करती है?

रुपए की 88.67 per USD पर स्थिरता ने आयात‑निर्भर कंपनियों की लागत को स्थिर रखी, जिससे उन्हें अचानक नुकसान नहीं हुआ। इस कारण, आयात‑आधारित FMCG कंपनियों की मार हल्की रही, जबकि निर्यात‑उन्मुख कंपनियों को अभी भी टैरिफ जोखिम का सामना करना पड़ रहा है।

भविष्य में क्या निवेशकों को रुझानों की निगरानी करनी चाहिए?

वैश्विक व्यापार वार्ताओं के साथ-साथ घरेलू आर्थिक आँकड़े—जैसे महंगाई, उपभोक्ता विश्वास, और वाहन पंजीकरण—पर ध्यान देना आवश्यक है। इन संकेतकों के आधार पर पोर्टफोलियो को रोटेट करके जोखिम को कम किया जा सकता है।

20 टिप्पणि

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    Veda t

    अक्तूबर 14, 2025 AT 00:27

    सेंसेक्स की गिरावट तो कोविड से भी तेज़ है, यही दिखाता है कि विदेशी व्यापार नीतियों का असर है।

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    Yogitha Priya

    अक्तूबर 15, 2025 AT 04:14

    क्या आप महसूस नहीं कर रहे कि ये टैरिफ चेतावनी सिर्फ एक चतुर चाल है? अमेरिकी सरकार अपने खुद के लुभावन व्यापार में हमें फँसा रही है, और हम सब बेधड़क काम कर रहे हैं!

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    Thirupathi Reddy Ch

    अक्तूबर 16, 2025 AT 08:00

    भाई, तुम तो हमेशा ऐसी साजिशें देखती हो, लेकिन वास्तविकता यह है कि टैरिफ से आईटी कंपनियां तुरंत चोटिल होते हैं, इसीलिए यह गिरावट समझ में आती है।

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    Sonia Arora

    अक्तूबर 17, 2025 AT 11:47

    मैं समझती हूँ कि सभी को चिंता है, पर हमें चाहिए कि हम इस स्थिति को सांस्कृतिक समझ से देखते हुए संतुलित निवेश करें, न कि सिर्फ डर से।

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    SIDDHARTH CHELLADURAI

    अक्तूबर 18, 2025 AT 15:34

    चलो, थोड़ा मोटिवेशन ले लेते हैं 😎📈 आज के रुझानों से सीखें, आगे की योजना बनाएं!

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    Deepak Verma

    अक्तूबर 19, 2025 AT 19:20

    टैरिफ का असर मुख्यत: एक्सपोर्ट कंपनियों पर पड़ेगा, बाकी सेक्टर नहीं।

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    Rani Muker

    अक्तूबर 20, 2025 AT 23:07

    निवेशकों को चाहिए कि वे अपने पोर्टफोलियो को विविध बनाएं, इससे जोखिम कम रहेगा और लंबी अवधि में रिटर्न बेहतर होगा।

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    Hansraj Surti

    अक्तूबर 22, 2025 AT 02:54

    टैरिफ की ताज़ा ख़बर ने भारतीय शेयर बाजार को हिला दिया है, और यह केवल एक क्षणिक झटका नहीं है।
    इसके पीछे कई स्तर के आर्थिक तंत्र छिपे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार को दुनियाभर में प्रभावित करते हैं।
    जब अमेरिका चीन पर भारी टैरिफ लगाता है, तो दोनों देशों के निर्यात‑आधारित कंपनियों के शेयरों में गिरावट आती है, और इसका प्रतिध्वनि भारत तक पहुँचता है।
    अब भारतीय आयटी कंपनियों को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ेगा: ना केवल घरेलू मांग में धीमी गति, बल्कि विदेशी ग्राहकों की अनिश्चितता भी।
    यह स्थिति निवेशकों को एक कठिन विकल्प पर खड़ा कर देती है: या तो सतर्क रहना और नुकसान को सीमित करना, या फिर अवसर देख कर कुछ सेक्टर में और अधिक निवेश करना।
    इतिहास ने दिखाया है कि 2023 के अक्टूबर में भी इसी प्रकार की टैरिफ चिंता ने बाजार को दो प्रतिशत तक गिरा दिया था, और तब भी कुछ कंपनियां इस झटके से उबर कर आगे बढ़ीं।
    इसलिए यह जरूरी है कि हम बाजार की सतही गिरावट को गहराई से देखें, न कि सिर्फ संख्या पर प्रतिक्रिया दें।
    एक और पहलू यह है कि मौद्रिक नीति में बदलाव की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि RBI की दरें अभी भी स्थिर हैं।
    लेकिन अगर डॉलर की कीमत में उछाल आता है, तो भारतीय निर्यातकों को और दबाव झेलना पड़ेगा।
    इस दौरान वित्तीय सेक्टर ने थोड़ी राहत दिखाई है, क्योंकि बैलेन्स शीट सुधार ने बैंकों को अनुकूल स्थिति प्रदान की है।
    ऑटो सेक्टर में भी कुछ सकारात्मक संकेत हैं, जैसे कि बैजाज ऑटो की बिक्री में वृद्धि, जो दर्शाती है कि उपभोक्ता भरोसा अभी भी मौजूद है।
    फिर भी, उपभोक्ता वस्तु सेक्टर की कमजोरी को अनदेखा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वित्तीय दबाव से ग्राहक खर्च कम हो रहा है।
    कुल मिलाकर, हमें चाहिए कि हम इस अस्थिर माहौल में रणनीतिक कदम उठाएं, पोर्टफोलियो को विविध बनाकर जोखिम को कम करें।
    अंत में, यह याद रखना चाहिए कि बाजार में हमेशा उतार‑चढ़ाव रहता है, और धीरज से काम लेना ही सबसे बड़ा हथियार है।

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    Namrata Verma

    अक्तूबर 23, 2025 AT 06:40

    ओह, क्या बड़ी दार्शनिक गाथा लिख दी तुम्हें, पर असली बात तो यही है कि बाजार में डर का दामन बहुत भारी है!!!

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    Manish Mistry

    अक्तूबर 24, 2025 AT 10:27

    टैरिफ के संभावित प्रभाव को मात्रात्मक रूप में देखना आवश्यक है, न कि भावनात्मक रूप से।

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    Tanvi Shrivastav

    अक्तूबर 25, 2025 AT 14:14

    टैरिफ सिचुेशन बहुुत कन्फ्यूजिंग है 😅 लेकिन थोडा धयर रखो, मार्केट फिर उछाल लेगा।

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    parvez fmp

    अक्तूबर 26, 2025 AT 18:00

    Yaar, market toh aaj hi full on rollercoaster chal rahi hai, koi samjha de!

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    s.v chauhan

    अक्तूबर 27, 2025 AT 21:47

    ब्रो, अगर आप लॉन्ग पोजिशन रखे तो इस गिरावट का फायदा उठा सकते हो, चलो मिलके इस ब्रीज को पार करें!

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    abhinav gupta

    अक्तूबर 29, 2025 AT 01:34

    अरे वाह, फिर से टैरिफ की धुंआधार बातें, क्या नया चक्र है भई, थोड़ा हँस लो!

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    vinay viswkarma

    अक्तूबर 30, 2025 AT 05:20

    टैरिफ से डरना नहीं चाहिए, मौका है, बिचौलियों को हटाओ।

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    sanjay sharma

    अक्तूबर 31, 2025 AT 09:07

    सुझाव: निफ़्टी 25,300 के नीचे समर्थन देखना चाहिए, फिर ट्रेडिंग रेंज बन सकती है।

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    varun spike

    नवंबर 1, 2025 AT 12:54

    क्या आप विश्वसनीय डेटा के आधार पर इस गिरावट का मात्रात्मक विश्लेषण कर सकते हैं?

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    Chandan Pal

    नवंबर 2, 2025 AT 16:40

    देश की ग्रोथ देख कर दिल खुश हो जाता है 🇮🇳, लेकिन टैरिफ की खबर से थोड़ा झटका लग रहा है 😊।

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    Gursharn Bhatti

    नवंबर 3, 2025 AT 20:27

    टैरिफ को केवल आर्थिक टूल नहीं, बल्कि शक्ति का प्रतीक माना जा सकता है।
    जब एक महाशक्ति अपने हितों को प्राथमिकता देती है, तो छोटे economies को झटके मिलते हैं।
    इस बात को समझना आवश्यक है कि बाजार भावनात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक प्रतिक्रियाएँ देता है।
    इसलिए निवेशकों को चाहिए कि वे अपनी दृष्टि को व्यापक रखें, न कि केवल अल्पकालिक उतार-चढ़ाव पर ध्यान दें।
    इस प्रकार की सोच से दीर्घकालिक रिटर्न की संभावनाएँ बढ़ती हैं।

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    Arindam Roy

    नवंबर 5, 2025 AT 00:14

    बाजार को देखते रहो, समय सब कुछ बताएगा।

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