तुंगभद्रा डैम के गेट की चेन टूटने से अचानक 35,000 क्यूसेक पानी का बहाव; आंध्र प्रदेश सीएम चंद्रबाबू ने किया अधिकारियों को सतर्क

तुंगभद्रा डैम के गेट की चेन टूटने से अचानक 35,000 क्यूसेक पानी का बहाव; आंध्र प्रदेश सीएम चंद्रबाबू ने किया अधिकारियों को सतर्क
Anuj Kumar 12 अगस्त 2024 7

तुंगभद्रा डैम के गेट की चेन टूटने से बड़ा हादसा

शनिवार रात को कर्नाटक के तुंगभद्रा डैम में एक गंभीर घटना घटित हुई, जब डैम के 19वें गेट की चेन टूटने से लगभग 35,000 क्यूसेक पानी का अचानक बहाव शुरू हो गया। रात 11 बजे जब यह घटना हुई, तब डैम अधिकारियों द्वारा बाढ़ के पानी के घटने के कारण गेट बंद किया जा रहा था। इसकी वजह से डैम के पानी का बहाव एक लाख क्यूसेक से अधिक हो गया, जिससे नीचे के इलाकों में बाढ़ का संकट उत्पन्न हो गया।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की प्रतिक्रिया

घटना के तुरंत बाद, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों को सतर्क किया। चंद्रबाबू नायडू ने अधिकारियों को लगातार स्थिति पर नजर रखने और आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से लोगों को समय पर सूचित करने और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का भी आग्रह किया।

भारी बारिश से उत्पन्न हुई स्थिति

तुंगभद्रा डैम के क्षेत्र में लगातार हो रही भारी बारिश इस दुर्घटना का मुख्य कारण मानी जा रही है। शिमोगा, कर्नाटक में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण डैम में पानी का स्तर तेजी से बढ़ रहा था। इसी बीच गेट की चेन टूटने से अचानक पानी का बहाव बेकाबू हो गया। अधिकारियों ने इस स्थिति को तत्काल नियंत्रण में लाने के लिए अपनी पूरी क्षमता से कार्य किया।

निचले इलाकों में लोगों को चेतावनी

अधिकारियों ने तुंगभद्रा डैम से निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अविलंब सतर्क किया है और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर जाने का आग्रह किया है। इस बाढ़ का प्रवाह सनकसीला परियोजना तक भी पहुंच चुका है, जहां भी बाढ़ का असर हो सकता है। सनकसीला परियोजना भी उच्च अलर्ट पर है, और वहां के अधिकारी भी स्थिति पर निगरानी रख रहे हैं।

बाढ़ का प्रभाव और राहत कार्य

तुंगभद्रा डैम का गेट टूटने के बाद बाढ़ की स्थिति ने राहत कार्यों को भी प्रभावित किया है। भारी बाढ़ और पानी के तेज बहाव के कारण राहत कार्यों में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। हालांकि, अधिकारी और बचाव टीम इस संकट का सामना करने और स्थिति को सुधारने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं।

गेट की मरम्मत और भविष्य की योजना

अधिकारियों ने बताया कि तुंगभद्रा डैम के टूटे गेट की मरम्मत का कार्य तेजी से चल रहा है, और बाढ़ के पानी के कम होने के बाद नए गेट को स्थापित किया जाएगा। इस दिशा में सरकार और संबंधित विभागों द्वारा पूरे प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इस तरह की घटनाओं का पुनरावृत्ति न हो।

ताजा जानकारी के मुताबिक, डैम के पानी का बहाव आगामी कुछ दिनों तक जारी रहेगा क्योंकि मरम्मत कार्य पूरा होने में कुछ और समय लगेगा। इस परिप्रेक्ष्य में, अधिकारियों ने निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपनी सुरक्षा हेतु सभी आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है।

7 टिप्पणि

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    Amrit Moghariya

    अगस्त 12, 2024 AT 17:01
    अरे भाई, चेन टूटी तो टूट गई, पर अब तक कोई इसकी जांच कर रहा है कि ये चेन किस देश की बनी थी? चीन से आया था क्या? नहीं तो ये इतनी आसानी से टूटती कैसे? और हां, अब तक कोई डैम के इंजीनियर का नाम नहीं बता पाया।
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    shubham gupta

    अगस्त 13, 2024 AT 20:33
    तुंगभद्रा डैम का ये गेट टूटना कोई नयी बात नहीं। 2009 में भी ऐसा हुआ था, तब भी बाढ़ आई थी। अब तक कोई गेट्स को स्टेनलेस स्टील से बदलने की बात नहीं कर रहा। बजट में नए टेम्पल बनाने के लिए पैसे मिल जाते हैं, पर डैम के गेट्स के लिए नहीं।
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    Gajanan Prabhutendolkar

    अगस्त 14, 2024 AT 04:09
    ये सब एक बड़ा नाटक है। डैम के गेट टूटे? अरे भाई, ये तो बाढ़ को जानबूझकर छोड़ा गया है ताकि आंध्र प्रदेश के लोगों को डराया जा सके। फिर चंद्रबाबू अधिकारियों को सतर्क कर रहे हैं? वो तो खुद इसके आर्किटेक्ट हैं। ये सब चुनावी नाटक है। जब तक डैम नहीं बदलेंगे, ये घटनाएं दोहराएंगी।
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    ashi kapoor

    अगस्त 14, 2024 AT 04:31
    अरे यार, इतना पानी बह गया और किसी को नहीं पता कि ये पानी कहां जा रहा है? 😒 मैंने तो देखा है कि कुछ लोग तो बाढ़ में नहाने आ रहे हैं, फोटो खींच रहे हैं। और अधिकारी? वो तो फोन पर बैठे हैं और सीएम को रिपोर्ट भेज रहे हैं। जब तक हम इन बड़े निर्माणों को बार-बार रिपेयर नहीं करेंगे, बाढ़ के बाद भी बाढ़ ही आएगी। 🙄
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    Yash Tiwari

    अगस्त 16, 2024 AT 00:33
    यहाँ एक बात स्पष्ट है: भारतीय बुनियादी ढांचे में गुणवत्ता की कमी केवल एक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि एक व्यवस्थागत विफलता है। चेन टूटना एक तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि एक नैतिक विफलता है। जब एक डैम के गेट की चेन अपने आप टूट जाती है, तो यह दर्शाता है कि निर्माण के दौरान कोई भी यांत्रिक या भौतिक सीमाओं का विश्लेषण नहीं किया गया। यह तो एक अपराध है। और अब जब तक जनता नहीं जागेगी, तब तक ये अपराध दोहराएंगे।
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    Mansi Arora

    अगस्त 16, 2024 AT 14:24
    अरे यार इतना पानी बहा और कोई अधिकारी घर पर नहीं रहा? 😅 मैंने तो सुना है कि एक अधिकारी ने अपने बेटे के शादी के लिए डैम के नीचे वाले गांव का घर बेच दिया था। अब बाढ़ आई तो वो भी बह गया। ये तो बहुत मजेदार है। लोग तो बच रहे हैं, पर अधिकारी तो बचाने नहीं आए।
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    Amrit Moghariya

    अगस्त 17, 2024 AT 03:00
    ये वाला लिख रहा है कि गेट की मरम्मत चल रही है... अरे भाई, तुम ये भूल रहे हो कि ये गेट किस दिन बना था? 1968 में! और अब तक कोई नया गेट नहीं लगाया? अगर ये गेट 1968 के थे तो ये तो भारत के पहले बाढ़ के बाद बने थे। ये तो निकल गए इतिहास की किताब से। अब तक कोई इसकी जगह नहीं लगा पाया? क्या ये सब बाढ़ के लिए बनाया गया है?

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