भयावह हत्याकांड: हरिकिशन ने पत्नी को बिस्तर के नीचे दफ़न कर 12 दिन सोया

भयावह हत्याकांड: हरिकिशन ने पत्नी को बिस्तर के नीचे दफ़न कर 12 दिन सोया
Anuj Kumar 25 अक्तूबर 2025 7

जब हरिकिशन, 48 साल के दैनिक मज़दूर और शराबी, ने अपने घर में फुला देवी, 45 साल की पत्नी, को मारकर बिस्तर के नीचे दफ़न कर दिया, तो यह भयावह हत्याकांड न सिर्फ़ गाँव को बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश को हिला कर रख दिया।

घटना के शुरुआती संकेत

10 अक्टूबर 2025 को फुला देवी घर नहीं लौटी, और उनका नाम उनके भाई रामधीराज को फोन पर पता चला। उनका मानना था कि हरिकिशन ने "बिना बताए चली गई" कहा, परंतु भाई‑बहन की बातों में असंगति ने उन्हें संदेह दिला। 20 अक्टूबर को जब रामधीराज और उनकी पत्नी ने आहटा नरपटपुरवा में रहने वाले हरिकिशन के घर का दौरा किया, तो बिस्तर के नीचे एक ताज़ा जमी हुई चाकु जैसी मिट्टी का पैच देखा। उस समय दो‑तीन दरारें मौजूद थीं – यह कुछ अजीब दिखा और तुरंत पुलिस को बताया गया।

तफ्तीश और शव मिलने की प्रक्रिया

जतारा रोड के जतारा रोड पुलिस स्टेशन के शेरिफ़ ऑफिसर (SHO) संतोष कुमार सिंह ने 22 अक्टूबर को स्थल पर टीम तैनात की। उन्होंने दस घण्टे तक खुदाई की, और मिट्टी के नीचे टूटे हुए पायल, चांदी की पायल और फटे कपड़े मिले। फिर कई फीट गहरा खोदते‑खोदते टीम ने फुला देवी का सड़ता हुआ जला हुआ शव बाहर निकाला। शरीर पर गहरी चोटों के संकेत थे, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उसे मारने से पहले कई बार पीटा गया था। पुलिस के अनुसार, हरिकिशन तब तक भाग चुका था जब अधिकारी पहुंचे।

पुलिस एवं राजपरिवर्तन की प्रतिक्रिया

शहादत की रिपोर्ट के बाद बहराज़ के सीनियर सुपरिंटेंडेंट ऑफ़ पुलिस (SSP) ने त्वरित कार्रवाई की घोषणा की। फॉरेंसिक टीम ने पायल, पायल की चेन और फटे कपड़े से डीएनए सैंपल लिए, ताकि संभावित संबंधों की पुष्टि की जा सके। उसी दिन हरिकिशन को बाराबंकी के पास से पकड़ा गया और 23 अक्टूबर को लौटाया गया। FIR में धारा 302 (हत्याऔर 201 (साक्ष्य नष्ट करना) के तहत आरोप लागु किए गए।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को "उच्च प्राथमिकता" घोषित किया और आदेश दिया कि न्याय शीघ्र हो। केएस प्रताप, उत्तर प्रदेश पुलिस के ADG (गोरखपुर) ने बताया कि केस की रोज़ाना प्रगति रिपोर्ट राज्य गृह विभाग को भेजी जाएगी।

समाज पर असर और विशेषज्ञों की राय

आहटा नरपटपुरवा के कई बुजुर्गों ने कहा कि उन्होंने पहले कभी ऐसा दुष्कर्म नहीं देखा। एक अनाम साक्षी ने कहा, "हम अक्सर झगड़े सुनते थे, पर कभी नहीं सोचा था कि किसी की पत्नी को बिस्तर के नीचे दफ़न किया जाएगा।" सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रजत सिंह ने इस घटना को "घरेलू हिंसा का चरम रूप" कहा और महिला सुरक्षा के लिए सख्त कानूनों की मांग की।

विधि विशेषज्ञ वकील अनीता मिश्रा ने बताया कि अगर हरिकिशन को सजा के लिए सजा सुनाई जाती है तो सेक्शन 302 के तहत 14 साल तक की सज़ा या मृत्यु दंड भी हो सकता है, क्योंकि यह पूर्व नियोजित और घिनौना कृत्य है।

आगे की कानूनी प्रक्रिया

हरिकिशन को 23 अक्टूबर को बरेली के बाराबंकी के न्यायालय में पेश किया गया। आगे की सुनवाई बहराज़ जिला कोर्ट में निर्धारित है और अनुमानित 72 घंटे के भीतर शुरू होगी। अभियोजन पक्ष ने अधिकतम सज़ा का अनुरोध किया है, जबकि रक्षा पक्ष अभी तक साक्ष्य के प्रति जवाब नहीं दे पाया है।

  • शिकारी की उम्र: 48 वर्ष
  • शिकारी की पेशा: दैनिक मज़दूर, शराबी
  • पीड़िता: फुला देवी, 45 वर्ष
  • शरीर मिलने की तिथि: 22 अक्टूबर 2025
  • मृत्युदंड की संभावना: हाई

निष्कर्ष

यह मामला न सिर्फ़ एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि ग्रामीण भारत में गृह हिंसा के गहरे जड़ें दिखाता है। अगर समाज और कानून दोनों ही जल्दी‑जल्दी सख्त कदम नहीं उठाते, तो इस तरह की घटनाएँ दोबारा हो सकती हैं। इस केस की तेज़ी से निपटारा करना आवश्यक है, ताकि पीड़ित की याद में न्याय मिल सके और भविष्य में परिवारिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या हरिकिशन को तुरंत गिरफ्तार किया गया?

नहीं, हत्या के बाद हरिकिशन ने मौके से भाग लिया। पुलिस ने फोटोग्राफ़िक सुबूत और स्थानीय लोगों की गवाहियों की मदद से उसे बाराबंकी में पकड़ कर 23 अक्टूबर को बहराज़ लाया।

शरीर कब और कैसे मिला?

जतारा रोड के SHO संतोष कुमार सिंह की टीम ने 22 अक्टूबर को बिस्तर के नीचे की नई जमी हुई मिट्टी को खोद निकाला। खुदाई में टूटे पायल, चांदी की पायल और फटे कपड़े मिले, जिनके बाद फुला देवी का सड़ता हुआ शरीर मिला।

इस मामले में कानूनी चरण क्या हैं?

हरिकिशन के खिलाफ धारा 302 (हत्याऔर 201 (साक्ष्य नष्ट करना) के तहत FIR दर्ज हुई। अगले 72 घंटों में बहराज़ जिला कोर्ट में मामला पेश होगा, जहाँ अभियोजन अधिकतम सजा की मांग करेगा।

घटनाक्रम का सामाजिक प्रभाव क्या है?

गाँव में घरेलू हिंसा के प्रति जागरूकता बढ़ी है। कई स्थानीय NGOs ने महिलाओं की सुरक्षा के लिये हेल्पलाइन और काउंसलिंग स्थापित करने की मांग की है, जबकि प्रशासन ने पड़ोसी क्षेत्रों में अतिरिक्त जाँच को बढ़ाया है।

मुख्य कारण क्या माना जा रहा है?

शहाबत के शुरुआती बयानों के अनुसार, हरिकिशन ने अपनी पत्नी पर भरोसे की कमी के कारण साक्ष्य हटाने और हत्या करने का फैसला किया। पुलिस ने इसे "विश्वासघात" और शराबी लत से प्रेरित कहा है।

7 टिप्पणि

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    Simi Joseph

    अक्तूबर 25, 2025 AT 20:00

    हरिकिशन ने बिस्तर के नीचे दफ़न किया, कोई आश्चर्य नहीं।

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    Vaneesha Krishnan

    नवंबर 2, 2025 AT 05:00

    इस दुखद घटना से पीड़ित परिवार को दिल से सहानुभूति 🙏। ऐसे अपराधों को रोकने के लिये सामुदायिक समर्थन और जागरूकता ज़रूरी है 😊।

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    Ahmad Dala

    नवंबर 9, 2025 AT 15:00

    भौतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस केस ने ग्रामस्थ जीवन के नज़रिये में गहरी रेखा खींच दी है। यह न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है बल्कि सामाजिक बुराइयों की अभिव्यक्ति भी है। ग्रामीण भारत में घरेलू हिंसा अक्सर छुपी रहती है, लेकिन इस तरह की अनैतिक कार्रवाई से वह उजागर होती है। पुलिस की तेज़ कार्रवाई प्रशंसनीय है, फिर भी न्याय की प्रक्रिया को त्वरित करना आवश्यक है। फुला देवी की मृत्युप्रतीति के बाद परिवार के ऊपर भावनात्मक बोझ बढ़ गया है। ऐसे मामलों में मानसिक सहायता की सुविधा प्रदान करना अनिवार्य है। न्यायिक प्रक्रिया के दौरान साक्ष्यों की संग्रहीतता भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हरिकिशन ने साक्ष्य नष्ट करने का प्रयास किया था। फॉरेंसिक टीम ने पायल और कपड़े जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य निकाल कर केस को मजबूत किया। इस प्रकार के साक्ष्य भविष्य में समान अपराधों को रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता और NGOs को इस घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन स्थापित करनी चाहिए। स्थानीय प्रशासन को महिला सुरक्षा योजना को सुदृढ़ करने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। कल्याणकारी योजनाओं के तहत महिलाओं को स्वरक्षक प्रशिक्षण देना भी फायदेमंद रहेगा। अगर इस केस में कठोर सजा सुनाई जाए तो यह एक मिसाल बन सकता है और संभावित अपराधियों को हतोत्साहित करेगा। अंत में, न्याय के साथ-साथ पीड़ित के परिवार को पुनर्स्थापित करना भी सामाजिक जिम्मेदारी है। इस पूरे परिदृश्य में हमें यह समझना चाहिए कि गृह हिंसा को एक व्यवस्थित सामाजिक बीमारी के रूप में देखना चाहिए और उसका समाधान सामुदायिक, कानूनी और मानवीय स्तर पर करना होगा।

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    RajAditya Das

    नवंबर 17, 2025 AT 01:00

    हरिकिशन जैसा व्यक्ति सामाजिक बंधनों को तोड़कर अपना मन बना लेता है :). ऐसे मामलों में कभी‑कभी पुलिस की चतुराई ही सब कुछ बचाती है।

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    Harshil Gupta

    नवंबर 24, 2025 AT 11:00

    समुदाय के रूप में हमें इस तरह की घटनाओं में एकजुट होकर पीड़ित परिवार को सहारा देना चाहिए। सहायता समूह बनाकर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर काम करना आवश्यक है। कानूनी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाना भी हमारे कर्तव्य में शामिल है।

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    Rakesh Pandey

    दिसंबर 1, 2025 AT 21:00

    तथ्य यह है कि हरिकिशन का कृत्य न केवल व्यक्तिगत गुनाह है, बल्कि यह ग्रामीण न्याय प्रणाली में मौजूद खामियों को भी उजागर करता है। इस केस में साक्ष्य संग्रह की गुणवत्ता को देखते हुए हम कह सकते हैं कि फॉरेंसिक कार्य में सुधार जरूरी है।

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    Simi Singh

    दिसंबर 9, 2025 AT 07:00

    क्या ये सब सिर्फ एक व्यक्तिगत मुद्दा है या फिर बड़ा सरकारी षड्यंत्र चल रहा है? कई बार ऐसा लगता है कि ऐसी घटनाएँ बंदुकी के पीछे से छुपी होती हैं।

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