दिल्ली स्कूल विस्फोट: एनआईए, एनएसजी टीम जांच में शामिल, मुख्यमंत्री अतिशी ने बीजेपी पर लगाया आरोप

दिल्ली स्कूल विस्फोट: एनआईए, एनएसजी टीम जांच में शामिल, मुख्यमंत्री अतिशी ने बीजेपी पर लगाया आरोप अक्तू॰, 20 2024

दिल्ली के रोहिणी में धमाका: क्या है पूरा मामला?

दिल्ली के रोहिणी इलाके में स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) स्कूल के पास 20 अक्टूबर 2024 की सुबह एक जोरदार धमाका हुआ। सुनने वाले प्रत्यक्षदर्शियों की मानी जाए, तो ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी ने बम किया हो। इस विस्फोट से स्कूल की दीवार में दरारें पड़ गईं और आस-पास की दुकानों की खिड़कियों के शीशे पूरी तरह चकनाचूर हो गए। यहां तक कि एक पार्क की हुई गाड़ी को भी नुकसान पहुँचा। सौभाग्य से, इस घटना में कोई भी घायल नहीं हुआ, जो बहुत बड़ी राहत की बात है।

दिल्ली पुलिस की तेज़ी और जांच प्रक्रिया

सुबह 7 बजकर 47 मिनट पर इस घटना की सूचना पीसीआर को दी गई। दिल्ली पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंची और उन्होंने पूरे इलाके को घेर लिया। पुलिस ने पास में दुर्गंध का अनुभव किया और टूटी हुई खिड़कियों के शीशे और कांच स्कूल परिसर के अंदर पाए। इसलिए, वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा फोरेंसिक विभाग, अपराध टीम और विशेष प्रकोष्ठ के विशेषज्ञों को जांच में शामिल किया गया।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की सक्रियता

राष्ट्रीय जांच एजेंसी और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की सक्रियता

जांच के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) की टीमों को भी शामिल किया गया है। उनके द्वारा इस सामग्री की जांच की जा रही है, जो किसी क्रूड बम की तरह दिखाई दे रहा है। हालांकि इसका पूरा पता फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) के रिपोर्ट के बाद ही लग पाएगा।

दिवाली की तैयारियों के बीच पुलिस चाक चौबंद

दिल्ली में इस धमाके के बाद उच्च चेतावनी जारी कर दी गई है। दीवाली के हो रहे बाजारों में सुरक्षा जांच को और कड़ा कर दिया गया है, ताकि लोगों में कोई भय का माहौल न बने और वे सुरक्षित रूप से त्योहार मना सकें।

मुख्यमंत्री अतिशी और उनके आरोप

मुख्यमंत्री अतिशी और उनके आरोप

इस गंभीर घटना के बीच, दिल्ली की मुख्यमंत्री अतिशी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा को दोषी ठहराया है। उनका कहना है कि दिल्ली की कानून व्यवस्था की जवाबदेही भाजपा की केंद्र सरकार की है, परंतु वे इसे बरकरार रखने में असफल रहे हैं। उन्होंने इसे मुंबई के 1990 के दशक के अंडरवर्ल्ड युग जैसा बताया है। अतिशी के अनुसार, यह घटनाक्रम दर्शाता है कि कैसे एक समय की अपराध संगठन जैसी गतिविधियों ने दिल्ली की सड़कें भी असुरक्षित बना दी हैं।