जब तापमान 40 °C से ऊपर पहुंचता है, तो भारत के कई हिस्सों में ब्रेन स्ट्रोक के केस तेज़ी से बढ़ रहे हैं, और डॉक्टरों ने यह चेतावनी दी है कि अब सावधानी बरतना अनिवार्य है। इस गर्मी की लहर दिल्ली‑एनसीआर, लुधियाना, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और पटना जैसे शहरों में तेज़ी से फली‑फूल रही है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हृदय रोगों वाले लोगों में स्ट्रोक का जोखिम दो‑गुना बतलाया गया है।
तेज़ गर्मी और स्ट्रोक: पृष्ठभूमि
पिछले तीन दशकों में भारत में औसत गर्मी का स्तर 1.5 °C तक बढ़ा है, और नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के एक व्यापक अध्ययन के अनुसार, हर 5 °C ताप वृद्धि पर स्ट्रोक की संभावनाएं 12 % तक बढ़ जाती हैं। यह वृद्धि सिर्फ आँकड़ों में ही नहीं, बल्कि वास्तविक अस्पताल रिकॉर्ड में भी साफ दिखती है।
पिछले गर्मियों में प्रोफेसर डॉ. दलजीत सिंह, न्यूरोसर्जरी विभाग के निदेशक जीबी पंत अस्पताल दिल्ली ने कहा, "जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है, तो स्ट्रोक तुरंत हो सकता है, और गर्मी इस जोखिम को बढ़ा देती है।"
विशेषज्ञों की राय और प्रमुख डेटा
लुधियाना स्थित डॉ. एस.एस. सिबिया, हृदय रोग विशेषज्ञ और निदेशक सिबिया मेडिकल सेंटर लुधियाना ने बताया कि हाई बीपी, डायबिटीज, अस्थमा और हृदय रोगी गर्मी में रक्त की चिपचिपाहट (विस्कोसिटी) के कारण अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। उनका कहना है, "गर्मियों में रक्त के थक्के जमने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह रुक सकता है।"
ग्रेटर नोएडा के डॉ. दिनेश कुमार त्यागी, इंटरनल मेडिसिन विभाग के निदेशक फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा ने बताया कि इस साल की सूखी गर्मी (Dry Heat) ने "हीट स्ट्रोक" की घटना को दोगुना कर दिया है। उन्होंने आगे कहा, "शरीर का थर्मोरेगुलेटरी सिस्टम जब काम करना बंद कर देता है, तो शरीर का तापमान 104 °F (40 °C) या उससे ऊपर पहुंच जाता है, और यह एक मेडिकल इमरजेंसी बन जाता है।"
फ़रीदाबाद के डॉ. मोहित शर्मा, इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट अमृता अस्पताल ने हीट स्ट्रोक के लक्षणों की सूची दी: उच्च शरीर तापमान, तेज़ दिल की धड़कन, भ्रम, बेहोशी, पसीने का रुकना और सूखी त्वचा। ये लक्षण तुरंत मेडिकल मदद की आवश्यकता दर्शाते हैं।
एक अन्य विशेषज्ञ डॉ. अक्षय चुग, इंटर्निस्ट मेट्रो हॉस्पिटल्स ने 13 जून 2025 को प्रकाशित लेख में कारणों को पाँच बिंदुओं में संक्षेपित किया: तेज़ धूप में लंबा समय, उमस, डिहाइड्रेशन, भारी कपड़े, और शारीरिक श्रम।
लक्षण एवं तत्काल कदम
यदि किसी को अचानक सिर दर्द, पक्षीय कमजोरी, बोलने में कठिनाई या दृष्टि धुंधली लगने लगे, तो तुरंत 112 पर कॉल करें। विशेषज्ञों ने बताया कि स्ट्रोक के शुरुआती तीन घंटे के भीतर उपचार सफलता की दर 80 % तक पहुंच जाती है।
- शरीर का तापमान 40 °C से अधिक हो तो तुरंत ठंडी, छायादार जगह पर ले जाएँ।
- पानी या इलेक्ट्रोलाइट‑रिच ड्रिंक्स (निम्बू पानी, नारियल पानी) दें।
- हल्का कपड़ा पहनेँ और एसी या पंखे की मदद लें।
- यदि उलझन या बोलने में दिक्कत हो, तो शीघ्र मेडिकल सहायता प्राप्त करें।
रोकथाम के व्यावहारिक उपाय
डिहाइड्रेशन को रोकना स्ट्रोक की संभावना घटाने का सबसे आसान तरीका है। नीचे दी गई चेक‑लिस्ट हर घर में होनी चाहिए:
- दिन में कम से कम 2 लीटर पानी पिएँ; गरम मौसम में यह मात्रा 3‑4 लीटर तक बढ़ सकती है।
- दोपहर 12‑बजे से 4‑बजे तक बाहर के काम से बचें; यदि काम अनिवार्य हो तो हल्के कपड़े और टोपी पहनें।
- नियमित तौर पर रक्तचाप और शुगर की जांच कराएं, विशेषकर बीपी‑मेटर्स और ग्लूकोज़ मॉनिटर से।
- भारी, तेलीय या नमकीन खाने से बचें; फल‑सब्ज़ी, दही और सूखे मेवे बेहतर विकल्प हैं।
- शारीरिक व्यायाम को सुबह के ठंडे समय या शाम के हल्के समय तक सीमित रखें।
साथ ही, स्वास्थ्य विभागों को चाहिए कि वह सार्वजनिक स्थानों पर पानी की बोतलें और विशेष shade‑areas स्थापित करें, जैसा कि दिग्गज स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस साल के बजट में प्रस्तावित किया है।
भविष्य की दिशा और नीति सिफ़ारिशें
दुर्भाग्यवश, The Lancet के एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि 1990 के बाद से गर्मी‑संबंधित स्ट्रोक के कारण 72 % अधिक मृत्यु हुई है, और यह रुझान अगले दशक में और तेज़ होने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल व्यक्तिगत सावधानी ही नहीं, बल्कि सामुदायिक‑स्तर पर ठंडा करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर, जल‑संकट प्रबंधन, और सर्दी‑गर्मी के बीच स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम आवश्यक हैं।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि गर्मियों में ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम सिर्फ़ एक वैज्ञानिक आंकड़ा नहीं, बल्कि हर परिवार की वास्तविक चिंता है। सही जानकारी, समय पर चिकित्सीय सहायता और सरकार की सक्रिय पहल मिलकर इस खतरे को कम कर सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
गर्मियों में ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए कौन सा पानी सबसे बेहतर है?
सादा फ़िल्टर किया हुआ पानी सबसे सुरक्षित विकल्प है। यदि पसीने से इलेक्ट्रोलाइट का नुकसान हो रहा हो तो नारियल पानी या नींबू‑शहद पानी अतिरिक्त लाभ देता है, क्योंकि इसमें पोटेशियम और सोडियम का प्राकृतिक संतुलन रहता है।
क्या एसी चालू करने से हीट स्ट्रोक पूरी तरह से रोका जा सकता है?
एसी तापमान को 24‑25 °C पर रख कर शरीर की थर्मोरगुलेशन में मदद मिलती है, पर यह अकेला समाधान नहीं है। पर्याप्त पानी, हल्के कपड़े और शारीरिक आराम के बिना एसी के भरोसे पर केवल निर्भर रहने से अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
उच्च रक्तचाप वाले रोगियों को गर्मी में कौन सी दवाएँ विशेष रूप से ध्यान में रखनी चाहिए?
एंजियोटेनसिन‑कनवर्टिंग एंजाइम (ACE) इनहिबिटर्स और कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स को डॉक्टर की सलाह के बिना बदलना नहीं चाहिए। गर्मी में डिहाइड्रेशन से इन दवाओं के साइड‑इफ़ेक्ट्स बढ़ सकते हैं, इसलिए दवा लेने के साथ साथ नियमित पानी सेवन करना अनिवार्य है।
क्या धूप में देर तक रहना हीट स्ट्रोक का एकमात्र कारण है?
धूप एक प्रमुख कारक है, पर यह अकेली वजह नहीं है। उमस, जल की कमी, शारीरिक श्रम और भारी कपड़े भी थर्मोरगुलेशन को बिगाड़ते हैं। इन सभी कारकों का संयोजन हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ाता है।
पटना में गिरते स्ट्रोक केसों की वृद्धि का कारण क्या है?
पटना में सुबह‑शाम की ठंडी हवाओं के साथ अचानक तापमान में बदलाव रक्त वाहिकाओं को संकुचित‑विस्तारित करता है, जिससे हाई बीपी वाले रोगियों में स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने इस पर विशेष चेतावनी जारी की है।
Chandra Deep
अक्तूबर 22, 2025 AT 19:56गर्मियों में स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है इसलिए रोज़ कम से कम दो लीटर पानी पीना चाहिए और सुबह‑शाम के समय बाहर निकलना बेहतर रहता है शरीर को ठंडा रखने के लिए
Mihir Choudhary
नवंबर 9, 2025 AT 06:56बिलकुल सही कहा 🙌 पानी के साथ थोड़ा निम्बू 🥤 और हल्का कपड़ा पहनो तो दिमाग भी ठंडा रहता है
Tusar Nath Mohapatra
नवंबर 26, 2025 AT 18:56वाह! अगर आप हाइड्रेटेड रहेंगे तो स्ट्रोक का जोखिम आधा ही रहता है 😂 लेकिन याद रखें, अगर सिर दर्द या कमजोरी हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ, नहीं तो मज़ाक नहीं रहेगा
Ramalingam Sadasivam Pillai
दिसंबर 14, 2025 AT 06:56सूरज की रोशनी और गर्मी दोनो ही जीवन को चिंगारी देती हैं, परन्तु यदि हम अपने शरीर की सीमा को नहीं जानते तो वही चिंगारी हमें जला देती है, इसलिए सही समय पर विश्राम आवश्यक है