गुरमीत राम रहीम सिंह की हत्या के मामले में बरी: विवादास्पद डेरा प्रमुख के कानूनी संघर्षों की समीक्षा
मई, 29 2024गुरमीत राम रहीम सिंह की हत्या के मामले में बरी
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह एक बार फिर से ख़बरों में हैं, और इस बार यह उनकी बरी के चलते है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने रणजीत सिंह हत्या मामले में उन्हें बरी कर दिया है। यह मामला जुलाई 2002 का है जब हरियाणा के सिरसा में रणजीत सिंह की निर्मम हत्या कर दी गई थी। रणजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा के पूर्व प्रबंधक थे और उनके हत्या के पीछे डेरा प्रमुख का हाथ होने के आरोप लगे थे।
रणजीत सिंह हत्या मामला
यह मामला तब और गंभीर हो गया जब एक गुमनाम पत्र ने डेरा परिसर में महिलाओं के यौन शोषण के आरोप लगाए। पत्र में राम रहीम पर तथाकथित 'गुरमीत के राज' नाम से अन्याय का पर्दाफाश किया गया था। इस पत्र के बारे में कहा जाता है कि रणजीत सिंह ने ही इसे प्रचारित किया था, जिसके कारण उनकी हत्या की गई। अक्टूबर 2021 में सीबीआई की विशेष अदालत ने राम रहीम और उनके चार अनुयायियों को हत्या की साजिश रचने के आरोप में दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
हाईकोर्ट का निर्णय
28 मई 2024 को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में सभी पांचों दोषियों की सजा को उलट दिया। हालांकि, राम रहीम अभी भी जेल में रहेंगे क्योंकि उन पर अन्य दो और आपराधिक मामलों में सजा है। एक मामला 2002 के पत्रकार राम चंदर छत्रपति की हत्या का है, जिन्होंने गुमनाम पत्र को प्रकाशित किया था। नवंबर 2019 में, राम रहीम और उनके तीन अनुयायियों को इस मामले में दोषी ठहराया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इस मामले में अपील अभी भी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित है।
निजी अत्याचार और विवाद
राम रहीम पर लगने वाले और भी कई संगीन आरोप हैं, जिनमें से एक है उनके अनुयायियों की जबरन नपुंसकता। बताया जाता है कि 1999 और 2000 के बीच लगभग 400 डेरा सच्चा सौदा अनुयायियों की उनके आदेश पर जबरन नपुंसकता करवाई गई। राम रहीम का दावा था कि ऐसा करने से वे ईश्वर से साक्षात्कार कराएंगे। यह मामला दिसंबर 2014 में सीबीआई जांच के अधीन आया, लेकिन अब तक इसमें कोई खास प्रगति नहीं हुई है।
हालांकि, गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ ये सभी मामले और आरोप उनकी विवादास्पद छवि को और प्रमुखता देते हैं। एक तरफ डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के लिए वे एक धर्मगुरु और प्रेरक हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके खिलाफ अनेक आपराधिक मामले और आरोप उनकी छवि को धूमिल करते हैं।
इस निर्णय के बाद भी राम रहीम को जेल में रहना ही पड़ेगा, क्योंकि उनकी सजा के अन्य मामले अभी भी विचाराधीन हैं। इसके अलावा, उनकी बरी होने के बावजूद, भारत की न्यायिक व्यवस्था और जनता के विश्वास की कई चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।