
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 6 अक्टूबर 2025 को उत्तर भारत के लिए एक नया मौसमी येलो अलर्टदिल्ली‑NCR, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान जारी किया। यह अलर्ट 6 से 11 अक्टूबर तक चलेगा और भारी बारिश, तेज हवाओं, गरज‑बिजली तथा पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी की चेतावनी देता है। लोग सोच रहे हैं कि इस मौसम का असर किस हद तक उनके घर‑बार और फसलों को करेगा।
मौसम का विस्तार से क्या होगा?
आगे के छह दिन में, दिल्ली‑NCR में हल्की‑से‑भारी बूंदों की संभावना है, जिससे तापमान लगभग 2‑3°C गिर सकता है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली और मेरठ जैसे 10 जिलों में विशेष रूप से येलो अलर्ट जारी है; यहाँ ओलावृष्टि के साथ तेज हवाओं की भी आशंका है।
बिहार में बात कुछ अलग है। IMD ने राज्य के मधुबनी, पूर्णिया, सहरसा, अररिया, किशनगंज, समस्तीपुर, बेगुसराय, दरभंगा और सुपौल जिलों को "भारी बारिश विशेष चेतावनी" दी है। 6 अक्टूबर को पूर्वी‑पश्चिमी जिलों में मेघ‑गर्जन के साथ 30‑40 किमी/घंटा की तेज़ हवा चलने की संभावना जताई गई है। 7 अक्टूबर को भी वही परिस्थितियां दोहराई जा सकती हैं।
उत्ताराखंड में स्थिति और भी गंभीर है। चमोली, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और नैनीताल में मूसलाधार बारिश के साथ‑साथ पहाड़ी क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी की संभावना है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण इन क्षेत्रों में तापमान में 5‑7°C तक गिरावट दर्ज हो सकती है, जिससे फसलों तथा पर्यटकों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ेगी।
स्थानीय प्रतिक्रियाएँ और चेतावनियाँ
पटना स्थित मौसम विज्ञान केंद्र पटना ने जनता को लगातार अपडेट्स के लिए मोबाइल ऐप डाउनलोड करने की सलाह दी है। किसानों को फसल‑सुरक्षा के उपाय, जैसे बोझिल‑बोझिल पनछन्दी की तैयारी और फसल‑भुजाई (सुरक्षित फसल) की व्यवस्था करने को कहा गया है।
- भारी बारिश वाले जिलों में बिजली गिरने की संभावना 70% तक बढ़ी है।
- जिन क्षेत्रों में जलभराव की आशंका है, वहाँ रोड‑डैमेज और ट्रैफिक जाम का जोखिम भी अधिक है।
- पर्यटकों को खतरनाक पहाड़ी रास्तों पर अनावश्यक यात्रा से बचने की चेतावनी दी गई है।
उत्तरी भारत में किसानों ने पहले ही अपने खेतों में जल‑निकासी के लिए टनल निर्माण शुरू कर दिया है। कुछ गांवों में स्थानीय स्वैच्छिक समूहों ने रात‑रात में सड़कों के पास जल‑रोक बाधा रखी है, ताकि बारिश के बाद अचानक बाढ़ नहीं आ सके।

विशेषज्ञों की राय और संभावित प्रभाव
क्लाइमेट विशेषज्ञ डॉ. अनीता सिंह (जो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट रिसर्च में शोधार्थी हैं) का कहना है कि इस साल के शुरुआती मॉनसून‑समान बवंडर का कारण पश्चिमी विक्षोभ का असामान्य स्वरूप है, जो पिछले दो दशकों में केवल दो बार देखा गया है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर इस अवधि में जल‑संकट नहीं संभाला गया तो कृषि उत्पादन में 3‑4% की गिरावट हो सकती है।
भारतीय रेलways ने पहले से ही प्रमुख हब स्टेशन पर संरेखित प्लेटफ़ॉर्म की गति को 30% तक घटाने का निर्णय लिया है, ताकि दुर्लभ बूमरैंग सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। इसी तरह दिल्ली मेट्रो ने कई स्टेशनों पर सीढ़ी‑वाले दरवाज़ों को बंद कर दिया है।

आगे क्या उम्मीद की जा सकती है?
IMD ने बताया है कि 12 अक्टूबर के बाद मौसम सामान्य दिशा की ओर लौट सकता है, लेकिन फिर भी एक हल्की‑से‑वर्दीसी संभावना बनी रहेगी। इस बीच, हरी-भरी फसल‑खेतों में जल‑भरण के उपायों को पूरा करना सबसे अहम कदम रहेगा।
यदि आप निकटवर्ती क्षेत्र में रहते हैं, तो अपने स्थानीय स्मार्ट सिटी के आधिकारिक अलर्ट को फॉलो करें और आपातकालीन नंबर 112 पर तुरंत संपर्क करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बिहार में भारी बारिश से कौन‑से जोखिम सबसे अधिक हैं?
मधुबनी‑सहरसा‑दरभंगा के क्षेत्रों में बिजली गिरने, जलभराव और खेतों में जल‑स्तर में अचानक बढ़ोतरी के जोखिम प्रमुख हैं। किसान फसलों को त्वरित रूप से उठाने और सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाने की सलाह दी गई है।
उत्तराखंड में बर्फबारी का असर यात्रा पर कैसे पड़ेगा?
नैनीताल‑पिथौरागढ़ जैसी जगहों में पहाड़ी रास्तों पर बर्फबारी के कारण ट्रैफ़िक जाम और सड़क बंद हो सकती है। स्थानीय प्रशासन ने प्रवासियों को वैकल्पिक मार्ग रखने और पहाड़ी रूट के लिये चार‑पाँच घंटे अतिरिक्त यात्रा‑समय रखने का निर्देश दिया है।
दिल्ली‑NCR में ट्रैफ़िक समस्याओं से बचने के उपाय क्या हैं?
बारिश के दौरान राजमार्ग‑भरे रास्ते पर वैकल्पिक सार्वजनिक परिवहन जैसे मेट्रो, बस या कार‑पूल का उपयोग करना बेहतर है। जलभराव वाले क्षेत्रों से बचते हुए, आपातकालीन किट (टोर्च, बैटरियाँ) साथ रखें।
क्या 6‑11 अक्टूबर के बाद मौसम सामान्य हो जाएगा?
IMD ने सूचित किया है कि 12 अक्टूबर के बाद तापमान में धीरे‑धीरे वृद्धि देखी जाएगी, परन्तु हल्की‑सी मोड़‑धारा (दिशा) अभी भी बनी रहेगी, इसलिए सतर्क रहना आवश्यक है।
किसानों को फसल‑सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
लड़ियों में जल‑निकासी के लिए टनल या नाली बनाना, फसल‑भुजाई (सुरक्षित फसल) का चयन और जल‑रोक के लिये बम्पर सामग्री तैयार रखना जल्द‑से‑जल्द आवश्यक है। स्थानीय कृषि विभाग की हॉटलाइन 1800‑200‑3344 पर संपर्क कर विस्तृत गाइडेंस प्राप्त किया जा सकता है।
Sameer Kumar
अक्तूबर 6, 2025 AT 19:41बारिश की बूँदें अक्सर हमारे दिलों में पुरानी यादों को जगाती हैं। जब दिल्ली‑NCR में धुंध छा जाती है तो पुरानी कहानियों की गंध भी साथ आती है। इस मौसमी येलो अलर्ट को देखते हुए हमें अपने घरों को सुरक्षित बनाना चाहिए और खेतों में जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही, पुरानी बंजारों की तरह हम भी इस बवंडर को संभालने के लिए सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा दें।