
जब व्योमिका सिंह, भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर, और सोफिया कुरैशी, भारतीय सेना की कर्नल, ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर की घोषणा की, तो पूरे राष्ट्र की नज़रें तुरंत इस निर्णायक कदम पर टिकी हुई थीं। यह प्रतिक्रिया 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में पहलगाम हमला के ठीक दो हफ्ते बाद हुई, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के जुड़े आतंकियों ने 26 नागरिकों, जिनमें एक नेपाली भी था, की हत्या की थी। भारतीय सशस्त्र बलों ने, भारतीय सशस्त्र बल के सहयोग से, पाकिस्तान के भीतर नौ ठिकानों पर सटीक मारबारी की, जिससे आतंकवादी अवसंरचना को गंभीर क्षति पहुँची।
ऑपरेशन सिंदूर का पृष्ठभूमि
पहलगाम के तबाही भरे हमले ने न सिर्फ स्थानीय पर्यटन को ठप्प कर दिया, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में एक गहरी चिंता पैदा कर दी। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने ब्रीफिंग में कहा, "तीन दशकों में पाकिस्तान ने एक जटिल नेटवर्क बना लिया है, जिसमें प्रशिक्षण शिविर, विचारधारा केंद्र और लॉन्चपैड शामिल हैं।" इस नेटवर्क को तोड़ना अब भारत के लिये प्राथमिकता बन गया था।
लक्ष्य और कार्यवाही का विवरण
ऑपरेशन के मुख्य लक्ष्य थे:
- पंजाब के मुरीदके में स्थित लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय (मार्काज़ तोयबा), जिसका संचालन हाफिज़ सईद करते हैं।
- सियालकोट टीका, जहाँ कई फंसी हुई तैनाती बेस थे।
- PoJK के विभिन्न ठिकाने, जिनमें सुदूर क्षेत्रों में स्थित लॉजिस्टिक नोड्स शामिल थे।
भूतल, जल और वायु बलों ने समन्वित रूप से कार्य किया। भारतीय नौसेना ने सुदूर समुद्री सीमा पर लक्षित जहाजों को निगरानी में रखा, जबकि वायु सेना ने शहरी क्षेत्रों में सटीक मिसाइलों का प्रयोग किया। भारतीय सेना ने पनडुब्बी‑आधारित विशेष दिग्गजों को जमीन के भीतर गहराई तक पहुँचाया, जिससे कई छिपे हुए शत्रु प्रशिक्षण शिविर नष्ट हो गए।

सरकारी और सैन्य अधिकारियों की प्रतिक्रियाएँ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन कार्यक्रम में कहा, "ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, यह हमारी राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक इच्छा शक्ति का प्रतीक है।" उन्होंने यह भी जोड़ते हुए कहा कि "140 करोड़ भारतीय इस बात पर एकमत हैं कि देश की सीमाओं की रक्षा में कोई समझौता नहीं होना चाहिए।"
व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हमने यह कार्रवाई इसलिए अपनाई क्योंकि समय की माँग थी, न कि भावनात्मक प्रतिक्रिया। हमारा लक्ष्य केवल आतंकवादी बुनियादी ढांचा नष्ट करना था, नागरिक हताहतों से बचना था।" कर्नल सोफिया कुरैशी ने जुड़ते हुए कहा, "हमने प्रत्येक लक्ष्य को विस्तृत इंटेलिजेंस के आधार पर चयनित किया, जिससे ऑपरेशन का दुष्प्रभाव न्यूनतम रहे।"
राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
ऑपरेशन के बाद द वायर हिंदी ने लिखा, "यह घटना दर्शाती है कि भारत ने राष्ट्रीय एकता और सामाजिक विवेक की परीक्षा पास कर ली है, लेकिन साथ ही यह भी संकेत देती है कि राष्ट्रवाद का प्रयोग कभी‑कभी अति‑उत्साही हो सकता है।" विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान इस कार्रवाई को "प्रत्याशित" मानते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दे सकता है, लेकिन भारत की त्वरित प्रतिक्रिया भविष्य में संभावित घुसपैठ को रोकने में अहम साबित होगी।
सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद इस सैन्य कदम ने भारत की नई सुरक्षा नीति को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया: शून्य सहनशीलता और सीमा‑पार हमलों पर तत्काल प्रतिक्रिया। इस नीति का समर्थन अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ भी कर रहे हैं, जिन्होंने कहा कि "एक सटीक और मानवीय कार्रवाई से भारत का रणनीतिक संदेश स्पष्ट हो गया है।"

आगे क्या? भविष्य की रणनीति
विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले महीनों में भारत को निम्नलिखित कदम उठाने की जरूरत है:
- तत्काल पोस्ट‑ऑपरेशन इंटेलिजेंस दोबारा जाँचना, ताकि शेष खतरों की पहचान हो सके।
- पाकिस्तान के साथ डिप्लोमैटिक चैनलों को सक्रिय रखना, ताकि अनावश्यक सैन्य उकसावे से बचा जा सके।
- पीड़ितों के परिवारों को वित्तीय तथा सामाजिक सहायता देना, जिससे राष्ट्रीय एकता मजबूत हो।
- सुरक्षा प्रौद्योगिकी में निवेश बढ़ाना, विशेषकर ड्रोन और सटीक मार प्रदान करने वाले हथियारों में।
यदि इन उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो भारत न सिर्फ अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता में भी योगदान दे सकेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ऑपरेशन सिंदूर का सीधा लक्ष्य क्या था?
इस कार्रवाई का प्राथमिक लक्ष्य पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के बुनियादी ढांचे को नष्ट करना था, जिसमें प्रशिक्षण शिविर, लॉजिस्टिक केंद्र और मुख्यालय शामिल थे। इससे भविष्य में संभावित घुसपैठ को रोकना संभव हुआ।
क्या इस ऑपरेशन में कोई नागरिक हताहत हुआ?
नहीं। भारतीय सशस्त्र बलों ने इंटेलिजेंस‑आधारित लक्ष्य चयन किया, जिससे सभी लक्ष्य आतंकवादी ठिकानों तक सीमित रहे और नागरिक हानि न्यूनतम रही।
पाकिस्तान की संभावित प्रतिक्रिया क्या हो सकती है?
पाकिस्तान ने पहले भी ऐसी कार्रवाइयों पर प्रतिशोधी कदम उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वे कूटनीतिक दबाव बढ़ा सकते हैं या सीमावर्ती तनाव बढ़ा सकते हैं, परन्तु बड़े पैमाने पर सैन्य जवाब़ा अभी अनिश्चित बना हुआ है।
ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ क्यों रख दिया गया?
‘सिंदूर’ शब्द भारतीय संस्कृति में शोक के बाद सम्मान और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। यह नाम पहलगाम हमले की शहीदों, विशेषकर विधवाओं के प्रति संवेदनशीलता दर्शाने हेतु चुना गया, जिससे सैन्य कार्रवाई में मानवीय तत्व भी झलकता है।
भारत की नई सुरक्षा नीति में इस ऑपरेशन का क्या महत्व है?
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की ‘शून्य सहनशीलता’ नीति को व्यवहार में उतारा। यह दर्शाता है कि भारत न केवल सशस्त्र प्रतिक्रिया देने में सक्षम है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून की सीमाओं के भीतर सटीक और मानवीय सैन्य कार्रवाई भी कर सकता है।
parvez fmp
अक्तूबर 12, 2025 AT 23:23वाह वाह!! ऑपरेशन सिंदूर को देख के दिल धड़क रहा है 😂🚀! भारत की तेज़ी से जवाबी कार्रवाई ने पूरे देश को झकझोर दिया, जैसे ज्वाला में घातक तीर! लश्कर-ए-तैयबा के ठिकाने अब धूल में मिल गये, क्या बात है! ऐसे वीर जवानों को देख के मेरी तो रीढ़ में शूरवीर की लहर दौड़ पढ़ी 😎।